ETV Bharat / city

कजरी तीज है आज! अखंड सौभाग्य के लिए की जाती है मां पार्वती के नीमड़ी रूप की पूजा

author img

By

Published : Aug 25, 2021, 8:32 AM IST

Updated : Aug 25, 2021, 9:07 AM IST

आज कजरी तीज है. भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली इस तीज (Kajari Teej 2021) का बहुत महत्व है. आज मां पार्वती के नीमड़ी रूप को पूजा जाता है.

Kajari Teej 2021
कजरी तीज है आज

Kajari Teej 2021: आज कजरी तीज है. भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली इस तीज (Kajari Teej 2021) का बहुत महत्व है. हरियाली तीज की तरह ही इस व्रत में भी परिवार की सुख समृद्धि और सुहाग की लम्बी आयु के लिए भगवान शंकर(Lord Shiva) और मां पार्वती (Devi Parvati) की पूजा की जाती है. मां पार्वती के नीमड़ी रूप को पूजा जाता है.

हिंदी पंचांग के अनुसार, भादो मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती होने, संतान प्राप्ति और पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती है और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करती है. कुछ प्रांतों में कजरी/ कजली तीज को बूढ़ी तीज या सतूड़ी तीज के नाम से भी पुकारते हैं.

कजरी तीज व्रत की पूजन विधि (Kajri Teej Pujan Vidhi)

कजरी तीज को माता पार्वती के नीमड़ी रूप की पूजा होती है. सो, कजरी तीज के दिन सुबह स्नान आदि करके साफ कपड़ा पहने लें उसके बाद घर के पूजा स्थल पर व्रत रखने और पूजा करने का संकल्प लें. अब नीमड़ी माता की पूजा में भोग लगाने के लिए माल पुआ बनाएं. पूजन के लिए मिट्टी या गाय के गोबर से तालाब बनाएं. उसमें नीम की टहनी डाल कर उसपर लाल चुनरी रखकर नीमड़ी की स्थापना करें. संकल्प लें.

अब निर्जला व्रत रखते हुए 16 श्रृंगार कर माता का पूजन करें. नीमड़ी माता को हल्दी, मेहंदी, सिंदूर, चूड़िया, लाल चुनरी, सत्तू और माल पुआ चढ़ाएं.

Panchang 25 August : जानें शुभ मुहूर्त, तिथि, ग्रह-नक्षत्र की चाल और संकष्ट चतुर्थी के वो मंत्र जिनसे खुलेंगे कष्ट मुक्ति के द्वार!

ऐसे करें व्रत का पारण (Vrat Ki Paran Vidhi)

चंद्रमा का दर्शन करें और उन्हें अर्घ्य दें. तत्पश्चात पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का पारण करें. धार्मिक मान्यता है कि मां की कृपा से अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. कजरी तीज करवाचौथ से काफी मिलती जुलती है। इसमें पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम को चंद्रोदय के बाद व्रत खोला जाता है. कजरी तीज के दिन जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ा जाता है.

कजरी तीज 2021 शुभ मुहूर्त (Kajri Teej 2021 Subh Muhurat)

तृतीया तिथि 24 अगस्त को शाम 04 बजकर 04 मिनट पर आरंभ हो जाएगी, जो कि 25 अगस्त की शाम 04 बजकर 18 मिनट तक रहेगी.

कजरी तीज व्रत कथा (Kajri Teej Vrat Katha)

एक पौराणिक कथा के अनुसार, साहूकार के सात बेटों में सबसे छोटा बेटा अपाहिज था और उसे वेश्यालय जाने की बुरी आदत भी थी. वहीं उसकी पत्नी पतिव्रता और आज्ञाकारी नारी थी. वह सदैव पति की सेवा में लगी रहती थी. वह पति के कहने पर उसे कंधे पर बैठकर वेश्यालय तक भी ले जाती. एक बार वह पति को वेश्यालय में अंदर छोड़कर वापस आ रही थी.

तो वह वहीं पास की नदी के पास बैठकर पति के लौटने का इंतजार करने लगी. मूसलाधार वर्षा हुई और नदी बढ़ने लगी. तभी इस नदी से एक आवाज आई कि ‘आवतारी जावतारी दोना खोल के पी, पिया प्यालरी होय’. यह सुनते ही उसने देखा कि दूध से भर हुआ एक दोना नदी में तैरता हुआ उसी को ओर आ रहा है. उसने उस दोने का सारा दूध पी लिया. इसके बाद ईश्वर की कृपा से उसका पति वेश्याओं को छोड़ कर उससे प्रेम करने लगा. इसके बाद साहुकार की पत्नी ने ईश्वर को खूब आशीर्वाद दिया और नियमपूर्वक कजरी का व्रत पूजन करने लगी.

