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Jaipur Doctor On Blood Cancer: वक्त पर पहचान से ब्लड कैंसर को हराना संभव, मरीजों को कोरोना से 57 फीसदी खतरा ज्यादा - ब्लड कैंसर के लक्षण

28 मई यानी आज पूरी दुनिया में लोगों को ब्लड कैंसर के प्रति जागरुक करने के लिए विश्व ब्लड कैंसर डे ( World blood cancer day ) मनाया जाता है. कैंसर का नाम सुनते ही हमारे मन में डर बस जाता है, यही कारण है कि कैंसर के कारण बहुत से लोगों की मौत हो जाती है. कोरोना को लेकर भी खासकर ब्लड कैंसर के रोगियों को काफी सावधान रहना होता है. अन्य कैंसर रोगियों की तुलना में ब्लड कैंसर के रोगियों में कोरोना संक्रमण और मौत का खतरा 57 फीसदी अधिक होता है.

Jaipur Oncologist On blood cancer
ब्लड कैंसर को हराना संभव
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Published : May 28, 2022, 11:44 AM IST

जयपुर. 28 मई पूरी दुनिया में ब्लड कैंसर के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के मकसद से खास दिन के तौर पर मनाया जाता है. जाहिर है कि कैंसर का नाम सुनते ही हमारे मन में डर बस जाता है, यही कारण है कि कैंसर के कारण बहुत से लोगों की मौत (Blood cancer day awareness) हो जाती है. कैंसर कई तरह के होते हैं, जिसमें स्तन कैंसर, मुंह का कैंसर, स्किन कैंसर, गले का कैंसर, ब्लड कैंसर इत्यादि शामिल हैं. लेकिन ब्लड कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज बहुत ही मुश्किल होता है (Jaipur Oncologist On blood cancer). ऐसे में इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को ब्लड कैंसर के प्रति जागरूक करना ही होता है..

जिससे वक्त से पहले इस बीमारी के बारे में पता चल सके. हड्डियों और जोड़ों में लगातार दर्द होना, मुंह, नाक या शौच के दौरान खून का निकलना, बुखार आना, रात में पसीना और चक्कर आना. बार-बार संक्रमण और शरीर का वजन घटना इत्यादि ब्लड कैंसर के प्रमुख लक्षण (Blood Cancer Treatment) हैं. अगर सही समय पर ब्लड कैंसर के लक्षणों को नहीं पहचाना गया, तो इसे काबू करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. आइए जानते हैं ब्लड कैंसर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां.

ब्लड कैंसर को हराना संभव

ब्लड कैंसर के लक्षण (Symptoms Of Blood Cancer)

सांस में कमी - कुछ प्रकार के ल्यूकेमिया लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बाधित करते हैं. ये कोशिकाएं शरीर में सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन ले जाने का काम करती हैं. जब लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होती है, तो सांस की तकलीफ हो सकती है. सांस की तकलीफ फेफड़ों के कैंसर का भी संकेत है, लेकिन इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं.

थकान और कमजोरी - यह लक्षण खून की कमी एनीमिया का भी हो सकता है. लेकिन आपको समय पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. खून में रेड ब्लड सेल्स की कमी के कारण शरीर में थकान और कमजोरी होने लगती है. बेहतर खानपान के बावजूद अगर आप हमेशा थकान महसूस करते हैं, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए.

त्वचा पर गहरा निशान बनना - कैंसर ट्रीटमेंट सेंटर ऑफ अमेरिका के अनुसार, त्वचा पर बिना वजह किसी गहरे निशान का बनना खतरे की घंटी है. इस तरह के निशान प्लेटलेट कम होने या रक्त के थक्के बनने की वजह से हो सकता है. ये निशान हाथ या पैर पर दिखाई दे सकते हैं.

त्वचा पर छोटे धब्बे बनना - शरीर के किसी हिस्से में छोटे गोल धब्बे बनना ब्लड कैंसर का संकेत हो सकता है, इन छोटे आकार के धब्बों में दर्द नहीं होता है। यह धब्बे प्लेटलेट काउंट कम होने की वजह से बन सकते हैं जो ब्लड कैंसर का संकेत देते हैं.

पढ़ें-Positive News On Cancer: तीन बार कैंसर को हराया, अब उपचार में अपनाई बीएमटी प्रकिया...रोगी ने खुद के Bone Marrow से करवाया ट्रांसप्लांट

बेवजह खून का बहना - मसूड़ों, आंत, फेफड़े, या सिर में चोट लगने, असामान्य नाक से खून बहना गंभीर समस्या है. ऐसा प्लेटलेट की कमी और चख्ते की समस्याओं का संकेत हो सकता है, जो सीधे रूप से ल्यूकेमिया का संकेत है.

