जयपुर. राज्यपाल का पद आराम करने का नहीं बल्कि निरंतर कार्य करने का है. संविधान की पालना में हो रहे अतिक्रमण को रोकने का काम भी राज्यपाल का ही होता है. ये बातें राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपने 2 साल के कार्यकाल पूर्ण होने पर 'सर्वांगीण विकास की नई राह- प्रतिबद्धता के दो वर्ष' पुस्तक के लोकार्पण समारोह में कहीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि भविष्य में भी उनकी प्राथमिकता रहेगी कि राजभवन सभी के लिए खुला रहे और संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत सभी समान रूप से लाभान्वित हों.
इस दौरान कलराज मिश्र ने संविधान को लोकतंत्र का प्राण और मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि लोगों को पता चलना चाहिए कि राज्य के प्रथम नागरिक के रूप में राज्यपाल कैसे कार्य करता है, इसीलिए उन्होंने राजभवन को निंरतर सकारात्मक गतिशील बनाए रखा. प्रतिदिन लोगों को मिलने का समय दिया. राजभवन के द्वार ऐसे लागों के लिए भी खोले जो पहले यहां प्रवेश नहीं पा सकते थे.
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उन्होंने राजभवन के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों में राहत के किए किए प्रयासों, आदिवासी युवाओं के रोजगार के लिए कोचिंग कक्षाओं को प्रभावी करने, आदिवासी क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के लिए हुए प्रयासों की जानकारी दी. राज्यपाल ने कहा कि सभी नागरिक संविधान की मूल भावना और अपने मौलिक कर्तव्यों के लिए जागरूक बनें, इस दिशा में विधानसभा में बजट अभिभाषण से पहले संविधान की प्रस्तावना और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाकर देश में नवीन परिपाटी की स्थापना हुई.
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प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में युवा पीढ़ी को संविधान के प्रति जागरूक करने के लिए सविधान पार्कों के निर्माण और राजभवन परिसर में भी संविधान पार्क के निर्माण की पहल हुई. मिश्र ने कहा कि कुलाधिपति के रूप में विश्वविद्यालयों के जरिए गांवों के विकास, कोविड प्रबंधन में सहयोग, आदिवासी क्षेत्रों के कल्याण आदि के लिए निरंतर कार्य किए जा रहे हैं. विश्वविद्यालयों की ओर से सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत गांव गोद लेकर उनमें स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता देने के साथ केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं से उन्हें स्मार्ट विलेज के रूप में रूपान्तरित किया जा रहा है.
उन्होंने कोविड के दौरान पश्चिम क्षेत्र कला केन्द्र की ओर से कलाकारों को आर्थिक सहयोग के लिए की गई पहल, रेडक्रॉस सोसायटी के 23 जिलां में गठन, स्काउटिंग के जरिए कोविड में सहयोग और अन्य स्तरों पर राजभवन की सक्रियता की चर्चा करते हुए कहा कि सर्वांगीण विकास के लिए कार्य हो, यही उनकी प्राथमिकता रही है.
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राज्यपाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति को विश्वविद्यालयों में व्यावहारिक रूप में लागू करने के लिए राजभवन की ओर से कुलपतियों का तीन दिवसीय विशेष सम्मेलन आयोजित किया गया. कोविड के दौर में भी उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने और वैश्विक चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में विश्वविद्यालयों को सुदृढ़ करने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है. विश्वविद्यालयों को तकनीकी और विज्ञान विषयों से जुड़े पाठ्यक्रम अंग्रेजी के साथ हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में भी तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं जिस पर विश्वविद्यालयों की की ओर से कार्य प्रारंभ कर दिया गया है. कोविड के दौर में विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह ऑनलाइन आयोजित किए गए.
कलराज ने कहा कि राज्यपाल राहत कोष का पुनर्गठन कर इसका प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया गया है. राहत कोष का दायरा बढ़ाकर उसके उद्देश्य को व्यापक कर ऐसे जरूरतमंदों को सहायता दी गई है जिन्हें पहले कोई सहायता नहीं मिल रही थी. राहत कोष से प्रधानमंत्री केयर्स फंड और मुख्यमंत्री राहत कोष में सहायता देने के साथ ही बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए विशेष आर्थिक सहयोग प्रदान किया गया है. पुस्तक में कलराज मिश्र के राज्यपाल बनने के बाद 2 साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाई गईं हैं.