जयपुर. गुजरात सरकार के खिलाफ फैसले से चर्चाओं में आए जस्टिस अकील अब्दुल हमीद कुरैशी को राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजस्थान हाईकोर्ट चीफ जस्टिस पद की शपथ दिलाई. राजभवन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में मंगलवार को हुए कार्यक्रम में कुरैशी ने सीजे पद की शपथ ली. जस्टिस कुरैशी 7 मार्च 2022 को रिटायर होने वाले हैं. ऐसे में उनका कार्यकाल करीब साढे 5 महीने ही रहेगा. इस दौरान मुख्य सचिव सहित हाईकोर्ट के कई मौजूदा जज और वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद रहे.
ये है अब तक का सफर
जस्टिस कुरैशी का जन्म 7 मार्च 1960 को गुजरात में हुआ था. वर्ष 1980 में बीएससी करने के बाद उन्होंने वर्ष 1983 में वकालत की डिग्री ली थी. जुलाई 1983 में वकालत शुरू करने के बाद इन्हें 1992 से 1998 तक केंद्र सरकार एडिशनल स्टैंडिंग काउंसिल बनाया गया. इनकम टैक्स सहित विभिन्न विभागों में पैरवी करने के बाद इन्हें 7 मार्च 2004 को गुजरात हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया.
वहीं, 12 अगस्त 2005 को इन्हें गुजरात हाईकोर्ट के स्थाई न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई. जस्टिस कुरैशी को पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया था, लेकिन सरकार की आपत्तियों के बाद उन्हें त्रिपुरा भेज दिया गया. इसके बाद हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति को त्रिपुरा का सीजे बनाते हुए त्रिपुरा के सीजे एके कुरैशी को राजस्थान हाईकोर्ट भेजा गया है.
पढ़ें- Rajasthan High Court : कुरैशी राजस्थान के होंगे नए सीजे, महांति जाएंगे त्रिपुरा
जानकारी के अनुसार जस्टिस कुरैशी के दादा गुलाम रसूल कुरैशी गांधीजी के साथ काम किए हैं. उन्होंने सहयोगी के तौर पर दांडी यात्रा में हिस्सा लिया था. वहीं, जस्टिस कुरैशी के पिता हामिद क़ुरैशी सीनियर वकील रहने के साथ ही साबरमती आश्रम संरक्षण और स्मारक ट्रस्ट के ट्रस्टी भी रहे थे.
शाह और गुजरात सरकार के खिलाफ फैसले से आए चर्चा में
जस्टिस कुरैशी का कार्यकाल बेहद चर्चा में रहा है. खासतौर पर कुरैशी उस समय चर्चाओं में आए जब उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट में जज रहते हुए अमित शाह और गुजरात सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया था. साल 2010 में अमित शाह को सीबीआई हिरासत में भेजने का आदेश भी जस्टिस कुरैशी ने ही दिया था. कुरैशी ने साल 2012 में रिटायर्ड जस्टिस आरके मेहता की लोकायुक्त के रूप में नियुक्ति को बरकरार रखा था और यह फैसला भी उस समय गुजरात सरकार के खिलाफ ही था.