जयपुर. कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है. यह पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. छोटी काशी जयपुर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. गुलाबी नगरी में आराध्य गोविंद देव जी तो प्रधान है, लेकिन गोपीनाथ जी, राधा विनोद जी और राधा दामोदर जी मंदिरों का भी महत्व काफी है. खासकर चौड़े रास्ते में ताड़केश्वर मंदिर के सामने स्थित राधा दामोदर मंदिर.
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जहां 500 सालों से जन्माष्टमी पर दोपहर 12 बजे कान्हा का जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है. जिसका इस बार भी निर्वहन किया गया. यहां मंदिर महंत मलय गोस्वामी ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन कर भगवान का पंचामृत से अभिषेक किया और विशेष साज शृंगार किया गया. हालांकि इस बार कोरोना के चलते अभिषेक कार्यक्रम को भव्य रूप देने के बजाय सामान्य किया गया.
मंदिर महंत के अनुसार राधा दामोदर जी की मूर्ति वृंदावन से तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह के आग्रह पर जयपुर लाकर स्थापित की गई थी. राधा दामोदर के विग्रह के लिए कहा जाता है कि श्री गोविंद विग्रह के प्राप्तकर्ता रूप गोस्वामी ने इसका रहस्य निर्माण किया और अपने भतीजे जीव गोस्वामी को सेवा पूजा के लिए सौंप दिया. राधा दामोदर की सेवा का प्राकट्य माघ शुक्ल दशमी संवत 1599 का माना जाता है.
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इसकी विशेषता ये है कि दूसरे मंदिरों से अलग यहां जन्माष्टमी पर भगवान का अभिषेक दिन में दोपहर 12 बजे होता है. राधा दामोदर जी की ये परंपरा वृंदावन से चली आ रही है. कृष्ण जन्मोत्सव दोपहर में मनाने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि दामोदर ठाकुर जी के नटखट बाल स्वरूप हैं और जिस तरह बच्चों को देर रात तक नहीं जगाया जाता, उसी तरह दामोदर जी का भी दोपहर में अभिषेक कर शाम तक नंदोत्सव मनाने के बाद 12 बजे से पहले ही मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं.