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Dravyavati River Project : अगले मानसून में ही द्रव्यवती नदी के बारहमासी होने की परिकल्पना हो सकेगी सार्थक... - Wait of Dravyavati River Project extended

जयपुर की द्रव्यवती नदी परियोजना के दूसरे चरण के उद्घाटन का इंतजार और लंबा हो गया (Wait of Dravyavati River Project extended) है. अभी भी इस प्रोजेक्ट का बहुत सारा काम अधूरा है. ऐसे में अगले मानसून तक इसके बारहमासी नदी बनने की परिकल्पना साकार हो सकती है. योजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इसका 90 से 95 प्रतिशत हिस्से में कोई समस्या नहीं है. जल्द ही यह नदी पूरे फ्लो के साथ बहेगी.

Dravyavati River Project still not completed, wait extended as work incomplete
अगले मानसून में ही द्रव्यवती नदी के बारहमासी होने की परिकल्पना हो सकेगी सार्थक
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Published : Jun 19, 2022, 8:34 PM IST

जयपुर. राजधानी में प्री मानसून की बारिश के साथ ही द्रव्यवती नदी को लेकर के भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं. कारण साफ है कि बारिश के पानी के जरिए इस कृत्रिम नदी को बारहमासी नदी बनाने की प्लानिंग थी. पिछली मर्तबा तेज बारिश में द्रव्यवती नदी पर पानी की चादर तक चली थी. लेकिन अभी कई जगह तो द्रव्यवती नदी का काम ही पूरा नहीं हो पाया है. एसटीपी से फिल्टर पानी के अलावा भी सीवरेज का गंदा पानी इस नदी में आ रहा है. इन समस्याओं को दूर करने में फिलहाल जेडीए को 5 से 7 महीने का समय और (Dravyavati River Project still not completed) लगेगा.

ऐसे में ये बात तय है कि द्रव्यवती नदी को बारहमासी होने की परिकल्पना अगले मानसून में ही सार्थक हो पाएगी. द्रव्यवती नदी के दूसरे चरण के उद्घाटन का इंतजार बढ़ता जा रहा है. वहीं डेहलवास सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरू नहीं होने और मेंटीनेंस के अभाव में फिलहाल यह नदी नाला प्रतीत हो रही है. यही नहीं गोनेर पुलिया से पदमपुरा पुलिया की ओर करीब 2 किलोमीटर में द्रव्यवती नदी का काम अटका हुआ है. जबकि हसनपुरा क्षेत्र में भी कुछ जगह नदी की दीवार नहीं बनाई जा सकी है. इसके अलावा सीकर रोड पर मजार डैम के पास भी काम अधूरा पड़ा है. इनमें से कुछ जगह कोर्ट का स्टे भी है. जिस पर अब तक कोई फैसला नहीं आया है.

द्रव्यवती नदी के बारहमासी होने की परिकल्पना...

पढ़ें: एक नाला जो ₹13,00 करोड़ पीकर भी नहीं बन पाया नदी

जानकारी के अनुसार परियोजना में देरी का कारण हसनपुरा क्षेत्र में करीब 700 मीटर लम्बाई में स्थानीय लोगों का गतिरोध और कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण चैनल के दोनों ओर के विकास कार्य बाधित है. जबकि नदी के इस भाग में चैनल निर्माण का काम पूरा किया जा चुका है. वहीं, बाकी तीन जगहों पर भी कोर्ट के स्थगन आदेश के कारण लगभग 650 मीटर लम्बाई का कार्य प्रभावित है. गोनेर गांव के पास किसानों के भूमि के मुआवजे की मांग की भी एक वजह है, जिससे लगभग 2 किमी में काम-काज बाधित चल रहा हैं. चूंकि वहां भी जमीन मुआवजे संबंधी प्रकरण हाईकोर्ट में पेंडिग हैं. यही नहीं नदी में 20 जगह बनाए गए चैनल्स को साफ करने की अब तक व्यवस्था तक नहीं की गई है.

पढ़ें: Special : जयपुर के ये प्रोजेक्ट साबित हुए Waste Of Money, करोड़ों खर्च करने के बाद भी कोई औचित्य नहीं !

हालांकि जेडीसी की मानें तो द्रव्यवती नदी एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. ये नहर जयपुर के बीच से गुजरती है. 53 किलोमीटर की इस परियोजना में 6 किलोमीटर फॉरेस्ट है. जिसमें प्राकृतिक रूप से पानी चैनेलाइज हो रहा है और इसके बाद 47 किलोमीटर तक इसे कृत्रिम रूप दिया गया है. हालांकि अभी भी कुछ एरिया ऐसे हैं, जहां पर पेंच फंसे हुए हैं. कुछ जगह नदी के दोनों तरफ अतिक्रमण की समस्या है, जिसकी वजह से नदी को वहां चौड़ाई नहीं दी जा सकी.

