जयपुर. प्रदेश में सरकारी क्षेत्र की बिजली कंपनियों में कार्यरत कनिष्ठ अभियंताओं ने वेतन विसंगतियां दूर करने की मांग को लेकर जयपुर विद्युत भवन पर महापड़ाव शुरू कर दिया (Junior engineers started agitation on Vidyut Bhawan) है. महापड़ाव में जयपुर, अजमेर और जोधपुर विद्युत वितरण कंपनी के साथ ही विद्युत उत्पादन निगम और प्रसारण निगम से जुड़े कनिष्ठ अभियंता भी शामिल हुए. ऐसे में यदि महापड़ाव ज्यादा लंबा खींचा तो बिजली उत्पादन और वितरण का कार्य प्रभावित होना तय है.
प्रदेश के 5192 कनिष्ठ अभियंता महापड़ाव में शामिल: इससे पहले भी आंदोलनरत कनिष्ठ अभियंता की ऊर्जा विभाग और डिस्कॉम प्रबंधन से वार्ता हुई. लेकिन उसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया तो मजबूरन अभियंताओं ने महापड़ाव शुरू कर दिया. प्रदेश की बिजली कंपनियों में 5192 कनिष्ठ अभियंता तैनात हैं. पावर इंजीनियर एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने यदि हमारी मांगों का सकारात्मक निस्तारण नहीं किया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा.
आश्वासन के बाद भी दूर नहीं हुई वेतन विसंगति की मांग: एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत कुमार के अनुसार पिछले 7 साल में 3 बार ऊर्जा विभाग के स्तर पर हमारी वार्ता हुई. उन्होंने कहा हमें वेतन विसंगति दूर करने के सकारात्मक आश्वासन भी दिए गए, लेकिन वो आज तक पूरे नहीं हुए. प्रदर्शनकारी अभियंताओं का आरोप था पूर्व में 185 कोऑर्डिनेशन कमेटी की जो रिपोर्ट आई थी उसे लागू करने पर सहमति बनी थी. जिसके तहत समय बस इंक्रीमेंट प्रमोशन किया जाए और ग्रेड पे भी 5400 रूपए दी जाए. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार की नीति के चलते बिजली कंपनियों में तैनात अधिकतर कनिष्ठ अभियंताओं का कई सालों तक प्रमोशन नहीं हो पाया.
बिजली उपभोक्ताओं को हो सकती है परेशानी: बिजली कंपनियों में कनिष्ठ अभियंता का पद काफी महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि तकनीकी सहायकों और प्रशासन के बीच रूट की भूमिका में रहकर समन्वय का काम यही करते हैं. वहीं आम बिजली उपभोक्ताओं की समस्या का समाधान में भी कनिष्ठ अभियंताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. ऐसे में इन बिजली कंपनियों में तैनात इन कनिष्ठ अभियंताओं का महापड़ाव लंबा चला तो बिजली वितरण और उत्पादन में भी इसका असर देखने को मिलेगा.