जयपुर. केंद्रीय कृषि कानून को लेकर किसान महापंचायत अभियान चलाएगी. किसान महापंचायत की ओर से प्रदेश भर में यह अभियान चलाया जाएगा. इसके साथ ही किसान अधिकार यात्राएं भी निकाली जाएंगी. हालांकि, किसान महापंचायत ने लाल किले पर 26 जनवरी को हुई घटना पर विरोध जताया है.
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया कि 26 जनवरी को हुई घटना ने 2 महीने से चल रहे शांतिपूर्वक किसान आंदोलन को झटका दिया है. घटना को अंजाम देने वाले व्यक्तिओं को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि इससे प्रतीत होता है कि यह सरकारी षड्यंत्र है. इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और जांच में पूरी सच्चाई सामने आनी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसान नेतृत्व की चूक के चलते इस तरह की घटना हुई है. शांतिपूर्वक तरीके से ही आंदोलन चलता तो इस तरह की घटना नहीं होती.
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रामपाल जाट ने कहा कि हम शांति और अहिंसा को रणनीति के रूप में काम लेते हैं. उन्होंने कहा कि किसान महापंचायत के सभी सदस्यों के साथ बैठक कर चर्चा की गई है. चर्चा में एक प्रस्ताव रखे गए हैं कि 10 साल से न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद की गारंटी का जो आंदोलन जारी था, उसे गांव-गांव तक चलाएंगे. इससे सत्य अहिंसा और शांति की पालना होगी.
जाट ने कहा कि गुप्तचर तंत्र पुलिस प्रशासन और किसान आंदोलन के नेतृत्व की चूक के कारण शांतिपूर्ण आंदोलन को झटका लगा है. सत्य, शांति, हिंसा के मार्ग पर चलने को रणनीति मानकर नारे के रूप में उपयोग करने और उस मार्ग में निष्ठा के अभाव के कारण यह चूक हुई है. 48 घंटे बाद भी लाल किले की घटना की जिम्मेदारी लेने वालों की गिरफ्तारी नहीं हुई है. इसमें आंदोलन को कमजोर करने के लिए सरकारी षड्यंत्र की संभावना नजर आ रही है. इन सब को देखते हुए किसान महापंचायत की ओर से अभियान चलाया जाएगा. गांव गांव जाकर जागरण किया जाएगा. 10 साल से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी के आंदोलन की मजबूती के लिए बारां मॉडल पर अभियान चलाया जाएगा.
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उन्होंने कहा कि आंदोलन शांति, अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने से ही सफल होगा. इस आंदोलन में हिंसा का कोई स्थान नहीं है. रामपाल जाट ने कहा कि उन्होंने 21 जनवरी को सिख मोर्चा छोड़ दिया था. 30 जनवरी को 1 दिन का उपवास रखा जाएगा. तीनों कृषि कानून को वापस करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी को लेकर गांव-गांव तक आंदोलन चलाया जाएगा.