जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना का संक्रमण हर दिन बढ़ता ही जा रहा है. देश और प्रदेश में कई परिवार ऐसे हैं जिन्होंने इस महामारी का दंश झेला है और अभी भी झेल रहें हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होंने मजबूत आत्मबल के सहारे इस महामारी को मात दी और वापस अपने घर भी लौटे.
ऐसे ही परिवारों में शामिल है सोडाला निवासी हेमेंद्र शर्मा का परिवार, जिन्होंने महज 16 दिनों में इस महामारी को परास्त किया. ईटीवी भारत ने हेमेंद्र शर्मा से खास बात की और जाना कि आखिर किस तरह जीवन की इस जंग में उन्होंने कोरोनो को मात दी.
सोडाला के सत्येंद्र कॉलोनी निवासी हेमेंद्र शर्मा को 25 अप्रैल का वो दिन आज भी याद है. जब उनके छोटे भाई सुरेंद्र पंचोली को हल्का बुखार आया लेकिन एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते भाई सुरेंद्र और खुद हेमेंद्र शर्मा अस्पताल पहुंचे और अपनी जांच कराई .जांच में कोरोना पॉजिटिव आए तो डरे नहीं बल्कि स्वयं ही अस्पताल में भर्ती हो गए. 30 अप्रैल को 80 वर्षीय मां विजयलता, बेटी और छोटे भाई की पत्नी भी संक्रमित पाए गए.परिवार के संक्रमण से सभी सदस्य परेशान तो थे लेकिन इन्होंने बीमारी को खुद पर हावी नहीं होने दिया.
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हालांकि कोरोना से जंग में हेमेंद्र के छोटे भाई सुरेंद्र पंचोली जीवन की जंग हार गए लेकिन परिवार के बाकी सदस्य इस महा जंग को 16 दिनों में जीतकर वापस घर आ गए. ईटीवी भारत ने जब सबके लिए मिसाल बन हेमेंद्र शर्मा से बात की तो उन्होंने इस दौरान घटित हर बात साझा की और कहां की यह समय बीमारी से डरने का नहीं बल्कि उससे लड़ने का है और यह लड़ाई केवल मजबूत आत्म बल के सहारे ही जीती जा सकती है.
योग प्राणायाम ने दिया सहारा, हमेशा रखी सकारात्मक सोचः-
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान हेमेंद्र शर्मा ने बताया कि वे और उनकी 80 साल की मां सुबह और शाम प्राणायाम और योग करती हैं. शर्मा के अनुसार उनका पूरा परिवार धार्मिक और सकारात्मक सोच रखने वाला है. यही कारण संकट के समय भी सोशल मीडिया पर चल रही तमाम अफवाहों के दौरान भी उन्होंने खुद पर नकारात्मक सोच हावी नहीं होने दी और सकारात्मक सोच के जरिए ही वे इस बीमारी से लड़ते रहे और अंत में जीत भी हासिल की.
सीमित संसाधनों में चिकित्साकर्मी कर रहें अच्छा कामः-
हेमेंद्र शर्मा 26 अप्रैल से 12 मई तक अस्पताल में ही रहे और इस दौरान उन्हें एसएमएस अस्पताल के चिकित्सा कर्मियों का भी पूरा सहयोग भी मिला. शर्मा बताते हैं कि अस्पताल और चिकित्सा कर्मियों के पास सीमित संसाधन है, बावजूद इसके सेवा भाव में कोई कमी नहीं आने दी. यही कारण है कि जिस वार्ड में वो भर्ती थे वहां भर्ती 27 में से केवल 3 लोगों को छोड़कर बाकी सभी 24 लोग ठीक हो गए और उनकी रिपोर्ट भी कुछ ही दिनों में नेगेटिव आ गई.
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अस्पताल में हेल्दी फूड और फ्रूट भी देते थेः-
अब तक क्वॉरेंटाइन किए गए मरीजों को लेकर सियासी आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं. लेकिन हेमेंद्र शर्मा की माने तो एसएमएस अस्पताल में तमाम मरीजों को ना केवल समय पर हेल्दी भोजन मिलता था बल्कि प्रतिदिन कोई न कोई फल भी मरीजों को दिए जाते थे. शर्मा ने बताया बेहतर खानपान की व्यवस्था और सकारात्मक माहौल के चलते ही अधिकतर मरीज जल्दी रिकवर हो गए.
स्थानीय विधायक और मंत्री खाचरियावास लगातार पूछते थे कुशलक्षेमः-
बातचीत में हेमेंद्र शर्मा ने बताया कि जब वे अस्पताल में इस महामारी से लड़ रहे थे तब प्रतिदिन क्षेत्रीय कांग्रेस विधायक और सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास फोन के जरिए उनकी कुशलक्षेम पूछते थे. कुशल क्षेम पूछने पर ऐसा महसूस होता था की वे उनके साथ ही खड़े हैं जिससे मनोबल भी ऊंचा रहता था.
सोच बदलनी होगी की कोरोना से लड़ों कोरोना पीड़ित से नहींः-
कोरोना को परास्त करने वाले हेमेंद्र शर्मा बताते हैं कि संकट की इस घड़ी में आम लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी. लोगों को समझना होगा की लड़ाई कोरोना से है पीड़ितों से नहीं. इसलिए कोरोना से लड़े और इसमें जुटे योद्धाओं की मदद भी करें. हेमेंद्र शर्मा इस बात से भी आहत है जब अस्पताल में भर्ती थे तो सोशल मीडिया में कुछ लोगों ने उनके निधन की अफवाह उड़ा दी. हेमेंद्र शर्मा के अनुसार इस प्रकार की अफवाहों से बचना चाहिए क्योंकि इससे व्यक्ति का मनोबल टूटता है.