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जयपुर : रिश्वत लेने वाली जेडीए इंस्पेक्टर को विशेष अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई

2007 के एक मामले में प्लॉट का विवाद सुलझाने की एवज में 5 लाख रुपए की रिश्वत लेने वाली तत्कालीन पंच निर्णायक और इंस्पेक्टर, सहकारिता जेडीए पार्वती मीणा को एसीबी मामलों की विशेष अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई है.

जयपुर में रिश्वत लेने वाली जेडीए गिरफ्तार,  JDA arrested for taking bribe in Jaipur,  जयपुर में रिश्वत लेने वाले इंस्पेक्टर गिरफ्तार,  Inspector arrested for taking bribe in Jaipur
रिश्वत लेने वाली जेडीए और इंस्पेक्टर को सजा
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Published : Dec 26, 2019, 9:15 PM IST

जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 ने कब्जेधारी और गृह निर्माण सहकारी समिति के विवाद में तत्कालीन पंच निर्णायक और इंस्पेक्टर, सहकारिता जेडीए पार्वती मीणा को तीन साल की सजा सुनाई है. दरअसल यह फैसला कब्जेधारी के पक्ष में फैसला देने की एवज में सुनाया गया. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर तीन लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि खातीपुरा निवासी राजवीर सिंह ने 19 नवंबर 2007 को एसीबी में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह अपने प्लॉट पर साल 1992 से काबिज है. इसके बाद साल 2002 में प्लॉट को दादा गनफूल सिंह के नाम से जेडीए में ट्रांसफर कराया था. इस दौरान उसे पता चला कि वैशाली अरबन कॉपरेटिव बैंक से उस प्लॉट पर चन्द्रकांता अजमेरा ने 13 लाख रुपए का लोन ले रखा है. इस पर उसने अलग से मुकदमा भी दर्ज कराया था.

पढ़ेंः सतीश पूनिया ने भरा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद पर नामांकन, औपचारिक घोषणा शुक्रवार को

वहीं बैंक ने लोन जमा नहीं होने पर 16 सितंबर 2004 को प्लॉट की नीलामी सूचना प्रकाशित करवा दी. प्रकरण को सुलझाने के लिए वह जेडीए में पंच निर्णायक के पद पर तैनात अभियुक्त से मिला. जहां अभियुक्त ने उसके पक्ष में फैसला देने के लिए पांच लाख रुपए मांगे. ब्यूरो ने पहली किश्त के पचास हजार रुपए लेते वक्त 23 नवंबर को अभियुक्त को रंगे हाथों गिरफ्तार किया.

जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 ने कब्जेधारी और गृह निर्माण सहकारी समिति के विवाद में तत्कालीन पंच निर्णायक और इंस्पेक्टर, सहकारिता जेडीए पार्वती मीणा को तीन साल की सजा सुनाई है. दरअसल यह फैसला कब्जेधारी के पक्ष में फैसला देने की एवज में सुनाया गया. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर तीन लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि खातीपुरा निवासी राजवीर सिंह ने 19 नवंबर 2007 को एसीबी में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह अपने प्लॉट पर साल 1992 से काबिज है. इसके बाद साल 2002 में प्लॉट को दादा गनफूल सिंह के नाम से जेडीए में ट्रांसफर कराया था. इस दौरान उसे पता चला कि वैशाली अरबन कॉपरेटिव बैंक से उस प्लॉट पर चन्द्रकांता अजमेरा ने 13 लाख रुपए का लोन ले रखा है. इस पर उसने अलग से मुकदमा भी दर्ज कराया था.

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वहीं बैंक ने लोन जमा नहीं होने पर 16 सितंबर 2004 को प्लॉट की नीलामी सूचना प्रकाशित करवा दी. प्रकरण को सुलझाने के लिए वह जेडीए में पंच निर्णायक के पद पर तैनात अभियुक्त से मिला. जहां अभियुक्त ने उसके पक्ष में फैसला देने के लिए पांच लाख रुपए मांगे. ब्यूरो ने पहली किश्त के पचास हजार रुपए लेते वक्त 23 नवंबर को अभियुक्त को रंगे हाथों गिरफ्तार किया.

Intro:जयपुर। एसीबी मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 ने कब्जेधारी और गृह निर्माण सहकारी समिति के विवाद में कब्जेधारी के पक्ष में फैसला देने की एवज में रिश्वत लेने वाली तत्कालीन पंच निर्णायक एवं इंस्पेक्टर, सहकारिता जेडीए पार्वती मीणा को तीन साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर तीन लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। Body:अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि खातीपुरा निवासी राजवीर सिंह ने 19 नवंबर 2007 को एसीबी में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह अपने प्लॉट पर वर्ष 1992 से काबिज है। वर्ष 2002 में प्लॉट को दादा गनफूल सिंह के नाम से जेडीए में ट्रांसफर कराया था। इस दौरान उसे पता चला कि वैशाली अरबन कॉपरेटिव बैंक से उस प्लॉट पर चन्द्रकांता अजमेरा ने 13 लाख रुपए का लोन ले रखा है। इस पर उसने अलग से मुकदमा भी दर्ज कराया था। वहीं बैंक ने लोन जमा नहीं होने पर 16 सितंबर 2004 को प्लॉट की नीलामी सूचना प्रकाशित करवा दी। प्रकरण को सुलझाने के लिए वह जेडीए में पंच निर्णायक के पद पर तैनात अभियुक्त से मिला। अभियुक्त ने उसके पक्ष में फैसला देने के लिए पंाच लाख रुपए मांगे। ब्यूरो ने पहली किश्त के पचास हजार रुपए लेने 23 नवंबर को अभियुक्त को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। Conclusion:
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