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Special : राजस्थान कांग्रेस में अंतर्कलह ! पायलट गुट ही नहीं, गहलोत कैंप के विधायक भी खड़े कर रहे मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल

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Published : May 27, 2021, 2:31 PM IST

राजस्थान कांग्रेस में अंतर्कलह का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस हाईकमान की ओर से आए बयान के बाद भी स्थितियां सामान्य नहीं हो पा रही हैं. आलम यह है कि पायलट कैंप के विधायक ही नहीं, खुद गहलोत कैंप के माने जाने वाले विधायक भी मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं. देखिये जयपुर से ये खास रिपोर्ट और जानिये क्या है एक्सपर्ट की राय...

internal clash in rajasthan congress
गहलोत के मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल

जयपुर. राजस्थान में पायलट कैंप के कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद राजस्थान में एक बार फिर से सियासी हलचल तेज हो गई है. जब हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद पायलट कैंप के ही दूसरे विधायक वेद सोलंकी ने हेमाराम के इस्तीफे और राजनीतिक नियुक्तियों पर सवाल उठाए तो लगा कि एक बार फिर पायलट कैंप सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहा है, लेकिन असंतुष्टों की फेहरिस्त यहीं तक सीमित नहीं है.

राजस्थान कांग्रेस में अंतर्कलह....

ऐसा नहीं है कि प्रदेश में केवल वह विधायक ही सरकार या मंत्रियों के रवैए पर सवाल उठा रहे हैं जो पायलट कैंप से आते हैं, बल्कि हकीकत यह है कि राजस्थान में हुए सियासी घटनाक्रम के बाद ऐसे कई विधायक हैं जो गहलोत कैंप के हैं और वह मंत्रियों के कामकाज के रवैये पर सवाल उठा रहे हैं. मंत्री, क्योंकि सरकार का हिस्सा होते हैं, ऐसे में अप्रत्यक्ष तौर पर यह आवाज सरकार के खिलाफ ही मानी जाती है. ऐसे करीब आधा दर्जन विधायक हैं जो सरकार के मंत्रियों के कामकाज पर सवाल उठाते रहे हैं.

political turmoil in rajasthan
राजस्थान कांग्रेस में रार !

सचिन पायलट कैंप के विधायक अगर आवाज उठाते हैं तो उन्हें वैसे भी इस तरह देखा जाता है कि वह मुख्यमंत्री का विरोध करने के लिए यह बातें करते हैं. लेकिन गहलोत कैंप के विधायकों की आवाज में कहीं न कहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी चिंता में डाल रखा है. भले ही गहलोत सरकार बचाने के लिए यह विधायक 35 दिन तक होटल में बाड़ाबंदी में रहे थे, लेकिन हर बार मंत्रियों के विरोध में उठने वाली अलग आवाज ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने अंतर्द्वंद की स्थिति जरूर पैदा कर दी है. आइए आपको बताते हैं कि गहलोत और पायलट कैंप के किन विधायकों ने उठाए सरकार और मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल.

gehlot camp
गहलोत कैंप

गहलोत कैंप के विधायक :

बाबूलाल बैरवा : अगस्त महीने में पायलट कैंप की बगावत के बाद वापसी हो गई और दोनों कैंप में शांति संधि स्थापित हुई. लेकिन अक्टूबर महीने में गहलोत कैंप के विधायक बाबूलाल बैरवा ने गहलोत सरकार के मंत्रियों रघु शर्मा और बीडी कल्ला पर आरोप लगा दिए कि प्रदेश में दलित विधायकों की सुनवाई नहीं होती है. हालांकि, बाद में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बाबूलाल बैरवा की खुद सुनवाई की.

इंदिरा मीणा : इधर बाबूलाल बैरवा की समझाइश तो प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने कर दी, लेकिन दिसंबर में कांग्रेस की बामनवास विधायक इंदिरा मीणा ने खुद गोविंद डोटासरा पर ही काम नहीं करने के आरोप लगाते हुए अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिख दिया कि मैं प्रदेश अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री से पूछना चाहूंगी कि विधायकों द्वारा जनता की समस्याओं को आपको बताया जाएगा तो इसके लिए कितनी बार आपके बंगले पर विधायकों को आना होगा. इसके बाद भी क्या सुनिश्चित है कि उनके कार्य होंगे या फिर उनके द्वारा दी गई चिट्ठी को कचरा पात्र में डाल दिया जाएगा. बाद में ये मामला प्रदेश प्रभारी अजय माकन तक पहुंचा.

congress mla indira meena tweet
इंदिरा मीणा का ट्विट...