ब्लड कैंसर के ये भी हैं कुछ संकेत - ब्लड कैंसर के संकेतों में मसूड़ों में सूजन या फैलाव होना, हमेशा पेट फूलना, पेट के ऊपरी हिस्से में बाईं ओर दर्द रहना संकेत है. साथ ही हमेशा बुखार रहना, रात में सोते समय पसीना आना, हमेशा सिरदर्द रहना, त्वचा का रंग बदलना, हड्डियों में दर्द रहना, लिम्फ नोड्स में सूजन, स्किन रैशेज, जल्दी से इन्फेक्शन की चपेट में आना आदि भी शामिल हैं.

ब्लड कैंसर का इलाज - कैंसर किसी भी प्रकार का हो, उसमें स्टेज अवश्य होती है. जैसे पहली, दूसरी और एडवांस स्टेज. ब्लड कैंसर और दूसरे बाकि कैंसर में यहां अंतर है. डॉक्टर के लिए यह जानना अहम चुनौती होती है कि रोगी में ब्लड कैंसर कैसे हुआ ?. लेकिन तकनीक और आधुनिक चिकित्सा ने इसे मुमकिन बना दिया है. अब ऐसी दवाईयां आ गई हैं जिससे इसकी शुरुआत की पहचान हो सकती है. यह पता लगाया जा सकता है कि कैंसर किस कोशिका से पनपा और इलाज के माध्यम से उस कोशिका को ही खत्म कर दिया जाता है और इसी आधुनिक चिकित्सा को कीमोथेरेपी कहते हैं.

  • ब्लड कैंसर से बचने के उपाय
  • नियमित रूप से व्यायाम करें.
  • एक अनुशासित, स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें
  • जड़ी-बूटियों और कीटनाशकों से दूर रखें.
  • रेडिएशन के संपर्क से बचें.
  • स्वस्थ भोजन खाएं और खूब पानी पिएं.
  • खुद दवा लेने से बचें और किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए डॉक्टर से संपर्क करें.
  • किसी भी तरह का लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

पढ़ें- Cancer Treatment in AIIMS Jodhpur: पेट में फैले कैंसर का जोधपुर एम्स में HIPEC तकनीक से हुआ उपचार, जानिए पूरी डिटेल

कोरोना ग्रस्त मरीजों को एहतियात की जरुरतः वैसे तो कोरोना हर वर्ग के लोगों को अपना निशाना बनाता है, लेकिन ऐसे लोग जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें खास सावधानी बरतने की जरूरत है. खासकर कैंसर रोगियों को तो और ज्यादा सावधान रहना होता है. जो ब्लड कैंसर की समस्या से जूझ रहे हैं. हाल ही में आए एक शोध की मानें, तो अन्य कैंसर रोगियों की तुलना में ब्लड कैंसर के रोगियों में कोरोना संक्रमण और मौत का खतरा 57 फीसदी अधिक होता है.

बार-बार बुखार का आना, शरीर में कमजोरी आना, शरीर में खून की कमी होना, हाथ-पांव में कमजोरी महसूस होना. यह सभी लक्षण सामान्य नजर आते है, लेकिन अगर उपचार के बाद भी यह लक्षण ठीक ना हो तो यह शरीर के रक्त में कैंसर सेल की शुरुआत का संकेत भी हो सकते है. ब्लड कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि बच्चों में ब्लड कैंसर के केस काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. डॉक्टर शर्मा ने बताया कि बच्चों में कई तरह के ब्लड कैंसर होते हैं, जिसकी शुरुआती स्तर में उपचार की शुरुआत करके उन्हें पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है. उपचार पूर्ण होकर स्वस्थ जीवन जी रहे हजारों बच्चे सामान्य जांच के लिए चिकित्सालय में आते हैं जो अन्य बच्चों की तरह ही स्पोटर्स और फिजिकल एक्टिविटी में भी पूर्ण रूप से एक्टिव होते हैं.

समय पर उपचार की शुरुआत जरूरीः डॉक्टर उपेन्द्र शर्मा (Jaipur blood Cancer Doctor) ने बताया कि जागरूकता की कमी के चलते इस रोग की पहचान नहीं होती और उपचार समय पर शुरू नहीं हो पाती. हर रोगी में शुरुआती लक्षण अलग-अलग होते हैं. जिनमें बार-बार बुखार आना, एनीमिया का उपचार लेने के बाद भी ठीक ना होना, शरीर पर गांठ का उभरना शामिल है. इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि कोई भी असमान्य लक्षण उपचार के बाद भी लम्बे समय तक ठीक ना हो तो कैंसर रोग विशेषज्ञ से एक बार सलाह लेनी चाहिए.

