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4300 करोड़ रुपए खर्च कर कालीसिंध से पानी लाएगा जलदाय विभाग, 7 जिलों की बुझेगी प्यास

जयपुर वासियों को पानी की समस्या से जूझना ना पड़े, इसके लिए जलदाय विभाग एक नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. जिसके लिए 4300 करोड़ रुपए खर्च होंगे. जिससे जयपुर सहित 7 लाख जिलों की प्यास बुझेगी.

Jaipur Water department, जयपुर न्यूज
कालीसिंध से पानी लाने के लिए 4300 करोड़ खर्च
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Published : Apr 8, 2021, 6:44 AM IST

जयपुर. राजस्थानी ऐसा प्रदेश है, जिसका एक बड़ा भूभाग रेगिस्तान है. यहां पानी एक बहुत बड़ी समस्या है. यहां के लोगों को अक्सर पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है. ईस्टर्न कैनाल को राष्ट्रीय दर्जा नहीं मिलने के कारण अब जलदाय विभाग एक बड़ी योजना पर काम कर रहा है. जलदाय विभाग कालीसिंध नदी से बीसलपुर और ईसरदा बांध को भरने की तैयारी कर रहा है और यह कालीसिंध का पानी जयपुर सहित सात जिलों के लाखों लोगों की प्यास बुझाएगा.

सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना भी शुरू कर दिया है. इस प्रोजेक्ट पर सरकार के 4300 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसे पूरा होने में 4 से 5 साल तक का समय लगेगा. कालीसिंध से आने वाले पानी से जयपुर, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, दौसा, अजमेर और टोंक जिलों के लाखों लोगों की प्यास बुझेगी. कालीसिंध नदी से 13.55 टीएमसी पानी मिलेगा. इसमें से बीसलपुर को 7.71 टीएमसी और ईसरदा बांध को 5.84 टीएमसी पानी मिलेगा. बीसलपुर का पानी ओवर फ्लो होकर मध्यप्रदेश की ओर व्यर्थ बह जाता है और इसे रोकने के लिए ईसरदा बांध का निर्माण किया जा रहा है. जिससे व्यर्थ बहने वाले पानी को बचाया जा सके.

यह भी पढ़ें. जयपुर: आवासन मंडल के कर्मचारियों के लिए वैक्सीनेशन शिविर, 255 कर्मचारियों के लगाई गई वैक्सीन

कालीसिंध नदी के पानी को 1.7 किलोमीटर लंबा पहाड़ी हिस्सा काट कर एक बैराज और 3 बांधों से होते हुए बीसलपुर और ईसरदा बांध तक लाया जाएगा. पहले केवल कोटा में नवनेरा बैराज ही बनना था लेकिन अब यहां से ही कैनाल और पाइप लाइन से 7 जिलों तक पानी पहुंचाया जाएगा. इसकी डीपीआर तैयार की जा रही है. कोटा में नवनेरा बैराज का निर्माण चल रहा है और इसमें कालीसिंध नदी का पानी लाया जाएगा. यहां से बूंदी में इंदरगढ़ के पहाड़ी इलाके से होते हुए चाकन बांध में पानी पहुंचाया जाएगा. इस बांध से टोंक के कुम्हारिया बांध और गलवा बांध तक पानी लाया जाएगा. यहां से ईसरदा बांध और बीसलपुर बांध तक पानी पहुंचेगा. इसके लिए इंद्रगढ़ की पहाड़ी में लगभग 1. 7 किलोमीटर लंबी टनल बनाई जाएगी. चंबल नदी को पाइपलाइन के जरिए पार कराया जाएगा.

यह भी पढ़ें. 'CM को 2 बार पत्र लिखा, फोन पर समय मांगा...लेकिन जवाब तक नहीं मिला,आखिर महिला अपराधों में कैसे होगा सुधार'

प्रोजेक्ट की पूरी स्थिति

बीसलपुर इसरदा बांध तक आने वाला पानी 210 किलोमीटर का सफर सफर तय करेगा. चंबल बेसिन का पानी 195 मीटर तक लिफ्ट कराया जाएगा इसके लिए 183 किलोमीटर नहर का निर्माण होगा और 1. 7 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जाएगी. 25 किलोमीटर में पाइप लाइन डाली जाएगी.