पढ़ें: जयपुर: द्रव्यवती नदी ड्रीम प्रोजेक्ट की खुली पोल, ढही रेलिंग...कॉज वे पर भी बही नदी

पानी के ट्रीटमेंट की भी कुछ समस्या है, डेहलावास में एसटीपी प्लांट को अपग्रेड करने का काम किया जा रहा है. जिससे ट्रीटेड वॉटर नदी में नहीं जा रहा. इसलिए बदबू की भी समस्या बनी हुई है. कुछ जगह प्राइवेट लैंड आने की वजह से न्यायालय में भी प्रकरण चल रहा है, लेकिन ये सभी प्रकरण बहुत कम क्षेत्र में हैं. फिलहाल 90 से 95 फीसदी तक द्रव्यवती में कोई समस्या नहीं है. ऑपरेशन एंड मैनेजमेंट को लेकर की भी टाटा कंपनी से बातचीत चल रही है और जल्द ही इन सारी कठिनाइयों को दूर करते हुए आने वाले समय में द्रव्यवती नदी पूरे फ्लो के साथ बहेगी.

उन्होंने दावा किया कि हाल ही में ड्रोन फोटोग्राफी कराई गई (Drone photography Dravyavati River Project) है. जिसमें काफी हद तक द्रव्यवती नदी में सुधार नजर आया है. कुछ जगह सफाई का काम भी किया जा रहा है. साथ ही जहां एक तरफ से दूसरी तरफ जाने की समस्या थी, वहां पुलिया-कल्वर्ट का भी काम कराया गया है. जहां तक सुशीलपुरा पुलिया में सीवरेज का पानी नदी में मिल रहा है, वहां नया एसटीपी प्लांट के लिए जगह चिह्नित की गई है. हालांकि इन समस्याओं को दूर करने में अभी 5 से 7 महीने का समय और लगेगा.

पढ़ें: स्पेशल: द्रव्यवती नदी के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में क्षमता से अधिक आवक ने बढ़ाई चुनौती

आपको बता दें कि द्रव्यवती नदी के सौंदर्यीकरण का प्रोजेक्ट पूर्वर्ती भाजपा सरकार लेकर आई थी. द्रव्यवती नदी परियोजना का काम एक अगस्त 2016 को शुरू किया गया था. तब इसे पूरा करने की तिथि 10 अक्टूबर, 2018 रखी गई थी. हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अक्टूबर 2018 को इस प्रोजेक्ट के पहले चरण का उद्घाटन कर दिया था. लेकिन प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही काम की रफ्तार भी धीमी होते होते लगभग बंद पड़ गए. हालांकि अब इस प्रोजेक्ट का दूसरा चरण जल्द पूरा करने का दावा किया जा रहा है. परियोजना की कुल लागत राशि 1470.85 करोड़ और 10 साल के रख-रखाव के लिए 206.08 करोड़ शामिल करते हुए 1676.93 करोड़ रुपए आंकी गई थी. सरकारी आकड़ों के अनुसार अब तक परियोजना पर 1413.06 करोड़ रुपए का खर्च किया जा चुका है.

जयपुर. राजधानी में प्री मानसून की बारिश के साथ ही द्रव्यवती नदी को लेकर के भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं. कारण साफ है कि बारिश के पानी के जरिए इस कृत्रिम नदी को बारहमासी नदी बनाने की प्लानिंग थी. पिछली मर्तबा तेज बारिश में द्रव्यवती नदी पर पानी की चादर तक चली थी. लेकिन अभी कई जगह तो द्रव्यवती नदी का काम ही पूरा नहीं हो पाया है. एसटीपी से फिल्टर पानी के अलावा भी सीवरेज का गंदा पानी इस नदी में आ रहा है. इन समस्याओं को दूर करने में फिलहाल जेडीए को 5 से 7 महीने का समय और (Dravyavati River Project still not completed) लगेगा.

ऐसे में ये बात तय है कि द्रव्यवती नदी को बारहमासी होने की परिकल्पना अगले मानसून में ही सार्थक हो पाएगी. द्रव्यवती नदी के दूसरे चरण के उद्घाटन का इंतजार बढ़ता जा रहा है. वहीं डेहलवास सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरू नहीं होने और मेंटीनेंस के अभाव में फिलहाल यह नदी नाला प्रतीत हो रही है. यही नहीं गोनेर पुलिया से पदमपुरा पुलिया की ओर करीब 2 किलोमीटर में द्रव्यवती नदी का काम अटका हुआ है. जबकि हसनपुरा क्षेत्र में भी कुछ जगह नदी की दीवार नहीं बनाई जा सकी है. इसके अलावा सीकर रोड पर मजार डैम के पास भी काम अधूरा पड़ा है. इनमें से कुछ जगह कोर्ट का स्टे भी है. जिस पर अब तक कोई फैसला नहीं आया है.