पढ़ें : हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में बगावती सुर, बोले वेद प्रकाश सोलंकी- मेरा काम हो रहा, हर कोई मेरे तरीके से काम नहीं करवा सकता

पढ़ें : Special. बिचौलियों और दलालों का 'खुला खेल', बेड-ऑक्सीजन और रेमेडेसिविर के नाम पर परिजनों से कर रहे लूट

अमीन खान : गहलोत कैंप के वरिष्ठ विधायक बाड़मेर के शिव से विधायक अमीन खान ने तो विधानसभा में ही कह दिया कि मंत्रीयों को मिलने वाली सुविधाओं पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए. ये मंत्री विधायकों की नहीं सुनते तो आम जनता का क्या हाल होगा.

राजेंद्र गुढ़ा : अपने क्षेत्र में जलदाय योजना को पूरा नहीं होने पर गहलोत कैंप के सबसे नजदीकी विधायकों में से एक राजेंद्र गुढ़ा ने जल भवन में ही अधिकारी के चैंबर में धरना दे दिया. उन्होंने अपने धरने के दौरान यहां तक कह दिया कि क्या यह दिन देखने के लिए उन्होंने सरकार बचाई थी.

क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट...

मदन प्रजापत : कांग्रेस के पचपदरा से विधायक मदन प्रजापत ने उस समय अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े कर दिए, जब पचपदरा में कमलेश प्रजापत का एनकाउंटर हुआ. मदन प्रजापत ने मंत्री हरीश चौधरी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि मंत्री ने ही उनकी बात सरकार तक नहीं पहुंचने दी है. 22 अप्रैल को यह एनकाउंटर हुआ था. उसके बाद आज मदन प्रजापत जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात करेंगे.

पढ़ें : Special: कोरोना काल में कर्म को धर्म मानकर मरीजों की सेवा में जुटीं नर्सें

रामलाल मीणा : सबसे ताजा मामला प्रतापगढ़ के कांग्रेस विधायक रामलाल मीणा और जनजाति मंत्री अर्जुन बामणिया का है. जहां मंगलवार को ही जब जनजाति मंत्री अर्जुन बामणिया अपने प्रभारी जिला प्रतापगढ़ के दौरे पर पहुंचे तो विधायक समेत कांग्रेस के सभी जनप्रतिनिधि नदारद नजर आए. बाद में रामलाल मीणा ने कहा कि प्रभारी मंत्री होने के बावजूद कोरोना से विकट महामारी के दौर में प्रभारी मंत्री ने जिले का एक भी बार हालचाल नहीं जाना और अब केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए आए हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी जिला होने के बावजूद जिले के प्रभारी और जनजाति मंत्री ने पिछले ढाई साल में एक भी पंचायत को एक रुपया भी नहीं दिया है.

pilot camp
पायलट कैंप...

पायलट कैंप के विधायक :

हेमाराम चौधरी : हेमाराम चौधरी ने राजस्थान सरकार के मंत्री हरीश चौधरी के रवैया से नाराज होकर और अपने क्षेत्र में काम नहीं होने की बात कहते हुए इस्तीफा तक दे दिया.

वेद सोलंकी : इधर हेमाराम चौधरी ने इस्तीफा दिया तो दूसरी ओर पायलट कैंप के विधायक वेद सोलंकी ने प्रदेश में हुई राजनीतिक नियुक्तियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जो राजनीतिक नियुक्तियां हुई हैं, उनका कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है. वहीं, वेद सोलंकी ने दलित अधिकारियों के साथ व्यवहार ठीक नहीं होने के भी आरोप लगाए.

political turmoil in rajasthan
मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल...

रमेश मीणा : राजस्थान विधानसभा में खुद को माइक लगी सीट नहीं मिलने पर पायलट कैंप के विधायक रमेश मीणा ने दलित विधायकों के साथ भेदभाव के आरोप लगाए.

