जयपुर. सात महीने पहले मानसरोवर में निगम प्रशासन की लापरवाही से हुई मासूम की मौत के मामले में परिजनों को अब भी न्याय का इंतजार है. पुलिस ने ना तो इस मामले में मुकदमा दर्ज किया और ना निगम ने संबंधित फर्म पर कोई कार्रवाई की. ग्रेटर नगर निगम प्रशासन ने जिम्मेदार फर्म से पीड़ित परिजनों को दो लाख का चेक दिला कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की. हालांकि अब डीसी हेडक्वार्टर ने पीड़ित परिजन को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए उपस्थित होने को लेकर पत्र भेजा है.
मेयर सौम्या गुर्जर की वापसी के साथ ही अब पुराने प्रकरणों को दोबारा खोलना शुरू किया गया है. मेयर के निर्देश पर ग्रेटर निगम के अधिकारियों मामले की जांच शुरू कर दी है. उपायुक्त मुख्यालय ने मासूम की मां अनिता केसवानी को 9 फरवरी को दोपहर 1 बजे व्यक्तिगत सुनवाई के लिए उपस्थित होने के लिए पत्र लिखा है. इससे पहले छह महीने से ये मामला ठंडा पड़ा हुआ था.
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पार्क में बच्चे की मौत के मामले में जिम्मेदार फर्म आरसी एंटरप्राइजेज के खिलाफ भी नगर निगम ने ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई रोक दी थी. इससे पहले मानसरोवर जनअधिकार संघर्ष समिति ने कार्यवाहक मेयर शील धाभाई और निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव को ज्ञापन देकर जांच कराने और दोषी फर्म के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
ये है घटनाक्रम : निगम में आरसी एंटरप्राइजेज फर्म के पास बिजली के पोल के रखरखाव का ठेका था. मानसरोवर में पार्कों और सड़कों पर लगे बिजली के खुले पड़े तारों को टेपिंग कर एमसील और पुट्टी से पैक करना था. लेकिन फर्म ने काम में लापरवाही बरती और बीते साल जुलाई में बरसात आते ही पार्क में बिजली के खुले तार से बच्चे की मौत हो गई थी. मामले में बच्चे के परिजन न्याय की आस में अभी तक भटक रहे हैं.