जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र विभाग और इंटरनेशनल फोरम फॉर बॉटनिस्ट की ओर से संयुक्त रूप से राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ. इस तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन समारोह में श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय चित्तौड़गढ़ के कुलपति प्रोफेसर अशोक कुमार ने किया. इस कॉन्फ्रेंस में जलवायु परिवर्तन के कारण और उससे पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा की गई. साथ ही इस दौरान 52 शोध पत्र भी पढ़े गए.
नेशनल कांफ्रेंस के आयोजन सचिव डॉ. जी पी शर्मा ने बताया कि कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि प्रोफेसर अशोक कुमार ने अपने उद्बोधन में पृथ्वी के विषाक्त होते पर्यावरण और इसके परिणाम स्वरुप बदलते मौसम के लिए मानवीय गतिविधियों को जिम्मेदार माना और इस पर बहुमुखी प्रयास किए जाने पर बल दिया. तो वहीं वनस्पति विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सोमना दत्ता ने विभाग की ओर से शोध से अकादमिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान को रेखांकित करते हुए शैक्षणिक गतिविधियों का परिचय दिया.
डॉ. जी पी शर्मा की ओर से संगोष्ठी के आयोजन का वर्तमान समय में औचित्य और संगोष्ठी रूपरेखा प्रस्तुत की गई. आईएसएलएस के महासचिव डॉ. हेमंत पारीक ने संस्थान के विगत 10 वर्षों की कार्य गतिविधियों का विस्तार से विवरण दिया. उद्घाटन सत्र में विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर दीपक भटनागर ने अपने भाषण में राजस्थान विश्वविद्यालय की ओर से महत्वपूर्ण शोध के प्रोजेक्ट में वनस्पति शास्त्र की भूमिका का उल्लेख किया.
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इस मौके पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर पीसी त्रिवेदी ने अपने भाषण में पर्यावरण संरक्षण और मौसम बदलाव को यथा समय रोकने के लिए शिक्षकों और छात्रों को आह्वान किया. प्रोफेसर त्रिवेदी ने पर्यावरण संरक्षण को राजस्थान प्रांत की प्राचीन परंपरा बताते हुए 300 वर्ष पूर्व अमृता देवी के नेतृत्व में वृक्ष रक्षा के लिए किए गए अविस्मरणीय बलिदान को याद किया.