जयपुर. जल जीवन मिशन के तहत भूजल आधारित परियोजनाओं के लिए (Big Decision on JJM) अब अगले 15 साल तक पानी उपलब्ध रहने की सोर्स सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट जरूरी होगी. अभी तक इन परियोजनाओं में हाइड्रोलोजी की रिपोर्ट के आधार पर प्रोजेक्ट सेंक्शन किए जाते थे, लेकिन अब इसके लिए हर पीएचईडी सर्किल में सोर्स फाइंडिंग कमेटी गठित की गई है.
इस कमेटी में संबंधित पीएचईडी सर्किल के अधीक्षण अभियंता अध्यक्ष होंगे और अधिशासी अभियंता एवं भूजल विभाग के हाइड्रोलॉजिस्ट इस कमेटी के सदस्य होंगे. जेजेएम की ऑपरेशनल गाइडलाइन की अनुपालना में इस कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी गठन के संबंध में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, डॉ. सुबोध अग्रवाल ने हाल ही में आदेश जारी किए हैं. सोर्स फाइंडिंग कमेटी बताएगी कि परियोजना वाले क्षेत्र में अगले 15 साल तक के लिए भूजल की उपलब्धता रहेगी या नहीं. सोर्स सस्टेनेबिलिटी की अनुशंसा नहीं की जाती है तो प्रोजेक्ट सैंक्शन नहीं हो सकेगा.
कमेटी यह देखेगी कि जितने वर्षों के लिए पेयजल योजना बनाई गई है, तब तक पर्याप्त मात्रा में भूजल उपलब्ध रहेगा या नहीं. प्रोजेक्ट सैंक्शन करने से पहले इस कमेटी की अनुशंसा अनिवार्य होगी. पीएचईडी में अब भूजल आधारित सभी नए प्रोजेक्ट्स में यह रिपोर्ट आवश्यक होगी. डाॅ. अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हाल ही में हुई विभाग की समीक्षा बैठक में भी उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि भूजल आधारित किसी भी प्रोजेक्ट को तैयार (Water Availability in Rajasthan) करने से पहले वहां पर्याप्त मात्रा एवं सही गुणवत्ता के भूजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए.
कई बार पेयजल परियोजना पर पैसा खर्च हो जाता है और कुछ समय बाद (Source Sustainability Report on JJM) भूजल काफी गहराई में चले जाने या सूख जाने से प्रोजेक्ट की उपयोगिता नहीं रहती है. ऐसे में भूजल की लम्बे समय तक उपलब्धता का आकलन जरूरी है.