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श्रमिक संगठनों ने काला छाता लेकर किया विरोध-प्रदर्शन, 12 सूत्री मांगों को लेकर राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन - श्रमिक संगठन आंदोलन

राजधानी जयपुर में श्रमिक संगठनों ने श्रम आयुक्त कार्यालय पर केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ काला छाता लेकर विरोध-प्रदर्शन किया. इस दौरान श्रमिकों ने अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर राष्ट्रपति के नाम श्रम आयुक्त को ज्ञापन सौंपा.

labor movement in Jaipur, labor organization movement
श्रमिक संगठनों ने काला छाता लेकर किया विरोध प्रदर्शन
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Published : Jul 3, 2020, 8:58 PM IST

जयपुर. केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर शुक्रवार को श्रम आयुक्त कार्यालय पर देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन किया गया. श्रमिक संगठनों के लोगों ने सोशल डिस्टेसिंग की पालना करते हुए केंद्र सरकार की श्रमिक नीतियों के विरोध में काला छाता लेकर विरोध-प्रदर्शन किया.

श्रमिक संगठनों ने काला छाता लेकर किया विरोध प्रदर्शन

श्रमिक संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते देश में विकास दर गिरती जा रही है. बेरोजगारी और महंगाई तेजी से बढ़ रही है. जिसका विपरीत असर मजदूर-किसान और आम गरीब मेहनतकश लोगों पर पड़ रहा है. इसके बाद केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने राष्ट्रपति के नाम श्रम आयुक्त को 12 सूत्री मांग पत्र के साथ ज्ञापन सौंपा है.

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केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयोजक मुकेश माथुर ने बताया कि केंद्र सरकार ने अपने 100 दिन के शासन काल में ही 44 श्रम कानूनों को देश के नैगमिक औद्योगिक घरानों-पूंजीपति मालिकों के पक्ष में बदलने का काम शुरू किया था. वेज कोड बिल पारित करके मजदूर वर्ग पर बड़ा हमला बोला था. केंद्र सरकार ने पूंजीपतियों को शोषण की छूट देने और मुनाफे की लूट को बढ़ाने के लिए पूरे देश में श्रम कानूनों के निरीक्षण पर पूरी तरह से अंकुश लगा दिया है.

पढ़ें- रेलवे के निजीकरण के विरोध में जोधपुर में कर्मचारियों का प्रदर्शन

साथ ही कहा कि सरकार संसद में पारित ईएसआई और पीएफ जैसे श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा संस्थाानों को भी कमजोर करना चाहती है. विरोध प्रदर्शन में श्रम कानूनों में परिवर्तन, लॉकडाउन अवधि में श्रमिकों को भुगतान नहीं करने और उनकी छटनी करने सहित अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार नहीं देना, बैंक, बीमा और सार्वजनिक क्षेत्रों के उद्योगों का विनिवेशीकरण करने, रेलवे का निजीकरण करने, केंद्र एवं राज्य कर्मचारियों के डीए को फ्रीज करने और आर्थिक राहत पैकेज का लाभ श्रमिकों को नहीं देने, पेट्रोल-डीजल सहित अन्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी, बेरोजगारी पर नियंत्रण नहीं करने, स्कीम वर्कर्स को स्थायी नहीं करने सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया है.

labor movement in Jaipur, labor organization movement
12 सूत्री मांगों को लेकर दिया ज्ञापन

12 सूत्रीय मांग पत्र के साथ राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन...

