जयपुर. प्रदेश के 196 निकायों को लेकर निकाली गई लॉटरी कुछ लोगों के लिए खुशखबरी लेकर आई, तो कुछ मायूस हो गए. राज्य सरकार की ओर से जयपुर में दो नगर निगम किए जाने के बाद कई दिग्गज नेता तैयारियों में जुट गए थे. जयपुर ग्रेटर और जयपुर हेरिटेज के मेयर की कतार में सामान्य वर्ग के कई बड़े नेता खड़े हो गए थे. लेकिन इन सभी के अरमान आंसुओं में बहते नजर आए.
दावेदारों की प्रथम पंक्ति में खड़े मेयर विष्णु लाटा भी इसी उम्मीद के साथ स्वायत्त शासन भवन पहुंचे थे कि वे खुशखबरी लेकर ही घर लौटेंगे. लेकिन लॉटरी के खेल ने उनके समीकरण को ही बिगाड़ दिया. पहले जयपुर ग्रेटर और उसके बाद जयपुर हेरिटेज की लॉटरी ओबीसी महिला के तौर पर निकली तो मेयर को वहां से मायूस ही लौटना पड़ा. हालांकि, जयपुर निगम की सीट ओबीसी के खाते में आने तक तो मेयर के साथ पहुंचे चेयरमैन भगवत सिंह देवल काफी खुश नजर आ रहे थे. लेकिन ओबीसी महिला की लॉटरी निकलने के साथ ही उनके मंसूबे पर भी पानी फिर गया.
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इसके अलावा कांग्रेस और बीजेपी के कई चेहरे जिन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मौका नहीं मिला था या मौका मिलने के बाद हार का स्वाद चखना पड़ा था, वो अब तक मेयर का लड्डू खाने के इंतजार में बैठे थे. लेकिन उनका ये इंतजार, इंतजार बनकर ही रह गया. हालांकि लॉटरी निकलने के बाद कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने विरोध भी दर्ज कराया.
उन्होंने कहा कि जब जयपुर, जोधपुर, कोटा में नए सिरे से वार्ड का परिसीमन होना है, तो फिर इनके महापौर पद की लॉटरी आज ही क्यों निकाली गई. हालांकि इसके जवाब में स्वायत्त शासन सचिव ने साफ किया कि प्रदेश की सभी नगर निकाय एक इकाई है. ऐसे में यदि एक निकाय में भी चुनाव होना होता है, तो भी सभी नगरीय निकायों की लॉटरी निकाली जाती है.