जयपुर. जवाहर कला केंद्र के मध्यवर्ती में कथक बेले के अनूठे फेस्टिवल "कथा बेले" की रविवार शाम को शुरूआत हुई. इस चार दिवसीय इस फेस्टिवल के पहले दिन दिल्ली की रचना यादव की संकल्पना और कोरियोग्राफी पर आधारित "आराध्या " प्रस्तुति में कथक की अनेक भाव पूर्ण और तकनीकी कौशल से सराबोर प्रस्तुतियों का कलाप्रेमियों ने जमकर लुत्फ उठाया.
वहीं लखनऊ कथक घराने पर आधारित इन प्रस्तुति में बेहतरीन कोरियोग्राफी और विभिन्न "लय" के माध्यम से चार प्रमुख हिंदू देवताओं - भगवान गणेश, दुर्गा, कृष्ण और शिव की स्तुति की. इस प्रस्तुति में सबसे विशेष आकर्षण जयपुर घराने का कवित्त का उपयोग भी देखने को मिला. कलाकारों ने इस मौके पर कथक के गहरे तकनीकी ज्ञान में निबद्ध अनेक प्रस्तुतियों के अलावा तीन ताल में ठाट, उठान, आमद, परण आमद, प्रमेलु, तोडे, टूकडे, गत निकास आदि को खास अंदाज में पेश किया.
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कार्यक्रम की शुरुआत विलम्बित लय तीन ताल एवं राग वाचस्पति में पिरोई गणेश स्तुति "विध्न हरण गणपति गजानंद" से हुई. इसके पश्चात् कलाकारों ने मध्य लय तीन ताल एवं राग अहीर भैरव में "दुर्गा अष्टकम" की भावपूर्ण स्तुति दी. इसी प्रकार कृष्ण स्तुति "भजे व्रजैक मण्डन" द्रुत लय तीन ताल एवं राग मिश्र में कलाकारों ने समां बांध दिया. राग विभास एवं द्रुत तीन ताल में पेश की गई शिव स्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.