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जयपुर नगर निगम की दोनों सीट हुई ओबीसी महिला के नाम आरक्षित, टूटे कई दिग्गजों के सपने

जयपुर नगर निगम की दोनों सीट ओबीसी महिला के लिए आरक्षित होने के साथ ही कई दिग्गज नेताओं के सपने चूर हो गए. उम्मीदों से भरे हुए मेयर विष्णु लाटा भी स्वायत्त शासन भवन से मायूस होकर लौटे. वहीं, अब राजनीतिक दलों में पिछली कतारों में खड़ी ओबीसी महिला नेताओं की दौड़ शुरू होगी.

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Published : Oct 21, 2019, 6:44 AM IST

जयपुर. प्रदेश के 196 निकायों को लेकर निकाली गई लॉटरी कुछ लोगों के लिए खुशखबरी लेकर आई, तो कुछ मायूस हो गए. राज्य सरकार की ओर से जयपुर में दो नगर निगम किए जाने के बाद कई दिग्गज नेता तैयारियों में जुट गए थे. जयपुर ग्रेटर और जयपुर हेरिटेज के मेयर की कतार में सामान्य वर्ग के कई बड़े नेता खड़े हो गए थे. लेकिन इन सभी के अरमान आंसुओं में बहते नजर आए.

नगर निगम की दोनों सीट ओबीसी महिला के लिए रिजर्व

दावेदारों की प्रथम पंक्ति में खड़े मेयर विष्णु लाटा भी इसी उम्मीद के साथ स्वायत्त शासन भवन पहुंचे थे कि वे खुशखबरी लेकर ही घर लौटेंगे. लेकिन लॉटरी के खेल ने उनके समीकरण को ही बिगाड़ दिया. पहले जयपुर ग्रेटर और उसके बाद जयपुर हेरिटेज की लॉटरी ओबीसी महिला के तौर पर निकली तो मेयर को वहां से मायूस ही लौटना पड़ा. हालांकि, जयपुर निगम की सीट ओबीसी के खाते में आने तक तो मेयर के साथ पहुंचे चेयरमैन भगवत सिंह देवल काफी खुश नजर आ रहे थे. लेकिन ओबीसी महिला की लॉटरी निकलने के साथ ही उनके मंसूबे पर भी पानी फिर गया.

यह भी पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: जोधपुर में डेंगू रोगियों का आंकड़ा पहुंचा 400 पार...घर-घर सर्वे का काम शुरू

इसके अलावा कांग्रेस और बीजेपी के कई चेहरे जिन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मौका नहीं मिला था या मौका मिलने के बाद हार का स्वाद चखना पड़ा था, वो अब तक मेयर का लड्डू खाने के इंतजार में बैठे थे. लेकिन उनका ये इंतजार, इंतजार बनकर ही रह गया. हालांकि लॉटरी निकलने के बाद कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने विरोध भी दर्ज कराया.

उन्होंने कहा कि जब जयपुर, जोधपुर, कोटा में नए सिरे से वार्ड का परिसीमन होना है, तो फिर इनके महापौर पद की लॉटरी आज ही क्यों निकाली गई. हालांकि इसके जवाब में स्वायत्त शासन सचिव ने साफ किया कि प्रदेश की सभी नगर निकाय एक इकाई है. ऐसे में यदि एक निकाय में भी चुनाव होना होता है, तो भी सभी नगरीय निकायों की लॉटरी निकाली जाती है.

जयपुर. प्रदेश के 196 निकायों को लेकर निकाली गई लॉटरी कुछ लोगों के लिए खुशखबरी लेकर आई, तो कुछ मायूस हो गए. राज्य सरकार की ओर से जयपुर में दो नगर निगम किए जाने के बाद कई दिग्गज नेता तैयारियों में जुट गए थे. जयपुर ग्रेटर और जयपुर हेरिटेज के मेयर की कतार में सामान्य वर्ग के कई बड़े नेता खड़े हो गए थे. लेकिन इन सभी के अरमान आंसुओं में बहते नजर आए.

नगर निगम की दोनों सीट ओबीसी महिला के लिए रिजर्व

दावेदारों की प्रथम पंक्ति में खड़े मेयर विष्णु लाटा भी इसी उम्मीद के साथ स्वायत्त शासन भवन पहुंचे थे कि वे खुशखबरी लेकर ही घर लौटेंगे. लेकिन लॉटरी के खेल ने उनके समीकरण को ही बिगाड़ दिया. पहले जयपुर ग्रेटर और उसके बाद जयपुर हेरिटेज की लॉटरी ओबीसी महिला के तौर पर निकली तो मेयर को वहां से मायूस ही लौटना पड़ा. हालांकि, जयपुर निगम की सीट ओबीसी के खाते में आने तक तो मेयर के साथ पहुंचे चेयरमैन भगवत सिंह देवल काफी खुश नजर आ रहे थे. लेकिन ओबीसी महिला की लॉटरी निकलने के साथ ही उनके मंसूबे पर भी पानी फिर गया.