मुरारी लाल मीणा : पायलट कैंप के विधायक मुरारी लाल मीणा ने हेमाराम के इस्तीफे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. इससे पहले राजस्थान विधानसभा के बाद मुरारी लाल मीणा ने भी यह आरोप लगाए कि दलितों के साथ प्रदेश में भेदभाव किया जा रहा है.

जयपुर. राजस्थान में पायलट कैंप के कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद राजस्थान में एक बार फिर से सियासी हलचल तेज हो गई है. जब हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद पायलट कैंप के ही दूसरे विधायक वेद सोलंकी ने हेमाराम के इस्तीफे और राजनीतिक नियुक्तियों पर सवाल उठाए तो लगा कि एक बार फिर पायलट कैंप सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहा है, लेकिन असंतुष्टों की फेहरिस्त यहीं तक सीमित नहीं है.

राजस्थान कांग्रेस में अंतर्कलह....

ऐसा नहीं है कि प्रदेश में केवल वह विधायक ही सरकार या मंत्रियों के रवैए पर सवाल उठा रहे हैं जो पायलट कैंप से आते हैं, बल्कि हकीकत यह है कि राजस्थान में हुए सियासी घटनाक्रम के बाद ऐसे कई विधायक हैं जो गहलोत कैंप के हैं और वह मंत्रियों के कामकाज के रवैये पर सवाल उठा रहे हैं. मंत्री, क्योंकि सरकार का हिस्सा होते हैं, ऐसे में अप्रत्यक्ष तौर पर यह आवाज सरकार के खिलाफ ही मानी जाती है. ऐसे करीब आधा दर्जन विधायक हैं जो सरकार के मंत्रियों के कामकाज पर सवाल उठाते रहे हैं.

political turmoil in rajasthan
राजस्थान कांग्रेस में रार !

सचिन पायलट कैंप के विधायक अगर आवाज उठाते हैं तो उन्हें वैसे भी इस तरह देखा जाता है कि वह मुख्यमंत्री का विरोध करने के लिए यह बातें करते हैं. लेकिन गहलोत कैंप के विधायकों की आवाज में कहीं न कहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी चिंता में डाल रखा है. भले ही गहलोत सरकार बचाने के लिए यह विधायक 35 दिन तक होटल में बाड़ाबंदी में रहे थे, लेकिन हर बार मंत्रियों के विरोध में उठने वाली अलग आवाज ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने अंतर्द्वंद की स्थिति जरूर पैदा कर दी है. आइए आपको बताते हैं कि गहलोत और पायलट कैंप के किन विधायकों ने उठाए सरकार और मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल.

gehlot camp
गहलोत कैंप

गहलोत कैंप के विधायक :

बाबूलाल बैरवा : अगस्त महीने में पायलट कैंप की बगावत के बाद वापसी हो गई और दोनों कैंप में शांति संधि स्थापित हुई. लेकिन अक्टूबर महीने में गहलोत कैंप के विधायक बाबूलाल बैरवा ने गहलोत सरकार के मंत्रियों रघु शर्मा और बीडी कल्ला पर आरोप लगा दिए कि प्रदेश में दलित विधायकों की सुनवाई नहीं होती है. हालांकि, बाद में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बाबूलाल बैरवा की खुद सुनवाई की.

इंदिरा मीणा : इधर बाबूलाल बैरवा की समझाइश तो प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने कर दी, लेकिन दिसंबर में कांग्रेस की बामनवास विधायक इंदिरा मीणा ने खुद गोविंद डोटासरा पर ही काम नहीं करने के आरोप लगाते हुए अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिख दिया कि मैं प्रदेश अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री से पूछना चाहूंगी कि विधायकों द्वारा जनता की समस्याओं को आपको बताया जाएगा तो इसके लिए कितनी बार आपके बंगले पर विधायकों को आना होगा. इसके बाद भी क्या सुनिश्चित है कि उनके कार्य होंगे या फिर उनके द्वारा दी गई चिट्ठी को कचरा पात्र में डाल दिया जाएगा. बाद में ये मामला प्रदेश प्रभारी अजय माकन तक पहुंचा.

congress mla indira meena tweet
इंदिरा मीणा का ट्विट...

