जयपुर. भारत में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया गया है, लेकिन आज भी उन्हें उनके वास्तविक अधिकार नहीं मिल पाए हैं. कुछ खास वर्ग में तो महिलाओं को प्राथमिकताएं मिल रही हैं लेकिन निचले स्तर पर आज भी वे शोषण का शिकार हो रही हैं. 25 नवंबर को विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस (International Day for the Elimination of Violence against Women 2021) के रूप में मनाया जाता है. इस दिन महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए जागरूक भी किया जाता है.
17 दिसंबर 1999 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में प्रस्ताव पारित किये जाने के बाद इस दिवस की स्थापना हुई. इस दिन को दुनिया भर में महिलाएं हिंसा के विभिन्न रूपों और मुद्दे की वास्तविक तथ्य के बारे में जागरूकता किया जाता है. लेकिन आज जब हम 21वीं सदी में हैं और महिलाओं को बराबरी के अधिकारों की बात करते हैं लेकिन हकीकत यह है कि घरेलू हिंसा के मामलों में कमी नहीं आ रही है.
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जयपुर में रहने वाली फातिमा (बदला नाम) की शादी को चार साल हो गए हैं. दो बच्चे हैं लेकिन पति हर दिन मारपीट सिर्फ इसलिए करता है कि वग इसे अपना अधिकार समझता है. पति की हिंसा फातिमा ने विरोध किया तो घर से निकाल दिया और मायके भेज दिया. दूसरी तस्वीर रश्मि (बदला नाम) की है. शादी को तीन साल बाद रश्मि को पति ने इसलिए छोड़ दिया कि क्योंकि मनमाफिक दहेज नहीं मिला. पहले तो पत्नी के साथ मारपीट कर पीहर से पैसे लाने की डिमांड की और जब मांग पूरी नहीं हुई तो एक साल की मासूम बेटी के साथ उसे घर से निकाल दिया.
ये दो मामले तो बानगी है लेकिन प्रदेश के आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थिति भयावह है. आज भी बड़ी संख्या में महिलाएं घरेलू हिंसा के शिकार हो रहे हैं. महिला हिंसा के मामलों में पिछले कई सालों से राजस्थान पहले और दूसरे पायदान पर है.
पिछले पांच साल के आंकड़े बताते हैं कि किस तरह से घरेलू हिंसा (Domestic violence) के आंकड़े लगातार बढे़ हैं. खास कर घरेलू हिंसा की बात करें तो कोरोना लॉकडाउन (corona lockdown) में जिस तरह से आंकड़े बढे़ हैं उसने चिंता बढ़ा दी है. पूर्व महिला आयोग की अध्यक्ष लाड कुमारी जैन कहती हैं कि 25 नवंबर विश्व भर में ‘अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ (International Day for the Elimination of Violence against Women 2021) के रूप में मनाया जाता है. इसे अंतरराष्ट्रीय घरेलू हिंसा की समाप्ति दिवस भी कहा जाता है. लेकिन आज जब हम 21वीं सदी में महिलाओं पर हिंसा कम नहीं हो रही. महिला हिंसा के तीन रूप हैं उन सभी श्रेणी में राजस्थान में आंकड़े अच्छे नहीं हैं. आंकड़ों पर नजर डाले तो भयावह स्थिति है.
जयपुर में महिलाओं को उनके अधिकारों प्रति जागरूक करने और महिला हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने के लिए विभिन्न सामाजिक संगठनों की से महिला हिंसा विरोधी पखवाड़े मनाया जाता है . आजाद फाउंडेशन की फाउंडर अनीता माथुर कहती है कि इस पखवाड़े के जरिए महिलाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इसका उद्देश्य महिलाओं में नारीवादी सोच का विकास, महिलाओं में शिक्षा, जागरूकता के साथ अन्य जानकारियां देना है, आज से हमने उमड़ते सो करोड़ अभियान भी लॉन्च किया है. आने वाले दिनों में बस्तियों में जा कर महिलाओं हिंसा के प्रति जागरूक करेंगे.
महिला हिंसा के खिलाफ भले ही आज हम विशेष दिन मना रहे हों, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान आए आंकड़े और रिपोर्ट बताती हैं कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं. साफ़ है कि आज भी हमारे समाज में पुरुष मानसिकता किस कदर हावी है. ऐसे में जरूरी है कि हम महिला हिंसा पर सिर्फ एक दिन बात न करें बल्कि इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएं.