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मोबाइल टावर्स से करोड़ों का रेवेन्यू जनरेट कर रहा जयपुर नगर निगम, जानिए कैसे

जयपुर नगर निगम ने मोबाइल टावर्स को लेकर अलग मद बनाया है जिसके तहत रेवेन्यू वसूली कर रहा है. लाइसेंस मद से अलग मोबाइल टावर्स की अलग मद शुरू की गई है. जिसमें मोबाइल टावर, एरियल लाइन और अंडर ग्राउंड लाइन का पैसा आता है.

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Published : Sep 10, 2019, 5:44 PM IST

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जयपुर. नगर निगम बीते 2 साल से मोबाइल टावर्स को लेकर अलग मद बना कर रेवेन्यू वसूली कर रहा है. सेंट्रलाइज सिस्टम होने के बाद अब तक 17 करोड़ से ज्यादा की वसूली की जा चुकी हैं. जो निगम के दूसरे टैक्स की वसूली से कहीं ज्यादा है.

मोबाइल टावर्स से करोड़ों का रेवेन्यू जनरेट

राजधानी में हर चौराहे पर मोबाइल टावर देखे जा सकते हैं. पहले जोन कार्यालय स्तर पर उपायुक्त की ओर से इसकी परमिशन दी जाती थी और लाइसेंस मद में एनओसी देते समय वसूली की जाती थी. लेकिन बीते 2 साल में मोबाइल टावर पर लगाम लगाने और इनसे वसूली करने के लिए निगम मुख्यालय पर सेंट्रलाइज सिस्टम शुरू किया गया. जिसके तहत लाइसेंस मद से अलग मोबाइल टावर्स की अलग मद शुरू की गई है. जिसमें मोबाइल टावर, एरियल लाइन और अंडर ग्राउंड लाइन का पैसा आता है.

पढ़ें: छोटे-छोटे बच्चों ने बना डाला ताजिए में हिंदुस्तान

इस संबंध में रेवेन्यू उपायुक्त नवीन भारद्वाज ने बताया कि नई मोबाइल टावर पॉलिसी आने के बाद मुख्यालय में सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया गया. जिसके बाद साल 2017-18 में 6 करोड़ 54 लाख और साल 2018-19 में 7 करोड़ 29 लाख रुपए की वसूली की गई. वहीं चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 2 करोड़ 67 लाख रुपए की वसूली की जा चुकी हैं. जो बीते साल अगस्त तक 2 करोड़ 2 लाख से ज्यादा है. उन्होंने कहा कि इस साल के अंत तक पिछले साल के रेवेन्यू कलेक्शन को पीछे छोड़ दिया जाएगा.

बता दें साल 2017 से पहले तक निगम मुख्यालय में ना तो मोबाइल टावर की मद थी और ना ही यहां रेवेन्यू शाखा के हाथ में इसकी सीधी पकड़ थी. लेकिन 2 साल पहले पॉलिसी बदलने के बाद अब रेवेन्यू शाखा इस पर सीधे निगरानी बनाये हुए है. जिसका फायदा भी निगम को मिल रहा है.

जयपुर. नगर निगम बीते 2 साल से मोबाइल टावर्स को लेकर अलग मद बना कर रेवेन्यू वसूली कर रहा है. सेंट्रलाइज सिस्टम होने के बाद अब तक 17 करोड़ से ज्यादा की वसूली की जा चुकी हैं. जो निगम के दूसरे टैक्स की वसूली से कहीं ज्यादा है.

मोबाइल टावर्स से करोड़ों का रेवेन्यू जनरेट

राजधानी में हर चौराहे पर मोबाइल टावर देखे जा सकते हैं. पहले जोन कार्यालय स्तर पर उपायुक्त की ओर से इसकी परमिशन दी जाती थी और लाइसेंस मद में एनओसी देते समय वसूली की जाती थी. लेकिन बीते 2 साल में मोबाइल टावर पर लगाम लगाने और इनसे वसूली करने के लिए निगम मुख्यालय पर सेंट्रलाइज सिस्टम शुरू किया गया. जिसके तहत लाइसेंस मद से अलग मोबाइल टावर्स की अलग मद शुरू की गई है. जिसमें मोबाइल टावर, एरियल लाइन और अंडर ग्राउंड लाइन का पैसा आता है.