  1. बढती बेरोजगारी और बढती महंगाई पर रोक की मांग
  2. श्रम कानूनों में किए गए मजदूर विरोध संशोधनों को निरस्त कर वापस लेने की मांग
  3. न्यूनतम वेतन कम से कम 21 हजार रुपए करने की मांग रखी
  4. ठेकदारी प्रथा समाप्त करने की मांग की, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू करने की मांग रखी
  5. मजदूर आंदोलन में पुलिस हस्तक्षेप बंद करने की मांग की
  6. सभी को सामाजिक सुरक्षा और 10 हजार रुपये पेंशन लागू करने की मांग और सस्ती दरों पर आवास देने की मांग की
  7. योजनाकर्मी आंगनबाड़ी, आशा साथिन, सहयोगिनी, मिड-डे-मील वर्कर्स को नियमित करने की मांग की, पर्याप्त बजट आवंटन करते हुए निजीकरण बंद करने की मांग की
  8. सभी असंगठित श्रमिकों और खेतिहर मजदूरों के लिए अलग-अलग सर्वव्यापी कानून बनाने की मांग
  9. बोनस, पीएफ, ईएसआई सहित श्रम कानूनों में लगाई गई सीमाओं को समाप्त करते हुए पीएफ में ब्याज दर बढ़ाई जाए
  10. खुदरा व्यापार में विदेशी पूंजी निवेश पर रोक लगाए
  11. ट्रेड यूनियनों का पंजीकरण 15 दिन में लागू करने की मांग
  12. सार्वजनिक उद्योगों और राजस्थान रोडवेज और जयपुर व अन्य नगरीय परिवहन सेवाओं सहित शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य जन उपयोगी सेवाओं का निजीकरण बंद करने की मांग की.

पढ़ें- प्राइवेट स्कूलों में फीस को लेकर मचे बवाल पर ETV BHARAT का पैनल डिस्कशन

साथ ही बैंक, बीमा सहित राजकीय उपक्रमों को निजीकरण करना बंद करे. सार्वजनिक उपक्रमों व नवरत्नों भारतीय हवाई सेवा, रेल, कोयला, पेट्रोलियम, खाद कारखाने, बीएसएनएल, डाक, रक्षा उत्पाद, कोयला खदानें, बीमा-बैंक सहित उद्योगों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का निर्णय वापस लेने की मांग की.

कोरोना महामारी व लॉकडाउन ने मजदूरों को भूखों मरने पर मजबूर कर दिया है. केंद्र व राज्य सरकार ने घोषणा तो यह कि थी कि किसी मजदूर को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा. लॉकडाउन में पूरा वेतन मिलेगा और किराए पर रहने वाले मजदूरों से किराया नहीं लिया जाएगा, लेकिन इन घोषणाओं को अधिकांश पूंजीपति-मालिकों ने नहीं माना और 17 मई को तो केंद्र सरकार ने अपनी इस घोषणा को वापस ले लिया है.

जयपुर. केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर शुक्रवार को श्रम आयुक्त कार्यालय पर देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन किया गया. श्रमिक संगठनों के लोगों ने सोशल डिस्टेसिंग की पालना करते हुए केंद्र सरकार की श्रमिक नीतियों के विरोध में काला छाता लेकर विरोध-प्रदर्शन किया.

श्रमिक संगठनों ने काला छाता लेकर किया विरोध प्रदर्शन

श्रमिक संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते देश में विकास दर गिरती जा रही है. बेरोजगारी और महंगाई तेजी से बढ़ रही है. जिसका विपरीत असर मजदूर-किसान और आम गरीब मेहनतकश लोगों पर पड़ रहा है. इसके बाद केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने राष्ट्रपति के नाम श्रम आयुक्त को 12 सूत्री मांग पत्र के साथ ज्ञापन सौंपा है.

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केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयोजक मुकेश माथुर ने बताया कि केंद्र सरकार ने अपने 100 दिन के शासन काल में ही 44 श्रम कानूनों को देश के नैगमिक औद्योगिक घरानों-पूंजीपति मालिकों के पक्ष में बदलने का काम शुरू किया था. वेज कोड बिल पारित करके मजदूर वर्ग पर बड़ा हमला बोला था. केंद्र सरकार ने पूंजीपतियों को शोषण की छूट देने और मुनाफे की लूट को बढ़ाने के लिए पूरे देश में श्रम कानूनों के निरीक्षण पर पूरी तरह से अंकुश लगा दिया है.

