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Jaipur Women Meet Over Hijab Issue: महिलाएं बोलीं- क्या पहनें क्या नहीं करेंगे हम तय, संविधान ने दिया ये अधिकार

कर्नाटक में छात्राओं को हिजाब (Karnataka Hijab Case) पहनकर कॉलेज आने से रोकने के बाद देशभर में इस पर नई बहस शुरू हो गई है. राजधानी जयपुर में आज गुरुवार को महिलाओं से जुड़े संगठनों की ओर से एक सम्मलेन (Jaipur Women Meet Over Hijab Issue) का आयोजन किया गया. इसमें वक्ताओं ने संविधान और अपने अधिकारों पर बात रखी.

Jaipur Women Meet Over Hijab Issue
पहनावे के हक पर सम्मेलन
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Published : Feb 17, 2022, 2:19 PM IST

जयपुर. कर्नाटक में छात्राओं को हिजाब (Karnataka Hijab Case) पहनकर कॉलेज आने से रोकने के बाद देशभर में इस पर नई बहस शुरू हो गई है. राजधानी जयपुर में आज गुरुवार को महिलाओं से जुड़े संगठनों की ओर से एक सम्मलेन (Jaipur Women Meet Over Hijab Issue) का आयोजन किया गया.

ये हम करेंगी तय!: सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि महिलाओं को क्या पहनना चाहिए और क्या नहीं. यह उन्हें खुद तय करने की आजादी संविधान ने दे रखी है. वक्ताओं में अखिल भारतीय जनवादी समिति की महासचिव मरियम ढवले, भारतीय महिला फेडरेशन की ऐनी राजा और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की व्याख्याता डॉ. गजाला जमील (Jaipur Women Meet Over Hijab Issue) शामिल थीं.

ये आधी आबादी के हक की बात

ये चिंता की बात: सामाजिक कार्यकर्ता शबनम अजीज ने बताया कि हमारे देश में स्कूल-कॉलेज तक पहुंचने वाली बेटियों की संख्या कम है. इनमें भी तुलनात्मक रूप से देखें तो अल्पसंख्यक समुदाय की बच्चियों के उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश का आंकड़ा बहुत कम है.

यह चिंता की बात है. कोरोना काल में भी बेटियों के स्कूल-कॉलेज में दाखिले का आंकड़ा कम हुआ है. ऐसे में यदि मुस्लिम समुदाय की बेटियों को खास पहनावे के चलते शिक्षण संस्थान में आने से रोका जाता है तो इससे उनका काफी नुकसान होगा.

ये भी पढ़ें- Sex Ratio in Rajasthan : तीन साल में प्रदेश में लिंगानुपात 880 से 946 पहुंचा, 1000 से ऊपर ले जाने का लक्ष्य- मंत्री ममता भूपेश

यह भी पढ़ें- Exclusive : कैबिनेट में पहले से बढ़ा महिलाओं और दलितों का प्रतिनिधित्व : ममता भूपेश

लड़कियों के लिए सही नहीं: शबनम ने कहा कि आज इस चर्चा के माध्यम से यह समझने का प्रयास किया जा रहा है कि हिजाब को लेकर हाल ही में जो नए नियम-कायदे बनाए गए हैं. वो लड़कियों की आगे की शिक्षा और विकास को किस तरह प्रभावित करेंगे.

जयपुर. कर्नाटक में छात्राओं को हिजाब (Karnataka Hijab Case) पहनकर कॉलेज आने से रोकने के बाद देशभर में इस पर नई बहस शुरू हो गई है. राजधानी जयपुर में आज गुरुवार को महिलाओं से जुड़े संगठनों की ओर से एक सम्मलेन (Jaipur Women Meet Over Hijab Issue) का आयोजन किया गया.

ये हम करेंगी तय!: सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि महिलाओं को क्या पहनना चाहिए और क्या नहीं. यह उन्हें खुद तय करने की आजादी संविधान ने दे रखी है. वक्ताओं में अखिल भारतीय जनवादी समिति की महासचिव मरियम ढवले, भारतीय महिला फेडरेशन की ऐनी राजा और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की व्याख्याता डॉ. गजाला जमील (Jaipur Women Meet Over Hijab Issue) शामिल थीं.

ये आधी आबादी के हक की बात

ये चिंता की बात: सामाजिक कार्यकर्ता शबनम अजीज ने बताया कि हमारे देश में स्कूल-कॉलेज तक पहुंचने वाली बेटियों की संख्या कम है. इनमें भी तुलनात्मक रूप से देखें तो अल्पसंख्यक समुदाय की बच्चियों के उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश का आंकड़ा बहुत कम है.

यह चिंता की बात है. कोरोना काल में भी बेटियों के स्कूल-कॉलेज में दाखिले का आंकड़ा कम हुआ है. ऐसे में यदि मुस्लिम समुदाय की बेटियों को खास पहनावे के चलते शिक्षण संस्थान में आने से रोका जाता है तो इससे उनका काफी नुकसान होगा.

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लड़कियों के लिए सही नहीं: शबनम ने कहा कि आज इस चर्चा के माध्यम से यह समझने का प्रयास किया जा रहा है कि हिजाब को लेकर हाल ही में जो नए नियम-कायदे बनाए गए हैं. वो लड़कियों की आगे की शिक्षा और विकास को किस तरह प्रभावित करेंगे.

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