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JRRSU Convocation: राज्यपाल बोले-संस्कृत के प्राचीन जीवनोपयोगी ग्रंथों का हिंदी और अन्य भाषाओं में हो अनुवाद - ETV Bharat Rajasthan News

राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र ने संस्कृत एवं संस्कृत के प्राचीन शास्त्रों से आमजन को जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाने पर बल दिया है. उन्होंने जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह (Kalraj Mishra in JRRSU Convocation) में कहा कि संस्कृत के प्राचीन जीवनोपयोगी ग्रंथों का हिंदी और भारत की दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं में बड़े स्तर पर अनुवाद किया जाए.

JRRSU Convocation
संस्कृत विवि का चौथा दीक्षांत समारोह
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Published : Jan 19, 2022, 3:16 PM IST

Updated : Jan 19, 2022, 5:05 PM IST

जयपुर. जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय का चौथा दीक्षांत समारोह बुधवार को वर्चुअल मोड पर हुआ. राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र ने संस्कृत एवं संस्कृत के प्राचीन शास्त्रों से आमजन को जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाने पर बल दिया है. इस समारोह में 16,852 उपाधियों, 23 पीएचडी और 31 स्वर्ण पदकों का वितरण किया गया.

उन्होंने कहा कि संस्कृत के प्राचीन जीवनोपयोगी ग्रंथों का हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं में बड़े स्तर पर अनुवाद (Kalraj Mishra on Sanskrit books translation) किया जाए. आधुनिक विषयों को संस्कृत शिक्षा पाठ्यक्रमों में सम्मिलित करके नए जमाने के अनुरूप संस्कृत को सरल एवं सभी के लिए बोधगम्य बनाया जाना चाहिए. उन्होंने विश्वविद्यालय को प्राचीन भारतीय जीवन दर्शन से जुड़े मौलिक शोध और अनुसंधान का महत्वपूर्ण केंद्र बनाने का आह्वान भी किया. कुलाधिपति ने कहा कि संस्कृत सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति है और हमारे प्राचीन ज्ञान का मूल आधार है.

पढ़ें: JRRSU Convocation: संस्कृत विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह आज, पहली बार दिए जाएंगे प्रो. बीपी मौर्या और सागरमल जूनीवाल पुरस्कार

राज्यपाल ने कहा कि बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण संबंधित समस्याओं से बचने के लिए हमें वैदिक ज्ञान में जाने की आवश्यकता है. कोरोना काल में भी अभिवादन शैली, हाथ-पैर धोने के व्यवहार, आचमन, प्राणायाम, आसन शुद्धि, आहार शुद्धि सहित भारतीय आचार व्यवहार और ज्ञान-विज्ञान को दुनिया के देशों ने अपनाया.

पढ़ें: JRRSU PhD Admission : संस्कृत विश्वविद्यालय ने बढ़ाई पीएचडी के लिए आवेदन की तारीख, यहां जानें पूरी जानकारी

नवग्रह और नक्षत्र वाटिका के निर्माण पर जताई खुशी

राज्यपाल मिश्र ने विश्वविद्यालय में नवग्रह वाटिका एवं नक्षत्र वाटिका का निर्माण कार्य पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इन वाटिकाओं में 27 नक्षत्रों, 9 ग्रहों तथा 12 राशियों से संबद्ध पेड़-पौधे, ज्योतिष व आयुर्वेद के अनुसार वैज्ञानिक पद्धति से लगाए जा रहे हैं. इस पहल से नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति को जानने-समझने का अवसर मिलेगा.

पढ़ें: राजस्थान संस्कृत विश्‍वविद्यालय की शिक्षा शास्त्री परीक्षा 8 दिसंबर से, प्रदेश में बनाए 38 केंद्र

संस्कृत शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रसार को लेकर राज्य सरकार सतत प्रयत्नशील है. जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय ही प्रदेश में ऐसा एकमात्र विश्वविद्यालय है, जिसका कार्यक्षेत्र पूरा प्रदेश है. संस्कृत विश्वविद्यालय एवं संबद्ध महाविद्यालयों में क्रेडिट बेस्ड चॉइस सिस्टम लागू किया गया है. कुलपति डॉ. अनुला मौर्य ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि कोरोना महामारी के दौर में विश्वविद्यालय में ऑनलाइन शिक्षा एवं शोध कार्य के माध्यम से शिक्षण व्यवस्था सुचारू रखने के पूरे प्रयास किए गए हैं.

जयपुर. जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय का चौथा दीक्षांत समारोह बुधवार को वर्चुअल मोड पर हुआ. राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र ने संस्कृत एवं संस्कृत के प्राचीन शास्त्रों से आमजन को जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाने पर बल दिया है. इस समारोह में 16,852 उपाधियों, 23 पीएचडी और 31 स्वर्ण पदकों का वितरण किया गया.

उन्होंने कहा कि संस्कृत के प्राचीन जीवनोपयोगी ग्रंथों का हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं में बड़े स्तर पर अनुवाद (Kalraj Mishra on Sanskrit books translation) किया जाए. आधुनिक विषयों को संस्कृत शिक्षा पाठ्यक्रमों में सम्मिलित करके नए जमाने के अनुरूप संस्कृत को सरल एवं सभी के लिए बोधगम्य बनाया जाना चाहिए. उन्होंने विश्वविद्यालय को प्राचीन भारतीय जीवन दर्शन से जुड़े मौलिक शोध और अनुसंधान का महत्वपूर्ण केंद्र बनाने का आह्वान भी किया. कुलाधिपति ने कहा कि संस्कृत सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति है और हमारे प्राचीन ज्ञान का मूल आधार है.

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राज्यपाल ने कहा कि बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण संबंधित समस्याओं से बचने के लिए हमें वैदिक ज्ञान में जाने की आवश्यकता है. कोरोना काल में भी अभिवादन शैली, हाथ-पैर धोने के व्यवहार, आचमन, प्राणायाम, आसन शुद्धि, आहार शुद्धि सहित भारतीय आचार व्यवहार और ज्ञान-विज्ञान को दुनिया के देशों ने अपनाया.

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नवग्रह और नक्षत्र वाटिका के निर्माण पर जताई खुशी

राज्यपाल मिश्र ने विश्वविद्यालय में नवग्रह वाटिका एवं नक्षत्र वाटिका का निर्माण कार्य पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इन वाटिकाओं में 27 नक्षत्रों, 9 ग्रहों तथा 12 राशियों से संबद्ध पेड़-पौधे, ज्योतिष व आयुर्वेद के अनुसार वैज्ञानिक पद्धति से लगाए जा रहे हैं. इस पहल से नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति को जानने-समझने का अवसर मिलेगा.

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संस्कृत शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रसार को लेकर राज्य सरकार सतत प्रयत्नशील है. जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय ही प्रदेश में ऐसा एकमात्र विश्वविद्यालय है, जिसका कार्यक्षेत्र पूरा प्रदेश है. संस्कृत विश्वविद्यालय एवं संबद्ध महाविद्यालयों में क्रेडिट बेस्ड चॉइस सिस्टम लागू किया गया है. कुलपति डॉ. अनुला मौर्य ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि कोरोना महामारी के दौर में विश्वविद्यालय में ऑनलाइन शिक्षा एवं शोध कार्य के माध्यम से शिक्षण व्यवस्था सुचारू रखने के पूरे प्रयास किए गए हैं.

Last Updated : Jan 19, 2022, 5:05 PM IST
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