द्रव्यवती नदी के बारहमासी होने की परिकल्पना...

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जानकारी के अनुसार परियोजना में देरी का कारण हसनपुरा क्षेत्र में करीब 700 मीटर लम्बाई में स्थानीय लोगों का गतिरोध और कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण चैनल के दोनों ओर के विकास कार्य बाधित है. जबकि नदी के इस भाग में चैनल निर्माण का काम पूरा किया जा चुका है. वहीं, बाकी तीन जगहों पर भी कोर्ट के स्थगन आदेश के कारण लगभग 650 मीटर लम्बाई का कार्य प्रभावित है. गोनेर गांव के पास किसानों के भूमि के मुआवजे की मांग की भी एक वजह है, जिससे लगभग 2 किमी में काम-काज बाधित चल रहा हैं. चूंकि वहां भी जमीन मुआवजे संबंधी प्रकरण हाईकोर्ट में पेंडिग हैं. यही नहीं नदी में 20 जगह बनाए गए चैनल्स को साफ करने की अब तक व्यवस्था तक नहीं की गई है.

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हालांकि जेडीसी की मानें तो द्रव्यवती नदी एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. ये नहर जयपुर के बीच से गुजरती है. 53 किलोमीटर की इस परियोजना में 6 किलोमीटर फॉरेस्ट है. जिसमें प्राकृतिक रूप से पानी चैनेलाइज हो रहा है और इसके बाद 47 किलोमीटर तक इसे कृत्रिम रूप दिया गया है. हालांकि अभी भी कुछ एरिया ऐसे हैं, जहां पर पेंच फंसे हुए हैं. कुछ जगह नदी के दोनों तरफ अतिक्रमण की समस्या है, जिसकी वजह से नदी को वहां चौड़ाई नहीं दी जा सकी.

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पानी के ट्रीटमेंट की भी कुछ समस्या है, डेहलावास में एसटीपी प्लांट को अपग्रेड करने का काम किया जा रहा है. जिससे ट्रीटेड वॉटर नदी में नहीं जा रहा. इसलिए बदबू की भी समस्या बनी हुई है. कुछ जगह प्राइवेट लैंड आने की वजह से न्यायालय में भी प्रकरण चल रहा है, लेकिन ये सभी प्रकरण बहुत कम क्षेत्र में हैं. फिलहाल 90 से 95 फीसदी तक द्रव्यवती में कोई समस्या नहीं है. ऑपरेशन एंड मैनेजमेंट को लेकर की भी टाटा कंपनी से बातचीत चल रही है और जल्द ही इन सारी कठिनाइयों को दूर करते हुए आने वाले समय में द्रव्यवती नदी पूरे फ्लो के साथ बहेगी.

उन्होंने दावा किया कि हाल ही में ड्रोन फोटोग्राफी कराई गई (Drone photography Dravyavati River Project) है. जिसमें काफी हद तक द्रव्यवती नदी में सुधार नजर आया है. कुछ जगह सफाई का काम भी किया जा रहा है. साथ ही जहां एक तरफ से दूसरी तरफ जाने की समस्या थी, वहां पुलिया-कल्वर्ट का भी काम कराया गया है. जहां तक सुशीलपुरा पुलिया में सीवरेज का पानी नदी में मिल रहा है, वहां नया एसटीपी प्लांट के लिए जगह चिह्नित की गई है. हालांकि इन समस्याओं को दूर करने में अभी 5 से 7 महीने का समय और लगेगा.

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आपको बता दें कि द्रव्यवती नदी के सौंदर्यीकरण का प्रोजेक्ट पूर्वर्ती भाजपा सरकार लेकर आई थी. द्रव्यवती नदी परियोजना का काम एक अगस्त 2016 को शुरू किया गया था. तब इसे पूरा करने की तिथि 10 अक्टूबर, 2018 रखी गई थी. हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अक्टूबर 2018 को इस प्रोजेक्ट के पहले चरण का उद्घाटन कर दिया था. लेकिन प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही काम की रफ्तार भी धीमी होते होते लगभग बंद पड़ गए. हालांकि अब इस प्रोजेक्ट का दूसरा चरण जल्द पूरा करने का दावा किया जा रहा है. परियोजना की कुल लागत राशि 1470.85 करोड़ और 10 साल के रख-रखाव के लिए 206.08 करोड़ शामिल करते हुए 1676.93 करोड़ रुपए आंकी गई थी. सरकारी आकड़ों के अनुसार अब तक परियोजना पर 1413.06 करोड़ रुपए का खर्च किया जा चुका है.

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