जयपुर. आए दिन शहर की सड़कों पर दम तोड़ने वाली जेसीटीएसएल की लो फ्लोर बसों के बेड़े में बहुत जल्द नई बसें जुड़ेंगी. जेसीटीएसएल को नई बसें जुड़ने के साथ रेवेन्यू बढ़ने की भी उम्मीद है. लेकिन इस बार जेसीटीएसएल अपनी उम्मीदों के साथ-साथ यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं की उम्मीदों पर भी खरा उतरना चाहता है. जेसीटीएसएल की बसों में आम यात्री उर्दू का सफर कम, इंग्लिश का SUFFER ज्यादा करते हैं. देखिये यह खास रिपोर्ट...
लो-फ्लोर बसों के यात्रियों को फिलहाल कई तरह की परेशानियोंन का सामना करना पड़ रहा है. यात्रियों को टिकट लेने में भी मशक्कत करनी पड़ती है. जेसीटीएसएल बस के कंडक्टर राजेंद्र की मानें तो फिलहाल उनके पास प्री प्रिंटेड टिकट रहते हैं. चूंकि ₹30 का टिकट उपलब्ध नहीं है और यदि किसी यात्री का ₹30 का टिकट है, तो दो टिकट ₹8 के और दो टिकट ₹7 के मिलाकर देने पड़ते हैं. ₹10 वाले टिकट भी अमूमन खत्म हो जाते हैं. ऐसे में ₹8 वाले टिकट पर ₹10 का सील लगा कर दिया जाता है. इससे यात्रियों से कई बार जिद-बहस भी होती है.
लो-फ्लोर बसों में डवलप होगा नया सिस्टम
जेसीटीएसएल ओएसडी वीरेंद्र वर्मा से हमने बात की. उन्होंने बताया कि लो-फ्लोर नई और पुरानी सभी बसों में कुछ आधुनिक सुविधाएं डवलप की जाएंगी. इनके तहत यात्रियों को कई तरह की परेशानियों से निजात मिल जाएगी.
- सभी बसों में इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम शुरू होगा.
- बसों में अब प्री प्रिंटेड टिकट (पीपीटी) नहीं होगा.
- इलेक्ट्रॉनिक टिकट इश्यूएंस मशीन (ईटीआईएम) मशीनों से टिकट दिया जाएगा.
- व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) पर काम किया जाएगा.
- सभी बसों में जीपीएस इनस्टॉल होगा.
- बसों में पैनिक बटन होगा, जो पुलिस थाने से जुड़ा होगा.
- सभी बसों में सीसीटीवी कैमरा होंगे
- मोबाइल ऐप भी डवलप किया जाएगा.
मोबाइल एप के डवलप हो जाने से यात्रियों को खास तरह की सुविधाएं मिलेंगी. बस का इंतजार कर रहे यात्री जान पाएंगे कि कि बस कहां तक पहुंची है, नजदीकी बस स्टैंड कौन सा है. फिलहाल ईटीआईएम मशीनों को पायलट प्रोजेक्ट के तहत विद्याधर नगर डिपो से चलने वाली कुछ एक बसों में कंडक्टर को दिया भी गया है. इससे टिकट इश्यू करने में किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही है.
बहरहाल, राजधानी की लो फ्लोर बसों को पहले भी कई बार हाईटेक करने के प्रयास किए जा चुके हैं. पहले भी बसों में सीसीटीवी कैमरे, वीटीएस सिस्टम और मोबाइल ऐप से जोड़ने के दावे किए जा चुके हैं. लेकिन ये दावे धरातल पर पूरी तरह फेल साबित हुए हैं. देखना होगा कि इस बार जेसीटीएसएल प्रशासन बसों को हाईटेक करने की कड़ी में कहां तक आगे बढ़ पाता है.