जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना काल में राजस्थान पुलिस की ओर से अनेक काम किए गए. इस दौरान सामाजिक सरोकार के काम भी पुलिसकर्मियों की ओर से बढ़-चढ़कर किए गए. इस दौरान जयपुर पुलिस की ओर से एक अनूठा सर्वे किया गया. जयपुर पुलिस की ओर से राजधानी को भिखारी मुक्त बनाने के लिए एक सर्वे किया गया है.
इस सर्वे के तहत राजधानी की सड़कों पर भीख मांग रहे और जिंदगी बसर कर रहे तमाम भिखारियों का एक डेटाबेस तैयार किया गया. जयपुर पुलिस की ओर से भिखारियों को लेकर किए गए सर्वे की डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव और राजस्थान सरकार के आला अधिकारी की ओर से काफी तारीफ की गई.
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जयपुर पुलिस के एसीपी एडमिन नरेंद्र दायमा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि राजधानी जयपुर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए और भिखारियों के पुनर्वास के लिए राजस्थान सरकार की ओर से एक योजना चलाई जा रही है. इस योजना के तहत जयपुर पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव ने राजधानी जयपुर की सड़कों पर भीख मांग रहे भिखारियों का सर्वे करने की जिम्मेदारी सौंपी.
भिखारियों का सर्वे करने के लिए 4 पुलिस इंस्पेक्टर और 8 कॉन्स्टेबल की एक टीम बनाई गई. इसके साथ ही सर्वे का डेटाबेस तैयार करने के लिए एक गूगल फॉर्म तैयार किया गया, जिसके तहत भिखारियों का नाम, स्थाई पता, वर्तमान पता, राज्य, आयु, बीमारी, रुचि, कौशल, शिक्षा आदि बिंदुओं के तहत डेटाबेस तैयार किया गया.
राजधानी की सड़कों पर मिले 1162 भिखारी
एसीपी एडमिन नरेंद्र दायमा ने बताया कि जयपुर पुलिस की ओर से किए गए सर्वे में राजधानी की सड़कों पर कुल 1162 भिखारी पाए गए. जिनमें से राजस्थान के 809 और 350 से ज्यादा भिखारी 18 अन्य राज्यों के पाए गए. इसके साथ भिखारियों में पुरुषों की संख्या 939 और महिलाओं की संख्या 223 पाई गई.
- राज्यवार भिखारियों की संख्या
- भिखारियों की शिक्षा का स्तर
वहीं, जब भिखारियों का स्वास्थ्य संबंधित डाटा तैयार किया गया तो सामने आया कि 1162 में से 898 भिखारी पूरी तरह से स्वस्थ हैं. वहीं 264 भिखारी विभिन्न तरह की बीमारियों से ग्रसित हैं, जिनमें 150 दिव्यांग भी शामिल हैं.
भीख मांगने से संतुष्ट नहीं... करना चाहते हैं काम
ईटीवी भारत की टीम जब खासा कोठी फ्लाईओवर के नीचे पहुंची तो वहां पर दर्जनों की संख्या में भिखारी फुटपाथ पर बैठे हुए पाए गए. इस दौरान बिहार के एक शख्स से ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उसने बताया कि वह मैट्रिक पास है और वह काम करना चाहता है. उस शख्स ने यह इच्छा भी जाहिर की कि उसे सरकार चाहे जैसा भी काम सौंपे, वह उसे करने के लिए तैयार है, लेकिन भीख मांग कर जीवन यापन करना उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं है.
एसीपी एडमिन नरेंद्र दायमा ने बताया कि भिखारियों के सर्वे के दौरान यह बात निकलकर सामने आई कि बहुत से भिखारी भीख मांगने की प्रवृत्ति से संतुष्ट नहीं है और वह कुछ काम करके अपना जीवन यापन करना चाहते हैं. इस दौरान भिखारियों में अनेक तरह की स्किल भी पाई गई.
- भिक्षा मांगने की बजाए कार्य करने की इच्छा जताने वाले
सर्वे के बाद अब भिखारियों के पुनर्वास पर जोर
एसीपी एडमिन नरेंद्र दायमा ने बताया कि भिखारियों के सर्वे के बाद अब उनके पुनर्वास के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है. जिसे लेकर जयपुर पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव, जयपुर जिला कलेक्टर, समाज कल्याण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम, जेडीए और अन्य विभागों के अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक भी हुई है.
बैठक में निर्णय किया गया कि जिला प्रशासन और समाज कल्याण विभाग की ओर से शहर में भिखारियों के पुनर्वास के लिए एक स्थान चिन्हित किया जाए. साथ ही ऐसे एनजीओ और सामाजिक संस्था जो भिखारियों के पुनर्वास के लिए कार्य कर रही है, उनसे संपर्क कर पुनर्वास केंद्र के संचालन का जिम्मा उन्हें सौंपा जाए.
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उच्चस्तरीय बैठक के बाद राजधानी जयपुर की सार्थक मानव कुष्ठ आश्रम संस्था ने आगे बढ़कर पहल की और भिखारियों के पुनर्वास केंद्र के संचालन की जिम्मेदारी लेने की इच्छा जाहिर की. जिस पर सार्थक मानव कुष्ठ आश्रम संस्था और समाज कल्याण विभाग के मध्य एक एमओयू किया गया है.
एमओयू के तहत राजधानी जयपुर के मानसरोवर क्षेत्र में स्टेनी मेमोरियल कॉलेज के पास स्थित एक सामुदायिक केंद्र को भिक्षु पुनर्वास केंद्र के रूप में तब्दील किया जा रहा है. इसके साथ ही कुछ अन्य संस्थाओं से भी संपर्क किया गया है जो केंद्र में अन्य सामान और भिखारियों की ट्रेनिंग के लिए ट्रेनर और मशीनरी उपलब्ध कराने का काम करेंगे.