पढ़ें : हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में बगावती सुर, बोले वेद प्रकाश सोलंकी- मेरा काम हो रहा, हर कोई मेरे तरीके से काम नहीं करवा सकता

पढ़ें : Special. बिचौलियों और दलालों का 'खुला खेल', बेड-ऑक्सीजन और रेमेडेसिविर के नाम पर परिजनों से कर रहे लूट

अमीन खान : गहलोत कैंप के वरिष्ठ विधायक बाड़मेर के शिव से विधायक अमीन खान ने तो विधानसभा में ही कह दिया कि मंत्रीयों को मिलने वाली सुविधाओं पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए. ये मंत्री विधायकों की नहीं सुनते तो आम जनता का क्या हाल होगा.

राजेंद्र गुढ़ा : अपने क्षेत्र में जलदाय योजना को पूरा नहीं होने पर गहलोत कैंप के सबसे नजदीकी विधायकों में से एक राजेंद्र गुढ़ा ने जल भवन में ही अधिकारी के चैंबर में धरना दे दिया. उन्होंने अपने धरने के दौरान यहां तक कह दिया कि क्या यह दिन देखने के लिए उन्होंने सरकार बचाई थी.

क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट...

मदन प्रजापत : कांग्रेस के पचपदरा से विधायक मदन प्रजापत ने उस समय अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े कर दिए, जब पचपदरा में कमलेश प्रजापत का एनकाउंटर हुआ. मदन प्रजापत ने मंत्री हरीश चौधरी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि मंत्री ने ही उनकी बात सरकार तक नहीं पहुंचने दी है. 22 अप्रैल को यह एनकाउंटर हुआ था. उसके बाद आज मदन प्रजापत जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात करेंगे.

पढ़ें : Special: कोरोना काल में कर्म को धर्म मानकर मरीजों की सेवा में जुटीं नर्सें

रामलाल मीणा : सबसे ताजा मामला प्रतापगढ़ के कांग्रेस विधायक रामलाल मीणा और जनजाति मंत्री अर्जुन बामणिया का है. जहां मंगलवार को ही जब जनजाति मंत्री अर्जुन बामणिया अपने प्रभारी जिला प्रतापगढ़ के दौरे पर पहुंचे तो विधायक समेत कांग्रेस के सभी जनप्रतिनिधि नदारद नजर आए. बाद में रामलाल मीणा ने कहा कि प्रभारी मंत्री होने के बावजूद कोरोना से विकट महामारी के दौर में प्रभारी मंत्री ने जिले का एक भी बार हालचाल नहीं जाना और अब केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए आए हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी जिला होने के बावजूद जिले के प्रभारी और जनजाति मंत्री ने पिछले ढाई साल में एक भी पंचायत को एक रुपया भी नहीं दिया है.

pilot camp
पायलट कैंप...

पायलट कैंप के विधायक :

हेमाराम चौधरी : हेमाराम चौधरी ने राजस्थान सरकार के मंत्री हरीश चौधरी के रवैया से नाराज होकर और अपने क्षेत्र में काम नहीं होने की बात कहते हुए इस्तीफा तक दे दिया.

वेद सोलंकी : इधर हेमाराम चौधरी ने इस्तीफा दिया तो दूसरी ओर पायलट कैंप के विधायक वेद सोलंकी ने प्रदेश में हुई राजनीतिक नियुक्तियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जो राजनीतिक नियुक्तियां हुई हैं, उनका कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है. वहीं, वेद सोलंकी ने दलित अधिकारियों के साथ व्यवहार ठीक नहीं होने के भी आरोप लगाए.

political turmoil in rajasthan
मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल...

रमेश मीणा : राजस्थान विधानसभा में खुद को माइक लगी सीट नहीं मिलने पर पायलट कैंप के विधायक रमेश मीणा ने दलित विधायकों के साथ भेदभाव के आरोप लगाए.

मुरारी लाल मीणा : पायलट कैंप के विधायक मुरारी लाल मीणा ने हेमाराम के इस्तीफे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. इससे पहले राजस्थान विधानसभा के बाद मुरारी लाल मीणा ने भी यह आरोप लगाए कि दलितों के साथ प्रदेश में भेदभाव किया जा रहा है.

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