जयपुर. जेडीए की वेस्टवे हाइट योजना में विकास कार्यों के लिए 9.82 करोड़, ट्रांसपोर्ट नगर योजना के ब्लॉक ए और बी में शेष बीटी सड़क और लॉ हाइट कंपाउंड वॉल के निर्माण के लिए 11 करोड़ की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति दी गई है. इसके साथ ही पृथ्वीराज नगर में शेष सेक्टर सड़कों के निर्माण के लिए 7 करोड़, पृथ्वीराज नगर (दक्षिण) में मुख्य सड़कों पर स्ट्रीट लाइट के लिए 2.35 करोड़ की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति दी गई.
इसके साथ ही जेडीसी में पृथ्वीराज नगर में सड़क निर्माण में सीवरेज लाइन और पेयजल लाइन की सुव्यवस्थित प्लानिंग करने के भी निर्देश दिए. वहीं, जेडीए क्षेत्राधिकार के उद्यान और पार्कों में 2 वर्ष की अवधि के लिए विकास कार्यों और संधारण कार्य के लिए 4.28 करोड़ रुपए, रामनिवास बाग स्थित वंडरलैंड पार्क के संधारण कार्य और विभिन्न विकास कार्य के लिए 2.16 करोड़ की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति दी गई. जबकि जोन-10 क्षेत्र में पीएचईडी द्वारा जलापूर्ति परियोजना के तहत वितरण लाइन के लिए किए गए रोड कट की मरम्मत के लिए 2.28 करोड़ की स्वीकृति दी गई.
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जयपुर-दिल्ली रेलवे लाइन पर रेलवे ओवरब्रिज कानोता-सांभरिया रोड का निर्माण पीडब्ल्यूडी और रेलवे द्वारा कॉस्ट शेयरिंग आधार पर करवाया गया है. इस जमीन का स्वामित्व जेडीए के पास होने से पीडब्ल्यूडी का हिस्सा राशि 13.35 करोड़ रुपए का भुगतान जेडीए द्वारा किया जाएगा. जिसकी प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति दी गई. जयपुर विकास प्राधिकरण की आवासीय योजना रामनगरिया विस्तार के बी ब्लॉक में आरक्षित जमीन की रिप्लानिंग और रिंग रोड परियोजना से प्रभावित खातेदारों को मुआवजा स्वरूप भूमि आवंटन के लिए रिंग रोड योजना ग्राम प्रहलादपुरा में रिजर्व भूखंडों की प्लानिंग का भी अनुमोदन किया गया.
वहीं, जेडीए सेक्टर रोड की जारी नई एसओपी की गाइडलाइन के अनुसार जोन 12 क्षेत्र में आने वाले जोनल प्लान-16 की प्रस्तावित 60 मीटर सड़क का निर्माण कार्य प्राथमिकता से करेगा. अजमेर रोड टोल से लगभग 2.5 किलोमीटर आगे से शुरू होकर ग्राम सांझरिया के पास प्राधिकरण की योजना संकल्प नगर और आनंद विहार होकर बड़ के बालाजी धानक्या रोड को क्रॉस कर प्रस्तावित उत्तरी रिंग रोड को मिलाती है. इस सड़क की लंबाई 7.77 किलोमीटर है और एसओपी के अनुसार बी कैटेगरी की रोड है. ऐसे में जेडीसी ने सेक्टर सड़कों के संबंध में अधिकारियों को सेक्टर सड़कों के साथ-साथ 100-100 मीटर की व्यावसायिक भू-पट्टी विकसित करने के भी निर्देश दिए हैं, ताकि अवाप्त भूमि के मुआवजे के रूप में उसी स्थान पर भूमि दी जा सके.