जयपुर. कर्नाटक में छात्राओं को हिजाब (Karnataka Hijab Case) पहनकर कॉलेज आने से रोकने के बाद देशभर में इस पर नई बहस शुरू हो गई है. राजधानी जयपुर में आज गुरुवार को महिलाओं से जुड़े संगठनों की ओर से एक सम्मलेन (Jaipur Women Meet Over Hijab Issue) का आयोजन किया गया.
ये हम करेंगी तय!: सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि महिलाओं को क्या पहनना चाहिए और क्या नहीं. यह उन्हें खुद तय करने की आजादी संविधान ने दे रखी है. वक्ताओं में अखिल भारतीय जनवादी समिति की महासचिव मरियम ढवले, भारतीय महिला फेडरेशन की ऐनी राजा और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की व्याख्याता डॉ. गजाला जमील (Jaipur Women Meet Over Hijab Issue) शामिल थीं.
ये चिंता की बात: सामाजिक कार्यकर्ता शबनम अजीज ने बताया कि हमारे देश में स्कूल-कॉलेज तक पहुंचने वाली बेटियों की संख्या कम है. इनमें भी तुलनात्मक रूप से देखें तो अल्पसंख्यक समुदाय की बच्चियों के उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश का आंकड़ा बहुत कम है.
यह चिंता की बात है. कोरोना काल में भी बेटियों के स्कूल-कॉलेज में दाखिले का आंकड़ा कम हुआ है. ऐसे में यदि मुस्लिम समुदाय की बेटियों को खास पहनावे के चलते शिक्षण संस्थान में आने से रोका जाता है तो इससे उनका काफी नुकसान होगा.
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लड़कियों के लिए सही नहीं: शबनम ने कहा कि आज इस चर्चा के माध्यम से यह समझने का प्रयास किया जा रहा है कि हिजाब को लेकर हाल ही में जो नए नियम-कायदे बनाए गए हैं. वो लड़कियों की आगे की शिक्षा और विकास को किस तरह प्रभावित करेंगे.