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इस संबंध में रेवेन्यू उपायुक्त नवीन भारद्वाज ने बताया कि नई मोबाइल टावर पॉलिसी आने के बाद मुख्यालय में सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया गया. जिसके बाद साल 2017-18 में 6 करोड़ 54 लाख और साल 2018-19 में 7 करोड़ 29 लाख रुपए की वसूली की गई. वहीं चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 2 करोड़ 67 लाख रुपए की वसूली की जा चुकी हैं. जो बीते साल अगस्त तक 2 करोड़ 2 लाख से ज्यादा है. उन्होंने कहा कि इस साल के अंत तक पिछले साल के रेवेन्यू कलेक्शन को पीछे छोड़ दिया जाएगा.

बता दें साल 2017 से पहले तक निगम मुख्यालय में ना तो मोबाइल टावर की मद थी और ना ही यहां रेवेन्यू शाखा के हाथ में इसकी सीधी पकड़ थी. लेकिन 2 साल पहले पॉलिसी बदलने के बाद अब रेवेन्यू शाखा इस पर सीधे निगरानी बनाये हुए है. जिसका फायदा भी निगम को मिल रहा है.

Intro:जयपुर - नगर निगम बीते 2 साल से मोबाइल टॉवर्स को लेकर अलग मद बना कर रेवेन्यू वसूली कर रहा है। सेंट्रलाइज सिस्टम होने के बाद अब तक 17 करोड़ से ज्यादा की वसूली की जा चुकी हैं। जो निगम के दूसरे टैक्स की वसूली से कहीं ज्यादा है।


Body:राजधानी में हर चौराहे पर मोबाइल टावर देखे जा सकते हैं। पहले जोन कार्यालय स्तर पर उपायुक्त की ओर से इसकी परमिशन दी जाती थी। और लाइसेंस मद में एनओसी देते समय वसूली की जाती थी। लेकिन बीते 2 साल में मोबाइल टावर पर लगाम लगाने और इनसे वसूली करने के लिए निगम मुख्यालय पर सेंट्रलाइज सिस्टम शुरू किया गया। जिसके तहत लाइसेंस मद से अलग मोबाइल टॉवर्स की अलग मद शुरू की गई है। जिसमें मोबाइल टावर, एरियल लाइन और अंडर ग्राउंड लाइन का पैसा आता है। इस संबंध में रेवेन्यू उपायुक्त नवीन भारद्वाज ने बताया कि नई मोबाइल टावर पॉलिसी आने के बाद मुख्यालय में सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया गया। जिसके बाद साल 2017-18 में 6 करोड़ 54 लाख और साल 2018-19 में 7 करोड़ 29 लाख रुपए की वसूली की गई। वहीं चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 2 करोड़ 67 लाख रुपए की वसूली की जा चुकी हैं। जो बीते साल अगस्त तक 2 करोड़ 2 लाख से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि इस साल के अंत तक पिछले साल के रेवेन्यू कलेक्शन को पीछे छोड़ दिया जाएगा।
बाईट - नवीन भारद्वाज, उपायुक्त, रेवेन्यू


Conclusion:आपको बता दें साल 2017 से पहले तक निगम मुख्यालय में ना तो मोबाइल टावर की मद थी और ना ही यहां रेवेन्यू शाखा के हाथ में इसकी सीधी पकड़ थी। लेकिन 2 साल पहले पॉलिसी बदलने के बाद अब रेवेन्यू शाखा इस पर सीधे निगरानी बनाये हुए है। जिसका फायदा भी निगम को मिल रहा है।
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