जयपुर. जयपुर में JCTSL की बसें कबाड़ होती जा रही हैं. अब तो डिपो पर डिफेक्ट बुक तक रखना बंद कर दिया गया है. अमूमन इन कंडम बसों को भी चलाने के लिए ड्राइवर-कंडक्टर पर दबाव बनाया जाता है. जो शहर वासियों की जान पर भी भारी पड़ सकता है.
राजधानी में जेसीटीएसएल के बगराना, टोडी और विद्याधर नगर डिपो से लो फ्लोर बसों का संचालन होता है. शहर के 25 रूट पर वर्तमान में करीब 222 बसें संचालित हो रही हैं. जबकि जेसीटीएसएल के बेड़े में 255 बसें मौजूद हैं. लेकिन एक समय में करीब 30 से 35 बसें कंडम हालत में डिपो पर ही खड़ी रहती हैं. जयपुर के टोडी डिपो में 87 में से 11 बसें कंडम हैं, 3 में परिचालक की कमी है. वहीं विद्याधर नगर डिपो में 92 में से 12 बसें कंडम हैं. जबकि बगराना डिपो की 47 में से 3 बसें खटारा हालत में हैं.
बीते दिनों ही जेसीटीएसएल की एक बस रिद्धि सिद्धि चौराहे पर धू-धू कर जल गई. कारण बस की वायरिंग में शॉर्ट सर्किट बताया गया. इससे पहले गांधीनगर रेलवे स्टेशन के पास भी लो फ्लोर बस में आग लग गई थी. इन हादसों के बावजूद न तो प्राइवेट फर्म ने बसों की सुध लेना बेहतर समझा और न ही प्रशासनिक अधिकारियों ने.
यही नहीं पहले सभी डिपो पर एक डिफेक्ट बुक रखी जाती थी. जिसमें ड्राइवर प्रतिदिन शाम को बसों की खराबी से संबंधित शिकायतें दर्ज कराता था. जिन्हें सर्विस के दौरान दुरुस्त करने के बाद ही बस सड़कों पर दौड़ती थी. लेकिन अब डिफेक्ट बुक रखना ही बंद कर दिया गया है.
आपको बता दें कि बगराना डिपो पर एसी बसों की मेंटेनेंस पर 38.43 और नॉन एसी बसों की मेंटेनेंस पर 36.28 रुपए खर्च किए जाते हैं. इसी तरह विद्याधर नगर में एसी बस पर 17.25 और नॉन एसी बस पर 13.40, जबकि टोडी डिपो पर एसी बस पर 21.36, नॉन एसी बसों पर 20.66 और मिनी बसों पर 17.17 रुपए खर्च किए जाते हैं. लेकिन हर महीने मेंटेनेंस पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी बसों की वर्तमान स्थिति सवालों के घेरे में है.