पढ़ें- रेलवे के निजीकरण के विरोध में जोधपुर में कर्मचारियों का प्रदर्शन

साथ ही कहा कि सरकार संसद में पारित ईएसआई और पीएफ जैसे श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा संस्थाानों को भी कमजोर करना चाहती है. विरोध प्रदर्शन में श्रम कानूनों में परिवर्तन, लॉकडाउन अवधि में श्रमिकों को भुगतान नहीं करने और उनकी छटनी करने सहित अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार नहीं देना, बैंक, बीमा और सार्वजनिक क्षेत्रों के उद्योगों का विनिवेशीकरण करने, रेलवे का निजीकरण करने, केंद्र एवं राज्य कर्मचारियों के डीए को फ्रीज करने और आर्थिक राहत पैकेज का लाभ श्रमिकों को नहीं देने, पेट्रोल-डीजल सहित अन्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी, बेरोजगारी पर नियंत्रण नहीं करने, स्कीम वर्कर्स को स्थायी नहीं करने सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया है.

labor movement in Jaipur, labor organization movement
12 सूत्री मांगों को लेकर दिया ज्ञापन

12 सूत्रीय मांग पत्र के साथ राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन...

  1. बढती बेरोजगारी और बढती महंगाई पर रोक की मांग
  2. श्रम कानूनों में किए गए मजदूर विरोध संशोधनों को निरस्त कर वापस लेने की मांग
  3. न्यूनतम वेतन कम से कम 21 हजार रुपए करने की मांग रखी
  4. ठेकदारी प्रथा समाप्त करने की मांग की, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू करने की मांग रखी
  5. मजदूर आंदोलन में पुलिस हस्तक्षेप बंद करने की मांग की
  6. सभी को सामाजिक सुरक्षा और 10 हजार रुपये पेंशन लागू करने की मांग और सस्ती दरों पर आवास देने की मांग की
  7. योजनाकर्मी आंगनबाड़ी, आशा साथिन, सहयोगिनी, मिड-डे-मील वर्कर्स को नियमित करने की मांग की, पर्याप्त बजट आवंटन करते हुए निजीकरण बंद करने की मांग की
  8. सभी असंगठित श्रमिकों और खेतिहर मजदूरों के लिए अलग-अलग सर्वव्यापी कानून बनाने की मांग
  9. बोनस, पीएफ, ईएसआई सहित श्रम कानूनों में लगाई गई सीमाओं को समाप्त करते हुए पीएफ में ब्याज दर बढ़ाई जाए
  10. खुदरा व्यापार में विदेशी पूंजी निवेश पर रोक लगाए
  11. ट्रेड यूनियनों का पंजीकरण 15 दिन में लागू करने की मांग
  12. सार्वजनिक उद्योगों और राजस्थान रोडवेज और जयपुर व अन्य नगरीय परिवहन सेवाओं सहित शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य जन उपयोगी सेवाओं का निजीकरण बंद करने की मांग की.

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साथ ही बैंक, बीमा सहित राजकीय उपक्रमों को निजीकरण करना बंद करे. सार्वजनिक उपक्रमों व नवरत्नों भारतीय हवाई सेवा, रेल, कोयला, पेट्रोलियम, खाद कारखाने, बीएसएनएल, डाक, रक्षा उत्पाद, कोयला खदानें, बीमा-बैंक सहित उद्योगों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का निर्णय वापस लेने की मांग की.

कोरोना महामारी व लॉकडाउन ने मजदूरों को भूखों मरने पर मजबूर कर दिया है. केंद्र व राज्य सरकार ने घोषणा तो यह कि थी कि किसी मजदूर को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा. लॉकडाउन में पूरा वेतन मिलेगा और किराए पर रहने वाले मजदूरों से किराया नहीं लिया जाएगा, लेकिन इन घोषणाओं को अधिकांश पूंजीपति-मालिकों ने नहीं माना और 17 मई को तो केंद्र सरकार ने अपनी इस घोषणा को वापस ले लिया है.

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