जयपुर. भाजपा विधायक और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ ने कोरोना काल में खरीदे गए ऑक्सीमीटर और आरटीपीसीआर किट की खरीद में अनियमितता के आरोप लगाते हुए जांच की रखी की. एसएमएस अस्पताल के विस्तार के लिए मुख्य सचिव और डीजीपी को आवंटित बंगलों की जमीन लेने का मामला भी सराफ ने विधानसभा में उठाया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बजट भाषण में कांग्रेस विधायकों की विधानसभा किशनपोल और हवा महल में तो अस्पतालों के लिए पैसे दिए लेकिन क्या दूसरे इलाकों के अस्पतालों के लिए पैसों की जरूरत नहीं थी.
कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र वाली अस्पतालों को पैसे देने पर घेरा
राजस्थान विधानसभा में बुधवार को चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य और सफाई की अनुदान मांगों पर चर्चा हुई. चर्चा में भाग लेते हुए प्रदेश के पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा कि बजट भाषण में 50 करोड़ गणगौरी अस्पताल के लिए और बजट के रिप्लाई में किशनपोल में नया अस्पताल बनाने के लिए 50 करोड़ की स्वीकृति जारी की. सराफ ने कहा कि जहां कांग्रेस के विधायक हैं वहां के अस्पतालों को पैसा दिया गया. जबकि पिछली सरकार ने बिना किसी भेदभाव के अस्पतालों को पैसा दिया गया था.
चिकित्सकों के रिक्त पदों को लेकर सवाल
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने जयपुर के दूसरे अस्पतालों के साथ अन्याय किया है. उन्होंने प्रदेश के 15 मेडिकल कॉलेजों का स्टेटस भी पूछा. सराफ ने कहा कि जो 7 नए मेडिकल कॉलेज हमारे समय में शुरू हुए थे उसमें 609 पर चिकित्सकों के स्वीकृत हैं. उनमें से 319 कार्यरत हैं और 290 पद अभी तक रिक्त हैं. उन्होंने रिक्त पदों को कब तक भरा जाएगा इस संबंध में भी सरकार से जवाब की मांग की. सराफ ने एसएमएस अस्पताल में जमीन की कमी के चलते विस्तार नहीं होने की समस्या को सुलझाने का सुझाव भी दिया.
एसएमएस के विस्तार को लेकर दिया सुझाव
सराफ ने कहा कि एसएमएस अस्पताल के पास में मुख्य सचिव और डीजी का बंगला है. इन दोनों को अगर मुख्यमंत्री आवास के आसपास शिफ्ट कर दिया जाए और यह बंगले एसएमएस अस्पताल को दे दिए जाएं तो एसएमएस का अस्पताल का विस्तार किया जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि जेके लोन अस्पताल में एलर्जी टेस्ट की मशीनें बिना परमिशन के लगाई गई. क्योंकि 25 लाख से ज्यादा की मशीनें खरीदने के लिए परमिशन लेनी होती है. लेकिन दान में मशीन देना बताया गया और 25 लाख की मशीन तो दान से लगाई लेकिन जो उसमें रिएजेंट लगता है उसको खरीदने के लिए एमओयू जेके लोन अस्पताल ने यह किया कि वह मशीन बनाने वाली कंपनी से ही लगाई जाएगी.
rt-pcr किट की खरीद में धांधली का आरोप
इससे मशीन की कीमत तो निकल ही गई साथ ही बंदरबांट हो रही है. जिनके खिलाफ सरकार कार्रवाई करे. कोरोना काल में हो रहे rt-pcr जांच के किट बाजार में 55 से 100 रुपये की कीमत में मिल रहे हैं. लेकिन उसकी 265 रुपये में खरीद बिना किसी टेंडर के की गई. रोजाना 5000 जांचें हो रही हैं. यानी प्रदेश में 1 महीने में एक लाख से ज्यादा जांच हो रही हैं और प्रदेश को 35 लाख का नुकसान हो रहा है. सराफ ने इस मामले में कार्रवाई की मांग की.
ऑक्सीमीटर की क्वालिटी पर उठाए सवाल
सराफ ने सदन में ऑक्सीमीटर लहराते हुए कहा कि ऑक्सीमीटर की मशीन जो ऑक्सीजन मापने के काम आती हैं. उसकी क्वालिटी यह थी कि उसमें अगर पेन डालेंगे तो वह पेन का भी ऑक्सीजन लेवल बता देगा. उन्होंने कहा कि ऑक्सीमीटर खरीदने के लिए सात कंपनियों ने टेंडर में भाग लिया. इनमें से छह कंपनियों को किसी न किसी कारण बताकर बाहर करक दिया गया. एक बीपीएल कंपनी को इसके लिए अधिकृत किया। इसमें भी कंपनी के कागजात सीए सर्टिफिकेट फर्जी थे. कंपनी माल बनाती नहीं थी और चाइना का माल सप्लाई किया गया.
उन्होंने कहा की कंपनी के पास यूरोपियन सी मॉडल होना चाहिए जो नहीं था. उसके साथ ही ऑक्सीमीटर की कीमत 1200 रुपये में तय की गई. जबकि बाजार में 500 से 600 रुपयों में ऑक्सीमीटर उपलब्ध है. सराफ ने आरोप लगाया की जो निर्जीव वस्तुओं की भी ऑक्सीजन बताता है. ऐसे ऑक्सीमीटर खरीदे गए जो अपने आप में कितना घिनौना मजाक मरीजों के साथ हुआ है. इसकी सरकार जांच करवाए. कैथ मशीनों की खरीद में हुई अनियमितता पर भी उन्होंने सवाल उठाए.