डॉ उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि बीएमसीएच में ब्लड कैंसर से जुड़ी दो परीयोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसके तहत रोगियों को निःशुल्क इलाज किया जाता है. जिसमें बच्चों के लिए जीवनदान परियोजना है. परियोजना में लो रिस्क वाले तीन तरह के ब्लड कैंसर एक्यूट लिम्फोब्लॉस्टिक ल्यूकीमियां (एएलएल), एक्यूट प्रोमाईलोसाईटिक ल्यूकीमियां (एएमपीएल), होजकिन्स लिम्फोमा (एचएल) शामिल है.

जयपुर. 28 मई पूरी दुनिया में ब्लड कैंसर के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के मकसद से खास दिन के तौर पर मनाया जाता है. जाहिर है कि कैंसर का नाम सुनते ही हमारे मन में डर बस जाता है, यही कारण है कि कैंसर के कारण बहुत से लोगों की मौत (Blood cancer day awareness) हो जाती है. कैंसर कई तरह के होते हैं, जिसमें स्तन कैंसर, मुंह का कैंसर, स्किन कैंसर, गले का कैंसर, ब्लड कैंसर इत्यादि शामिल हैं. लेकिन ब्लड कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज बहुत ही मुश्किल होता है (Jaipur Oncologist On blood cancer). ऐसे में इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को ब्लड कैंसर के प्रति जागरूक करना ही होता है..

जिससे वक्त से पहले इस बीमारी के बारे में पता चल सके. हड्डियों और जोड़ों में लगातार दर्द होना, मुंह, नाक या शौच के दौरान खून का निकलना, बुखार आना, रात में पसीना और चक्कर आना. बार-बार संक्रमण और शरीर का वजन घटना इत्यादि ब्लड कैंसर के प्रमुख लक्षण (Blood Cancer Treatment) हैं. अगर सही समय पर ब्लड कैंसर के लक्षणों को नहीं पहचाना गया, तो इसे काबू करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. आइए जानते हैं ब्लड कैंसर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां.

ब्लड कैंसर को हराना संभव

ब्लड कैंसर के लक्षण (Symptoms Of Blood Cancer)

सांस में कमी - कुछ प्रकार के ल्यूकेमिया लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बाधित करते हैं. ये कोशिकाएं शरीर में सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन ले जाने का काम करती हैं. जब लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होती है, तो सांस की तकलीफ हो सकती है. सांस की तकलीफ फेफड़ों के कैंसर का भी संकेत है, लेकिन इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं.

थकान और कमजोरी - यह लक्षण खून की कमी एनीमिया का भी हो सकता है. लेकिन आपको समय पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. खून में रेड ब्लड सेल्स की कमी के कारण शरीर में थकान और कमजोरी होने लगती है. बेहतर खानपान के बावजूद अगर आप हमेशा थकान महसूस करते हैं, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए.

त्वचा पर गहरा निशान बनना - कैंसर ट्रीटमेंट सेंटर ऑफ अमेरिका के अनुसार, त्वचा पर बिना वजह किसी गहरे निशान का बनना खतरे की घंटी है. इस तरह के निशान प्लेटलेट कम होने या रक्त के थक्के बनने की वजह से हो सकता है. ये निशान हाथ या पैर पर दिखाई दे सकते हैं.

त्वचा पर छोटे धब्बे बनना - शरीर के किसी हिस्से में छोटे गोल धब्बे बनना ब्लड कैंसर का संकेत हो सकता है, इन छोटे आकार के धब्बों में दर्द नहीं होता है। यह धब्बे प्लेटलेट काउंट कम होने की वजह से बन सकते हैं जो ब्लड कैंसर का संकेत देते हैं.

पढ़ें-Positive News On Cancer: तीन बार कैंसर को हराया, अब उपचार में अपनाई बीएमटी प्रकिया...रोगी ने खुद के Bone Marrow से करवाया ट्रांसप्लांट

बेवजह खून का बहना - मसूड़ों, आंत, फेफड़े, या सिर में चोट लगने, असामान्य नाक से खून बहना गंभीर समस्या है. ऐसा प्लेटलेट की कमी और चख्ते की समस्याओं का संकेत हो सकता है, जो सीधे रूप से ल्यूकेमिया का संकेत है.

ब्लड कैंसर के ये भी हैं कुछ संकेत - ब्लड कैंसर के संकेतों में मसूड़ों में सूजन या फैलाव होना, हमेशा पेट फूलना, पेट के ऊपरी हिस्से में बाईं ओर दर्द रहना संकेत है. साथ ही हमेशा बुखार रहना, रात में सोते समय पसीना आना, हमेशा सिरदर्द रहना, त्वचा का रंग बदलना, हड्डियों में दर्द रहना, लिम्फ नोड्स में सूजन, स्किन रैशेज, जल्दी से इन्फेक्शन की चपेट में आना आदि भी शामिल हैं.

