जयपुर. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला अब यादों में (Kirori Singh Bainsla remembered) है. जेहन में वो समय, वो परिस्थिति, वो जुझारू शख्स सब एक साथ कौंध रहा है. उनकी कही की चर्चा चौतरफा है. अपनी बात न मानने वाली सरकार की आंखों में आंखे डालकर डंके की चोट पर कहा था- पटरी से मुझे बन्दूक की गोली या सरकार का समझौता पत्र ही हिला सकता है. अपने हीरो के इन शब्दों को याद कर (patron and leader of Gurjar Aarakshan Sangharsh Samiti) समाज के लोग आखिरी सलामी देने के लिए उमड़ रहे हैं. पार्थिव देह को जयपुर खातीपुरा स्थित निजी आवास पर अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया है.
रिटायर फौजी ने रखी आंदोलन की नींव: अपने देश और समाज के लिए कर्नल का समर्पण गजब का था. सेना से रिटायर हुए तो अपने गुर्जर समाज की बेहतरी के लिए काम किया. 20 साल देश को देने के बाद गांव लौटे तो अपने अपनों के होकर रह गए. 2007 में एक ऐसा मूवमेंट शुरू किया जिसकी धमक आज भी सुनाई देती है. साल 2007 में पहली बार गुर्जर समाज को आरक्षण दिलवाने के लिए एक बड़े मूवमेंट की शुरुआत की. उस वक्त बैंसला ने सीना ठोक कर कहा था 'मुझे समाज को आरक्षण दिलवाने के लिए पहली बार इतने बड़े स्तर पर आंदोलन की शुरुआत करनी पड़ी है'. जब तक गुर्जर समाज को आरक्षण (yadon mein Bainsla) नहीं मिलेगा आंदोलन जारी रहेगा'.
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याद है सबको पटरी पर बैठे जिब्राल्टर की चट्टान: कर्नल के सीनियर उनकी जाबांजी के कायल थे उन्हें जिब्राल्टर की चट्टान और इंडियन रेम्बो जैसे उपनामों से याद करते थे. इस चट्टान की सख्ती तब भी दिखी जब आंदोलन की राह में इन्होंने रेलवे ट्रैक पर लेटना मंजूर किया. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के कहे शब्द गुर्जरों के हौसलों को बुलंद करते रहे. आज उनके शब्द दोहराए जाते हैं. उनसे समाज के लोगों का हौसला बढ़ता है. उन्होंने तब कहा था- पटरी से या गोली मुझे हटा सकती है या फिर सरकार की ओर से आरक्षण का समझौता पत्र.
सरकार से लिया लोहा तनी बंदूकों के आगे नहीं झुके कर्नल: वसुंधरा सरकार में जब गुर्जर आंदोलन पीक पर था तब 70 से ज्यादा गुर्जर समाज के लोगों की जान चली गई थी. पुलिस और गुर्जर समाज के बीच बंदूकें तनी हुई थीं. उस वक्त कर्नल को वार्ता के लिए जयपुर बुलाया गया तब कुछ लोगों ने बैंसला को वार्ता में जाने से मना किया. कहा था कि अगर आप जयपुर गए तो गिरफ्तार कर लिए जाओगे. उस वक्त भी कर्नल बैंसला ने कहा था समाज के बच्चों के भविष्य के लिए जेल तो क्या सीने में गोली भी लग जाए तो चिंता नहीं. आत्मविश्वास से लबरेज गुर्जर नेता ने कहा था- जीवन मे देश की सेवा में कोई कमी नही रखी अंतिम समय में एक-एक पल समाज के लिए लगाऊंगा.
पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार: गुर्जर समाज के प्रतिनिधि और राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने 81 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. दो बार कोरोना की चपेट में आने के बाद पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे कर्नल ने गुरुवार 31 मार्च 2022 की सुबह अंतिम सांस ली. सुबह अचानक तबीयत खराब होने के बाद उनके बेटे विजय बैंसला उनको सीकर रोड स्थित मणिपाल अस्पताल लेकर पहुंचे जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. कर्नल के बेटे विजय बैंसला ने बताया कि कर्नल साहब की पार्थिव देह पूरे दिन आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखी गई है. कर्नल साहब का अंतिम संस्कार पैतृक गांव मुंडिया में ही किया जाएगा. पार्थिव देह शुक्रवार सुबह 6 बजे जयपुर से करौली स्थित उनके गांव मुंडिया के लिए निकलेगी. जहां दोपहर 3 बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा.
आम से खास सब देने पहुंचे श्रद्धांजलि: कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन का समाचार सुनते ही पूरे गुर्जर समाज में शोक की लहर व्याप्त हो गई. सुबह से ही लोगों के आवास पर आने का सिलसिला जारी रहा. हर दल से जुड़ा नेता उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित कर रहा है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ पहुंचे तो उस शख्सियत को याद किया और माना कि उनका जाना उनके समाज का ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है. यहीं मंत्री विश्वेंद्र सिंह भी पहुंचे. अपने संबंधों को याद किया और कहा कि ऐसी शख्सियत को खोया है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती है.