जयपुर. लॉकडाउन के चलते निचली अदालतों में रोजाना 2 घंटे ही सुनवाई हो रही है. इस दौरान अधिकांश वकील अदालतों में भी नहीं जा रहे हैं. ऐसे में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जेल में बंद कैदियों के लिए राहत बनकर सामने आया है. प्राधिकरण की मदद से लॉकडाउन में करीब 8 सौ से अधिक कैदियों को जमानत मिली है. जबकि 10 मामलों में प्राधिकरण के जरिए कैदियों की सजा स्थगित की कार्रवाई की गई है.
प्राधिकरण के कार्यकारी सचिव अशोक जैन ने बताया कि लॉकडाउन के चलते कैदियों से सीधे जेल से जमानत प्रार्थना पत्र अदालत में पेश कराए गए हैं. अब तक प्रदेश में कुल 2 हजार 689 प्रार्थना पत्र अदालतों में पेश किए गए हैं. इनमें से 844 कैदियों की जमानत स्वीकार हुई. जबकि 1 हजार 619 प्रार्थना पत्र खारिज हुए.
वहीं, 226 प्रार्थना पत्र अभी लंबित चल रहे हैं. इनमें मजिस्ट्रेट कोर्ट में 1 हजार 540 प्रार्थना पत्र पेश हुए. जिसमें 532 स्वीकार और 924 खारिज हुए, जबकि 84 मामले लंबित है. इसी तरह एडीजे कोर्ट 736 जमानत याचिका पेश कराई गई. इसमे से 206 स्वीकार, 443 और 87 प्रार्थना पत्र लंबित हैं. किशोर न्याय बोर्ड में 266 जमानत प्रार्थना पत्र पेश हुए. इनमें से 76 स्वीकार और 169 खारिज होने के अलावा 21 प्रार्थना पत्र लंबित चल रहे हैं. जबकि बाल न्यायालय में 147अर्जियां पेश की गई. इनमें तीस स्वीकार और 86 खारिज हुई जबकि 34 वर्तमान में लंबित चल रही है.
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प्राधिकरण के चेयरमैन जस्टिस संगीत लोढ़ा की अध्यक्षता में गठित हाई पॉवर कमेटी की सिफारिश पर 151 कैदियों को 4 सप्ताह का स्पेशल पैरोल देने के साथ ही 56 कैदियों को स्थाई पैरोल का लाभ भी दिया जा चुका है. जबकि 25 अन्य कैदियों को खुली जेल में भेजा गया है.
इसी तरह 21 कैदियों की पैरोल अवधि के दौरान बढ़ाई जा चुकी है. जैन ने बताया कि अधिक क्षमता वाले जेलों से 2 हजार 284 कैदियों को दूसरी जेलों में शिफ्ट किया गया है. वहीं रिव्यू कमेटी की बैठक में करीब 1 हजार 900 प्रकरण चिन्हित किए गए. इनमें 117 कैदियों को रिहा किया जा चुका है.प्राधिकरण के सचिव अशोक जैन का कहना है कि इन मामलों में अधिकांश नए कैदी हैं, जिन्हें यह नहीं पता था कि वकील के अभाव में किस तरह से अदालत में जमानत अर्जी पेश की जाएंगी. ऐसे में प्राधिकरण की मदद से इन्हें राहत दिलाई गई है.