जयपुर. शहर में महिलाओं के विरुद्ध होने वाली छेड़छाड़, सम्मानजनक व्यवहार से निजात दिलाने के लिए महिलाओं और बालिकाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाने वाली साथ ही शहर के अन्य घटक दलों के साथ समन्वयक अपराधों की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली निर्भया स्क्वायड को 1 साल पूरा हो चुका है. इस पूरे एक साल में इस टीम ने कई ऐतिहासिक पहल और सामाजिक सरोकार भी निभाएं.
आज से एक साल पहले 24 सितंबर 2019 को जयपुर शहर की बहन-बेटियों को निर्भया स्क्वायड के रूप में एक नई सौगात मिली थी. जिसके बाद शहर की बहन-बेटियां बेफ्रिक होकर कहीं भी, कभी भी घूम सकती हैं. जयपुर शहर की सड़कों पर 24 घंटे नीली वर्दी में निर्भया तैनात रहती हैं, जो किसी भी विपरीत परिस्थिति का सामना करने के लिए कैन, वायरलैस और पब्लिक एड्रेस सिस्टम के लिए सायरन बजाती हुई गश्त करती नजर आती हैं. यह वास्तव में स्मार्ट कॉप है, जिन्हें स्पेशल ट्रेनिंग दी गई हैं. यह सभी प्रकार के हथियार चलाने, मार्शल आर्ट और सेल्फ डिफेंस की तकनीक में भी दक्ष है.
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पिछले एक साल से निर्भया स्क्वायड की टीम शहर के स्कूल-कॉलेज, रेस्टोरेंट, बाजार, लाइब्रेरी, जिम, मॉल जैसे सार्वजनिक स्थलों के आसपास निर्भया टीमें दिन-रात गश्त करती है. बहन-बेटियों के विरुद्ध छेड़छाड़ और असम्मानजनक व्यवहार ना हो, उसके लिए निर्भया के द्वारा अपनाए 'जीरो टॉलरेंस नीति' का ही नतीजा है कि जयपुर में अपराध न्यूनतम स्तर पर है.
निर्भया के गठन के बाद महिला अपराध में आई गिरावटः
कोरोना संकटकाल में भी निर्भया वॉरियर्स ने कई ऐतिहासिक पहल कर अनूठी छाप छोड़ी. कर्फ्यूग्रस्त इलाको में उन्होंने गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में समय-समय पर चेकअप कराया. साथ ही इन इलाकों में एक सर्वे करवाकर गर्भवती महिलाओं की एक सूची बनाई और फिर उनकी समस्याओं का समाधान किया. सर्वे के दौरान 4000 गर्भवती महिलाओं से व्यक्तिगत संपर्क कर उनके अस्पताल संबंधित पूरे कामकाज किए. इस दौरान एक भी निर्भया टीम की सदस्य ने पूरे लॉकडाउन में छुट्टी नहीं ली.
यही वजह है कि प्रसव पीड़िताओं को डिलीवरी के लिए अस्पताल लेकर जाना हो या फिर उनके साथ मदर्स डे उनके घर पर जाकर सेलिब्रेट करना, यह सब निर्भया स्क्वायड ने कर शहरवासियों के दिल मे एक अनूठी छाप छोड़ी है. आज शहर में निर्भया स्क्वायड की वजह से बहन-बेटियां अपने आप को महफूज समझ रही है. इसलिए 'निर्भय रहिए क्योंकि निर्भया आपके साथ हैं'.