कजरी तीज का महत्व

इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं. मान्यता है कि, कुंवारी कन्याओं के लिए भी यह व्रत उत्तम है. कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही भगवान शंकर की कृपा से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर हो जाती हैं.

Kajari Teej 2021: आज कजरी तीज है. भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली इस तीज (Kajari Teej 2021) का बहुत महत्व है. हरियाली तीज की तरह ही इस व्रत में भी परिवार की सुख समृद्धि और सुहाग की लम्बी आयु के लिए भगवान शंकर(Lord Shiva) और मां पार्वती (Devi Parvati) की पूजा की जाती है. मां पार्वती के नीमड़ी रूप को पूजा जाता है.

हिंदी पंचांग के अनुसार, भादो मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती होने, संतान प्राप्ति और पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती है और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करती है. कुछ प्रांतों में कजरी/ कजली तीज को बूढ़ी तीज या सतूड़ी तीज के नाम से भी पुकारते हैं.

कजरी तीज व्रत की पूजन विधि (Kajri Teej Pujan Vidhi)

कजरी तीज को माता पार्वती के नीमड़ी रूप की पूजा होती है. सो, कजरी तीज के दिन सुबह स्नान आदि करके साफ कपड़ा पहने लें उसके बाद घर के पूजा स्थल पर व्रत रखने और पूजा करने का संकल्प लें. अब नीमड़ी माता की पूजा में भोग लगाने के लिए माल पुआ बनाएं. पूजन के लिए मिट्टी या गाय के गोबर से तालाब बनाएं. उसमें नीम की टहनी डाल कर उसपर लाल चुनरी रखकर नीमड़ी की स्थापना करें. संकल्प लें.

अब निर्जला व्रत रखते हुए 16 श्रृंगार कर माता का पूजन करें. नीमड़ी माता को हल्दी, मेहंदी, सिंदूर, चूड़िया, लाल चुनरी, सत्तू और माल पुआ चढ़ाएं.

Panchang 25 August : जानें शुभ मुहूर्त, तिथि, ग्रह-नक्षत्र की चाल और संकष्ट चतुर्थी के वो मंत्र जिनसे खुलेंगे कष्ट मुक्ति के द्वार!

ऐसे करें व्रत का पारण (Vrat Ki Paran Vidhi)

चंद्रमा का दर्शन करें और उन्हें अर्घ्य दें. तत्पश्चात पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का पारण करें. धार्मिक मान्यता है कि मां की कृपा से अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. कजरी तीज करवाचौथ से काफी मिलती जुलती है। इसमें पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम को चंद्रोदय के बाद व्रत खोला जाता है. कजरी तीज के दिन जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ा जाता है.

कजरी तीज 2021 शुभ मुहूर्त (Kajri Teej 2021 Subh Muhurat)

तृतीया तिथि 24 अगस्त को शाम 04 बजकर 04 मिनट पर आरंभ हो जाएगी, जो कि 25 अगस्त की शाम 04 बजकर 18 मिनट तक रहेगी.

कजरी तीज व्रत कथा (Kajri Teej Vrat Katha)

एक पौराणिक कथा के अनुसार, साहूकार के सात बेटों में सबसे छोटा बेटा अपाहिज था और उसे वेश्यालय जाने की बुरी आदत भी थी. वहीं उसकी पत्नी पतिव्रता और आज्ञाकारी नारी थी. वह सदैव पति की सेवा में लगी रहती थी. वह पति के कहने पर उसे कंधे पर बैठकर वेश्यालय तक भी ले जाती. एक बार वह पति को वेश्यालय में अंदर छोड़कर वापस आ रही थी.

तो वह वहीं पास की नदी के पास बैठकर पति के लौटने का इंतजार करने लगी. मूसलाधार वर्षा हुई और नदी बढ़ने लगी. तभी इस नदी से एक आवाज आई कि ‘आवतारी जावतारी दोना खोल के पी, पिया प्यालरी होय’. यह सुनते ही उसने देखा कि दूध से भर हुआ एक दोना नदी में तैरता हुआ उसी को ओर आ रहा है. उसने उस दोने का सारा दूध पी लिया. इसके बाद ईश्वर की कृपा से उसका पति वेश्याओं को छोड़ कर उससे प्रेम करने लगा. इसके बाद साहुकार की पत्नी ने ईश्वर को खूब आशीर्वाद दिया और नियमपूर्वक कजरी का व्रत पूजन करने लगी.

कजरी तीज का महत्व

इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं. मान्यता है कि, कुंवारी कन्याओं के लिए भी यह व्रत उत्तम है. कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही भगवान शंकर की कृपा से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर हो जाती हैं.

Last Updated : Aug 25, 2021, 9:07 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.