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जयपुर : मेंटेनेंस के अभाव में ट्रांसपोर्ट लाइफ लाइन ही बन रही जान पर भारी

राजधानी की पब्लिक ट्रांसपोर्ट लाइफलाइन कही जाने वाली जेसीटीएसएल की बसें मेंटेनेंस के अभाव में आए दिन सड़कों पर दम तोड़ रही हैं. आलम ये है कि हर महीने जेसीटीएसएल की ओर से प्राइवेट फर्म को करीब 2 करोड़ रुपए का मेंटेनेंस चार्ज देने के बाद भी 30 से 35 बस कंडम हालत में डिपो पर ही खड़ी हैं.

जयपुर में जेसीटीएसएल की बस
जयपुर में जेसीटीएसएल की बस
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Published : Nov 7, 2021, 10:06 PM IST

Updated : Nov 7, 2021, 10:33 PM IST

जयपुर. जयपुर में JCTSL की बसें कबाड़ होती जा रही हैं. अब तो डिपो पर डिफेक्ट बुक तक रखना बंद कर दिया गया है. अमूमन इन कंडम बसों को भी चलाने के लिए ड्राइवर-कंडक्टर पर दबाव बनाया जाता है. जो शहर वासियों की जान पर भी भारी पड़ सकता है.


राजधानी में जेसीटीएसएल के बगराना, टोडी और विद्याधर नगर डिपो से लो फ्लोर बसों का संचालन होता है. शहर के 25 रूट पर वर्तमान में करीब 222 बसें संचालित हो रही हैं. जबकि जेसीटीएसएल के बेड़े में 255 बसें मौजूद हैं. लेकिन एक समय में करीब 30 से 35 बसें कंडम हालत में डिपो पर ही खड़ी रहती हैं. जयपुर के टोडी डिपो में 87 में से 11 बसें कंडम हैं, 3 में परिचालक की कमी है. वहीं विद्याधर नगर डिपो में 92 में से 12 बसें कंडम हैं. जबकि बगराना डिपो की 47 में से 3 बसें खटारा हालत में हैं.

जेसीटीएसएल ने मेंटेनेंस का काम एक निजी फर्म को सौंप रखा है. इसके लिए फर्म को हर महीने करीब 2 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जाता है. लेकिन बसों की हालत देखने की जहमत नहीं उठाई जाती. लो फ्लोर बस के परिचालकों की माने तो बार-बार शिकायत करने के बावजूद प्राइवेट फर्म बसों की कमियों को दूर नहीं करती. जिसके चलते कभी टायर फटने, कभी ब्रेक फेल होने और कभी शॉर्ट सर्किट से बसों में आग लगने जैसी घटनाएं सामने आती हैं. जिससे शहर वासियों के जानमाल पर भी बन आती है. यही नहीं कर्मचारियों पर कंडम बसों को चलाने का दबाव भी बनाया जाता है.

पढ़ें- जोधपुर जेल में मिले एंड्रोयड फोन, शौचालय की नाली में छुपाते थे...अफीम भी मिली, सर्च ऑपरेशन में मिला ये सामान

बीते दिनों ही जेसीटीएसएल की एक बस रिद्धि सिद्धि चौराहे पर धू-धू कर जल गई. कारण बस की वायरिंग में शॉर्ट सर्किट बताया गया. इससे पहले गांधीनगर रेलवे स्टेशन के पास भी लो फ्लोर बस में आग लग गई थी. इन हादसों के बावजूद न तो प्राइवेट फर्म ने बसों की सुध लेना बेहतर समझा और न ही प्रशासनिक अधिकारियों ने.

JAIPUR low flor bus maintenance
बस में लगी थी आग

यही नहीं पहले सभी डिपो पर एक डिफेक्ट बुक रखी जाती थी. जिसमें ड्राइवर प्रतिदिन शाम को बसों की खराबी से संबंधित शिकायतें दर्ज कराता था. जिन्हें सर्विस के दौरान दुरुस्त करने के बाद ही बस सड़कों पर दौड़ती थी. लेकिन अब डिफेक्ट बुक रखना ही बंद कर दिया गया है.