लाइफ लाइन है बीसलपुर

बता दें बीसलपुर का बांध जयपुर सहित चार जिलों के लिए लाइफ लाइन है. बीसलपुर बांध से ही जयपुर, अजमेर, टोंक और दौसा जिले के लोगों की प्यास बुझाई जाती है लेकिन कभी-कभी मानसून की बेरुखी के चलते बीसलपुर का बांध पूरा नहीं भर पाता है. जिसके कारण पानी की समस्या पैदा होती है और जब भी बांध ओवर फ्लो हो जाता है तो उसका पानी व्यर्थ बह जाता है.

जयपुर. राजस्थानी ऐसा प्रदेश है, जिसका एक बड़ा भूभाग रेगिस्तान है. यहां पानी एक बहुत बड़ी समस्या है. यहां के लोगों को अक्सर पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है. ईस्टर्न कैनाल को राष्ट्रीय दर्जा नहीं मिलने के कारण अब जलदाय विभाग एक बड़ी योजना पर काम कर रहा है. जलदाय विभाग कालीसिंध नदी से बीसलपुर और ईसरदा बांध को भरने की तैयारी कर रहा है और यह कालीसिंध का पानी जयपुर सहित सात जिलों के लाखों लोगों की प्यास बुझाएगा.

सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना भी शुरू कर दिया है. इस प्रोजेक्ट पर सरकार के 4300 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसे पूरा होने में 4 से 5 साल तक का समय लगेगा. कालीसिंध से आने वाले पानी से जयपुर, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, दौसा, अजमेर और टोंक जिलों के लाखों लोगों की प्यास बुझेगी. कालीसिंध नदी से 13.55 टीएमसी पानी मिलेगा. इसमें से बीसलपुर को 7.71 टीएमसी और ईसरदा बांध को 5.84 टीएमसी पानी मिलेगा. बीसलपुर का पानी ओवर फ्लो होकर मध्यप्रदेश की ओर व्यर्थ बह जाता है और इसे रोकने के लिए ईसरदा बांध का निर्माण किया जा रहा है. जिससे व्यर्थ बहने वाले पानी को बचाया जा सके.

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कालीसिंध नदी के पानी को 1.7 किलोमीटर लंबा पहाड़ी हिस्सा काट कर एक बैराज और 3 बांधों से होते हुए बीसलपुर और ईसरदा बांध तक लाया जाएगा. पहले केवल कोटा में नवनेरा बैराज ही बनना था लेकिन अब यहां से ही कैनाल और पाइप लाइन से 7 जिलों तक पानी पहुंचाया जाएगा. इसकी डीपीआर तैयार की जा रही है. कोटा में नवनेरा बैराज का निर्माण चल रहा है और इसमें कालीसिंध नदी का पानी लाया जाएगा. यहां से बूंदी में इंदरगढ़ के पहाड़ी इलाके से होते हुए चाकन बांध में पानी पहुंचाया जाएगा. इस बांध से टोंक के कुम्हारिया बांध और गलवा बांध तक पानी लाया जाएगा. यहां से ईसरदा बांध और बीसलपुर बांध तक पानी पहुंचेगा. इसके लिए इंद्रगढ़ की पहाड़ी में लगभग 1. 7 किलोमीटर लंबी टनल बनाई जाएगी. चंबल नदी को पाइपलाइन के जरिए पार कराया जाएगा.

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प्रोजेक्ट की पूरी स्थिति

बीसलपुर इसरदा बांध तक आने वाला पानी 210 किलोमीटर का सफर सफर तय करेगा. चंबल बेसिन का पानी 195 मीटर तक लिफ्ट कराया जाएगा इसके लिए 183 किलोमीटर नहर का निर्माण होगा और 1. 7 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जाएगी. 25 किलोमीटर में पाइप लाइन डाली जाएगी.

लाइफ लाइन है बीसलपुर

बता दें बीसलपुर का बांध जयपुर सहित चार जिलों के लिए लाइफ लाइन है. बीसलपुर बांध से ही जयपुर, अजमेर, टोंक और दौसा जिले के लोगों की प्यास बुझाई जाती है लेकिन कभी-कभी मानसून की बेरुखी के चलते बीसलपुर का बांध पूरा नहीं भर पाता है. जिसके कारण पानी की समस्या पैदा होती है और जब भी बांध ओवर फ्लो हो जाता है तो उसका पानी व्यर्थ बह जाता है.

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