यह भी पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: जोधपुर में डेंगू रोगियों का आंकड़ा पहुंचा 400 पार...घर-घर सर्वे का काम शुरू

इसके अलावा कांग्रेस और बीजेपी के कई चेहरे जिन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मौका नहीं मिला था या मौका मिलने के बाद हार का स्वाद चखना पड़ा था, वो अब तक मेयर का लड्डू खाने के इंतजार में बैठे थे. लेकिन उनका ये इंतजार, इंतजार बनकर ही रह गया. हालांकि लॉटरी निकलने के बाद कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने विरोध भी दर्ज कराया.

उन्होंने कहा कि जब जयपुर, जोधपुर, कोटा में नए सिरे से वार्ड का परिसीमन होना है, तो फिर इनके महापौर पद की लॉटरी आज ही क्यों निकाली गई. हालांकि इसके जवाब में स्वायत्त शासन सचिव ने साफ किया कि प्रदेश की सभी नगर निकाय एक इकाई है. ऐसे में यदि एक निकाय में भी चुनाव होना होता है, तो भी सभी नगरीय निकायों की लॉटरी निकाली जाती है.

Intro:जयपुर - शहर की दोनों सीटें ओबीसी महिला के लिए रिजर्व होने के साथ ही कई दिग्गज नेताओं के सपने चूर हो गए। उम्मीदों से भरे हुए मेयर विष्णु लाटा भी स्वायत्त शासन भवन से मायूस लौटे। तो वहीं अब राजनीतिक दलों में पिछली कतारों में खड़ी ओबीसी महिला नेताओं की दौड़ शुरू होगी।


Body:प्रदेश के 196 निकायों को लेकर निकाली गई लॉटरी कुछ के लिए खुश खबर लेकर आई, तो कुछ मायूस हो गए। जयपुर नगर निगम की बात करें तो राज्य सरकार की ओर से जयपुर में दो नगर निगम किए जाने के बाद कई दिग्गज नेता तैयारियों में जुट गए थे। जयपुर ग्रेटर और जयपुर हेरिटेज के मेयर की कतार में सामान्य वर्ग के कई बड़े नेता खड़े हो गए थे। लेकिन आज इन सभी के अरमा आंसुओं में बहते हुए नजर आए। दावेदारों की प्रथम पंक्ति में खड़े मेयर विष्णु लाटा भी आज इसी उम्मीद के साथ स्वायत्त शासन भवन पहुंचे थे कि यहां से खुशखबरी लेकर घर लौटेंगे। लेकिन लॉटरी के खेल ने उनके समीकरण ही बिगाड़ दिए। पहले जयपुर ग्रेटर और उसके बाद जयपुर हेरिटेज की लॉटरी ओबीसी महिला के तौर पर निकली तो मेयर भी यहां से मायूस लौट गए। हालांकि जयपुर निगमों की सीट ओबीसी आने तक तो मेयर के साथ पहुंचे चेयरमैन भगवत सिंह देवल खुश नजर आ रहे थे। लेकिन ओबीसी महिला की लॉटरी निकलने के साथ ही उनका चेहरा भी उतर गया। इसके अलावा कांग्रेस और बीजेपी के कई चेहरे जिन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मौका नहीं मिला था, या मौका मिलने के बाद हार का स्वाद चखना पड़ा था। वो अब मेयर का लड्डू खाने के इंतजार में थे। लेकिन उनका ये इंतजार इंतजार बनकर ही रह गया।

हालांकि लॉटरी निकलने के बाद कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने विरोध भी दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि जब जयपुर, जोधपुर, कोटा में नए सिरे से वार्ड का परिसीमन होना है, तो फिर इनके महापौर पद की लॉटरी आज क्यों निकाली गई। हालांकि इसके जवाब में स्वायत्त शासन सचिव ने साफ किया कि प्रदेश की सभी नगरी निकाय एक इकाई है। ऐसे में यदि एक निकाय में भी चुनाव होना होता तो भी सभी नगरीय निकायों की लॉटरी निकाली जाती।
बाईट - भवानी सिंह देथा, स्वायत्त शासन सचिव


Conclusion:प्रदेश के सभी 196 नगरीय निकाय प्रमुखों की कैटेगरी -

नोट - सभी नगरीय निकायों की विस्तृत सूची खबर के साथ जोड़ी जा रही है।
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