जयपुर. राजधानी जयपुर में सफाई को लेकर प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी नाराजगी जता चुके हैं. धारीवाल ने तो नियम शर्तों को लेकर कंपनी पर कार्रवाई करने की मजबूरी बताकर एग्रीमेंट नहीं तोड़ने की बात कही थी. लेकिन हेरिटेज निगम प्रशासन ने बड़ा फैसला लेते हुए एमओयू की शर्तों को की पालना नहीं करने पर बीवीजी कंपनी को टर्मिनेट कर दिया.
इसके बाद से 150 वार्ड वाले ग्रेटर नगर निगम (Jaipur Greater Municipal Corporation news) में भी कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाने की आवाज एक बार फिर बुलंद हुई है. ग्रेटर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने कहा कि कानूनी बाध्यताएं समाप्त कर ग्रेटर निगम में भी कम्पनी का एग्रीमेंट रद्द किया जाना चाहिए. ताकि ग्रेटर क्षेत्र की सफाई व्यवस्था जल्द से जल्द पटरी पर लौट सके. कर्णावट ने कहा कि कंपनी की मनमानी और खराब सफाई व्यवस्था के कारण स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के सर्वे की रैंक में पिछड़े.
लेकिन आगामी सर्वेक्षण 2022 के लिए शुरू होने वाले सर्वे में जयपुर की छवि सुधारने की चुनौती निगम के सामने है. ऐसे में शहर की आम जनता और शहर की गिरती साख को देखते हुए उन्होंने राज्य सरकार से कानूनी बाध्यताएं समाप्त करवाने के लिए कोर्ट में निगम का पक्ष मजबूती से रखने के लिए अधिकारियों को निर्देशित करने की अपील की.
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बता दें कि किसी बीवीजी कंपनी (Jaipur BVG Company Case) के रुके हुए भुगतान को लेकर ग्रेटर निगम में कई बड़े विवाद हुए. इस विवाद में तत्कालीन मेयर सौम्या गुर्जर को कुर्सी तक गंवानी पड़ी थी. वहीं कोरोना काल में भी कंपनी के कर्मचारियों की ओर से बार-बार हड़ताल पर जाने से शहर की कई बार सफाई व्यवस्था भी बिगड़ी.