जयपुर. अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम 3 ने शनिवार को डॉ. प्रियंका और अन्य दो लोगों की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. साथ अर्जी को खारिज करते हुए निर्देश दिया कि, जमानत पर चल रहे आरोपी को अग्रिम अनुसंधान में गैर जमानती अपराध का दोषी पाए जाने पर उसे गिरफ्तार करने से पहले पूर्व में मिली जमानत निरस्त करवाना जरूरी है.
जमानत अर्जी में कहा गया कि, याचिकाकर्ता का अपने पति से विवाद चल रहा है. इस संबंध में उसने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना को लेकर मामला दर्ज करा रखा है. वहीं, बदले में पति ने उसके और उसके परिजनों के खिलाफ घर में जबरन घुसकर मारपीट के आरोप लगाते हुए करणी विहार थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. जिसके बाद पुलिस ने अनुसंधान में उन्हें मारपीट का दोषी मानते हुए जमानती अपराध होने के कारण थाने पर ही जमानत दे दी.
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इसके बाद याचिकाकर्ता के पति की अर्जी पर पुलिस ने मामले में अग्रिम अनुसंधान करते हुए उन्हें आईपीसी की धारा 452 और 354 का दोषी माना था. इसके बाद पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए परिवार की ओर से अग्रिम जमानत अर्जी पेश की गई. जिसे खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि, तीनों आरोपी पहले से ही जमानत पर हैं. ऐसे में पुलिस को पहले कोर्ट से उनकी जमानत निरस्त करवानी होगी. बाद में पुलिस सुप्रीम कोर्ट के अरनेश कुमार के मामले में दिए निर्देश के अनुसार नोटिस देकर अग्रिम कार्रवाई कर सकती है.