जयपुर. जयपुर के प्रताप नगर स्थित आरयूएचएस अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड वायरोलॉजी लैब की शुरुआत हो गई (Institute of Tropical Medicine and virology in Jaipur) है. इससे अब प्रदेश में भी संक्रमित रोगों की पहचान आसानी से हो सकेगी. इसके साथ ही संक्रमित बीमारियों से ग्रसित मरीजों का इलाज भी अब आसान हो सकेगा. प्रदेश में जब कोविड-19 संक्रमण का पहला मामला सामने आया था, तब जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल पुणे स्थित लैब में भेजे जा रहे थे, लेकिन अब इस तरह के संक्रमित रोगों की पहचान और उसका इलाज प्रदेश में ही संभव हो सकेगा.
जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के अधीन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन ऑफ वायरोलॉजी खोली गई (Virology Lab in RUHS Jaipur) है. हालांकि प्रारंभिक तौर पर जयपुर के आरयूएचएस अस्पताल में इसकी शुरुआत की गई है. जल्द ही इसके लिए एक अलग से लैंड अलॉट की जाएगी, जहां इस इंस्टीट्यूट का संचालन किया जाएगा. आरयूएचएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ अजीत सिंह का कहना है कि यह इंस्टीट्यूट राष्ट्रीय स्तर का है, जहां संक्रमित रोगों की पहचान और उनका इलाज संभव हो सकेगा. एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अलावा अजमेर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर और कोटा मेडिकल कॉलेज में भी ट्रॉपिकल मेडिकल सेंटर बनाए (Tropical medicine centers in Rajasthan) जाएंगे.
- प्रदेश में बनेगा राष्ट्रीय स्तर का रिसर्च सेंटर
- संक्रामक रोगियों का इलाज और संक्रमण पर होगा रिसर्च
- संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन खोला गया
- इस मेडिसिन सेंटर पर संक्रमित रोगियों का होगा इलाज
- कोविड-19, इबोला, स्वाइन फ्लू जैसे जानलेवा वायरस पर होगा रिसर्च
- फिलहाल एसएमएस मेडिकल कॉलेज से हुई शुरुआत
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डॉ अजीत सिंह का कहना है कि देश की बात करें तो फिलहाल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन कोलकाता में जबकि इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे में स्थित है. जयपुर देश का पहला ऐसा शहर होगा, जहां ये दोनों सुविधा एक ही छत के नीचे मिलेंगी. इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन सेंटर में इंफेक्शन से जुड़े मरीजों का इलाज एक प्रोटोकॉल के तहत हो सकेगा. साथ ही अन्य मरीजों से भी उन्हें अलग रखा जा सकेगा ताकि इंफेक्शन अन्य मरीजों में नहीं फैले. इसके अलावा वायरोलॉजी लैब में संक्रमित बीमारियों पर रिसर्च की जा सकेगी.