जयपुर. आपने 'लौट के बुद्धू घर को आए' कहावत तो सुनी होगी, ये कहावत फिलहाल जयपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन पर फिट बैठ रही है. मेट्रो प्रशासन ने बाहरी कंसलटेंट के डिजाइन को अप्रूव करते हुए लाखों रुपए फूंक जयपुर की रियासत कालीन चौपड़ों को गोल कर दिया था .
18 नवंबर 1727 को महाराजा जयसिंह द्वितीय ने जयपुर को बसाया. तब से चौकोर रही छोटी चौपड़ को गोल किए जाने की खबर ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रसारित की, जिसके बाद आम जनता, व्यापारी और राजनीतिक दलों ने भी जमकर विरोध किया.
ऐसे में सरकार ने मेट्रो के काम में दखल देते हुए इसे दोबारा चौकोर करने के निर्देश दिए हैं. रविवार को भूल सुधार के काम ने गति भी पकड़ी. इसे लेकर मेट्रो सीएमडी डॉ. समित शर्मा ने बताया कि मीडिया और जनप्रतिनिधियों की ओर से सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया गया. जिस पर संज्ञान लेते हुए सरकार ने चौपड़ को चौकोर बनाने के निर्देश दिए. वहीं अब जेएमआरसी के इंजीनियर्स चौपड़ के मूल स्वरूप के अनुसार ही फुटपाथ का स्वरूप चौकोर करने का काम कर रहे हैं.
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292 साल पहले जयपुर की बसावट के दौरान तीन चौपड़ बनाई गई थी, जिन्हें वर्तमान में छोटी चौपड़, बड़ी चौपड़ और रामगंज चौपड़ के नाम से जाना जाता है. परकोटे की इसी विरासत के दम पर यूनेस्को से विश्व विरासत का टैग मिला. यही वजह रही कि जब इसका स्वरूप बिगाड़ा गया तो जमकर विरोध भी हुआ.