JAIPUR low flor bus maintenance
कबाड़ होती जा रही जयपुर बसें

आपको बता दें कि बगराना डिपो पर एसी बसों की मेंटेनेंस पर 38.43 और नॉन एसी बसों की मेंटेनेंस पर 36.28 रुपए खर्च किए जाते हैं. इसी तरह विद्याधर नगर में एसी बस पर 17.25 और नॉन एसी बस पर 13.40, जबकि टोडी डिपो पर एसी बस पर 21.36, नॉन एसी बसों पर 20.66 और मिनी बसों पर 17.17 रुपए खर्च किए जाते हैं. लेकिन हर महीने मेंटेनेंस पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी बसों की वर्तमान स्थिति सवालों के घेरे में है.

जयपुर. जयपुर में JCTSL की बसें कबाड़ होती जा रही हैं. अब तो डिपो पर डिफेक्ट बुक तक रखना बंद कर दिया गया है. अमूमन इन कंडम बसों को भी चलाने के लिए ड्राइवर-कंडक्टर पर दबाव बनाया जाता है. जो शहर वासियों की जान पर भी भारी पड़ सकता है.


राजधानी में जेसीटीएसएल के बगराना, टोडी और विद्याधर नगर डिपो से लो फ्लोर बसों का संचालन होता है. शहर के 25 रूट पर वर्तमान में करीब 222 बसें संचालित हो रही हैं. जबकि जेसीटीएसएल के बेड़े में 255 बसें मौजूद हैं. लेकिन एक समय में करीब 30 से 35 बसें कंडम हालत में डिपो पर ही खड़ी रहती हैं. जयपुर के टोडी डिपो में 87 में से 11 बसें कंडम हैं, 3 में परिचालक की कमी है. वहीं विद्याधर नगर डिपो में 92 में से 12 बसें कंडम हैं. जबकि बगराना डिपो की 47 में से 3 बसें खटारा हालत में हैं.

जेसीटीएसएल ने मेंटेनेंस का काम एक निजी फर्म को सौंप रखा है. इसके लिए फर्म को हर महीने करीब 2 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जाता है. लेकिन बसों की हालत देखने की जहमत नहीं उठाई जाती. लो फ्लोर बस के परिचालकों की माने तो बार-बार शिकायत करने के बावजूद प्राइवेट फर्म बसों की कमियों को दूर नहीं करती. जिसके चलते कभी टायर फटने, कभी ब्रेक फेल होने और कभी शॉर्ट सर्किट से बसों में आग लगने जैसी घटनाएं सामने आती हैं. जिससे शहर वासियों के जानमाल पर भी बन आती है. यही नहीं कर्मचारियों पर कंडम बसों को चलाने का दबाव भी बनाया जाता है.

पढ़ें- जोधपुर जेल में मिले एंड्रोयड फोन, शौचालय की नाली में छुपाते थे...अफीम भी मिली, सर्च ऑपरेशन में मिला ये सामान

बीते दिनों ही जेसीटीएसएल की एक बस रिद्धि सिद्धि चौराहे पर धू-धू कर जल गई. कारण बस की वायरिंग में शॉर्ट सर्किट बताया गया. इससे पहले गांधीनगर रेलवे स्टेशन के पास भी लो फ्लोर बस में आग लग गई थी. इन हादसों के बावजूद न तो प्राइवेट फर्म ने बसों की सुध लेना बेहतर समझा और न ही प्रशासनिक अधिकारियों ने.

JAIPUR low flor bus maintenance
बस में लगी थी आग

यही नहीं पहले सभी डिपो पर एक डिफेक्ट बुक रखी जाती थी. जिसमें ड्राइवर प्रतिदिन शाम को बसों की खराबी से संबंधित शिकायतें दर्ज कराता था. जिन्हें सर्विस के दौरान दुरुस्त करने के बाद ही बस सड़कों पर दौड़ती थी. लेकिन अब डिफेक्ट बुक रखना ही बंद कर दिया गया है.

JAIPUR low flor bus maintenance
कबाड़ होती जा रही जयपुर बसें

आपको बता दें कि बगराना डिपो पर एसी बसों की मेंटेनेंस पर 38.43 और नॉन एसी बसों की मेंटेनेंस पर 36.28 रुपए खर्च किए जाते हैं. इसी तरह विद्याधर नगर में एसी बस पर 17.25 और नॉन एसी बस पर 13.40, जबकि टोडी डिपो पर एसी बस पर 21.36, नॉन एसी बसों पर 20.66 और मिनी बसों पर 17.17 रुपए खर्च किए जाते हैं. लेकिन हर महीने मेंटेनेंस पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी बसों की वर्तमान स्थिति सवालों के घेरे में है.

Last Updated : Nov 7, 2021, 10:33 PM IST
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