ब्लड कैंसर का इलाज - कैंसर किसी भी प्रकार का हो, उसमें स्टेज अवश्य होती है. जैसे पहली, दूसरी और एडवांस स्टेज. ब्लड कैंसर और दूसरे बाकि कैंसर में यहां अंतर है. डॉक्टर के लिए यह जानना अहम चुनौती होती है कि रोगी में ब्लड कैंसर कैसे हुआ ?. लेकिन तकनीक और आधुनिक चिकित्सा ने इसे मुमकिन बना दिया है. अब ऐसी दवाईयां आ गई हैं जिससे इसकी शुरुआत की पहचान हो सकती है. यह पता लगाया जा सकता है कि कैंसर किस कोशिका से पनपा और इलाज के माध्यम से उस कोशिका को ही खत्म कर दिया जाता है और इसी आधुनिक चिकित्सा को कीमोथेरेपी कहते हैं.

  • ब्लड कैंसर से बचने के उपाय
  • नियमित रूप से व्यायाम करें.
  • एक अनुशासित, स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें
  • जड़ी-बूटियों और कीटनाशकों से दूर रखें.
  • रेडिएशन के संपर्क से बचें.
  • स्वस्थ भोजन खाएं और खूब पानी पिएं.
  • खुद दवा लेने से बचें और किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए डॉक्टर से संपर्क करें.
  • किसी भी तरह का लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

पढ़ें- Cancer Treatment in AIIMS Jodhpur: पेट में फैले कैंसर का जोधपुर एम्स में HIPEC तकनीक से हुआ उपचार, जानिए पूरी डिटेल

कोरोना ग्रस्त मरीजों को एहतियात की जरुरतः वैसे तो कोरोना हर वर्ग के लोगों को अपना निशाना बनाता है, लेकिन ऐसे लोग जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें खास सावधानी बरतने की जरूरत है. खासकर कैंसर रोगियों को तो और ज्यादा सावधान रहना होता है. जो ब्लड कैंसर की समस्या से जूझ रहे हैं. हाल ही में आए एक शोध की मानें, तो अन्य कैंसर रोगियों की तुलना में ब्लड कैंसर के रोगियों में कोरोना संक्रमण और मौत का खतरा 57 फीसदी अधिक होता है.

बार-बार बुखार का आना, शरीर में कमजोरी आना, शरीर में खून की कमी होना, हाथ-पांव में कमजोरी महसूस होना. यह सभी लक्षण सामान्य नजर आते है, लेकिन अगर उपचार के बाद भी यह लक्षण ठीक ना हो तो यह शरीर के रक्त में कैंसर सेल की शुरुआत का संकेत भी हो सकते है. ब्लड कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि बच्चों में ब्लड कैंसर के केस काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. डॉक्टर शर्मा ने बताया कि बच्चों में कई तरह के ब्लड कैंसर होते हैं, जिसकी शुरुआती स्तर में उपचार की शुरुआत करके उन्हें पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है. उपचार पूर्ण होकर स्वस्थ जीवन जी रहे हजारों बच्चे सामान्य जांच के लिए चिकित्सालय में आते हैं जो अन्य बच्चों की तरह ही स्पोटर्स और फिजिकल एक्टिविटी में भी पूर्ण रूप से एक्टिव होते हैं.

समय पर उपचार की शुरुआत जरूरीः डॉक्टर उपेन्द्र शर्मा (Jaipur blood Cancer Doctor) ने बताया कि जागरूकता की कमी के चलते इस रोग की पहचान नहीं होती और उपचार समय पर शुरू नहीं हो पाती. हर रोगी में शुरुआती लक्षण अलग-अलग होते हैं. जिनमें बार-बार बुखार आना, एनीमिया का उपचार लेने के बाद भी ठीक ना होना, शरीर पर गांठ का उभरना शामिल है. इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि कोई भी असमान्य लक्षण उपचार के बाद भी लम्बे समय तक ठीक ना हो तो कैंसर रोग विशेषज्ञ से एक बार सलाह लेनी चाहिए.

डॉ उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि बीएमसीएच में ब्लड कैंसर से जुड़ी दो परीयोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसके तहत रोगियों को निःशुल्क इलाज किया जाता है. जिसमें बच्चों के लिए जीवनदान परियोजना है. परियोजना में लो रिस्क वाले तीन तरह के ब्लड कैंसर एक्यूट लिम्फोब्लॉस्टिक ल्यूकीमियां (एएलएल), एक्यूट प्रोमाईलोसाईटिक ल्यूकीमियां (एएमपीएल), होजकिन्स लिम्फोमा (एचएल) शामिल है.

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