जयपुर. प्रदेश की 3 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में एक और जहां कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक रखी है, तो वही पार्टी का आलाकमान अपने ही कमजोरियों पर बारीकी से मंथन कर उन्हें दूर करने का प्रयास कर रहा है. पार्टी में टिकट वितरण के बाद अंदर खाने बड़ी नाराजगी और गुटबाजी पर तो आलाकमान की नजर है ही, इसके साथ ही राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने से नाराज कार्यकर्ताओं को मनाना भी एक बड़ी चुनौती है. हालांकि, पार्टी के कमजोर पक्ष के साथ ही इन चुनाव में कुछ मजबूत पक्ष भी हैं, जिन पर उपचुनाव में पार्टी को फायदा मिल सकता है. जानकारों की माने तो कांग्रेस के थिंकटैक ने कांग्रेस के मजबूत और कमजोर पक्षों की सूची तैयार की है. जिस पर लगातार मंथन चल रहा है. लंबी रायशुमारी के बाद पार्टी के यह कमजोर और मजबूत पक्ष निकल कर सामने आए हैं.
कांग्रेस के मजबूत पक्ष
- जिन 3 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उन पर पहले से ही सत्ताधारी दल कांग्रेस काबिज थी. ऐसे में 2 विधायकों के दिवंगत होने का फायदा कांग्रेस पार्टी को सहानुभूति के रूप में मिलेगा.
- कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस किसान आंदोलन का फायदा मिलने की आस लगाए बैठी है.
- इस बार चुनाव में बसपा की ओर से उपचुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारे गए, जिससे दलित वोट बैंक कांग्रेस के साथ रहने की उम्मीद है
- प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार है, ऐसे में सरकार होने का फायदा कांग्रेस को मिलेगा.
- स्थानीय निकायों के चुनाव में कांग्रेस को मिली बढ़त.
- सहारा सीट पर पिपलिया के नामांकन वापस लेने पर भाजपा के दबाव को कांग्रेस मान रही है अपने पक्ष में.
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कांग्रेस के कमजोर पक्ष
- राजनीतिक नियुक्तियों के नहीं होने से कार्यकर्ताओं की निराशा.
- एससी एसटी और माइनॉरिटी के विधायकों के साथ भेदभाव के आरोप अपनी ही पार्टी के विधायकों की ओर से लगाए गए.
- पार्टी में गहलोत पायलट कैंप मैं बड़ा होना जिसका चुनाव में नुकसान हो सकता है.
- टिकट वितरण से नाराज नेताओं की अंदर खाने बगावत.
- सरकार की एंटी इनकंबेंसी का असर.
- पुजारी हत्याकांड में भाजपा का चल रहा जयपुर के सिविल लाइंस फाटक पर आंदोलन कर सकता है. दोनों जनरल सीटों पर कांग्रेस को नुकसान.