जयपुर. शहर को पीने के लिए बीसलपुर बांध का पानी मिल रहा है. शहर का बहुत बड़ा हिस्सा बीसलपुर बांध पर ही पूरी तरह से निर्भर है. पीएचईडी विभाग की ओर से समय-समय पर पानी की गुणवत्ता बढ़ाने और लोगों तक सुविधाएं पहुंचाने के लिए कई योजनाएं भी बनाता है. पीएचईडी विभाग की सबसे बड़ी समस्या पानी के मीटरों को लेकर भी है. इस समस्या से आम जनता भी सामना कर रही है. जयपुर शहर में पांच लाख पानी के कनेक्शन हैं. इनमें से करीब साढ़े चार लाख पानी के कनेक्शन चालू अवस्था में हैं. जबकि शेष में या तो मीटर बंद पड़े हैं या विभाग की ओर से कनेक्शन काटे गए हैं.
पीएचईडी विभाग एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जिसके पूरा होने पर आम जनता को मैसेज के जरिए उसके उपयोग किए गए पानी की सूचना पहुंचेगी. साथ ही उसे पानी बचाने की प्रेरणा भी दी जाएगी. पीएचईडी विभाग की ओर से जवाहर नगर में नए स्मार्ट मीटरों को लेकर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा. ये सॉफ्टवेयर से ऑपरेट होंगे. इन मीटरों में चिप लगी होगी और डेली डेटा रिकॉर्ड करेंगे. मैसेज के जरिए उपभोक्ता के पास उपभोग किए गए पानी की मात्रा का मैसेज भी जाएगा. इस प्रोजेक्ट की लागत 499 लाख रुपए है और सात साल तक रख-रखाव और गारंटी की जिम्मेदारी भी कंपनी की ही रहेगी.
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अधीक्षण अभियंता साउथ सतीश जैन ने बताया कि सबसे खास बात यह है कि उपभोक्ता से इन मीटरों के लिए कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा. सरकार की ओर से उपभोक्ता के घर यह मीटर निशुल्क लगाए जाएंगे. मंजूरी के लिए यह प्रोजेक्ट आरडब्ल्यूएसएसएमबी (राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सिवरेज मैनेजमेंट बोर्ड) के पास भेजा गया है. पहले जवाहर नगर क्षेत्र में 6 हजार उपभोक्ताओं के घर यह कनेक्शन लगाए जाएंगे. यह कनेक्शन ऑटोमेटेड मीटरिंग इन्फ्रॉट्रक्चर वाले होते हैं. इनमें चिप लगी होती है और एग्रीगेट सिस्टम से जुड़े होते हैं. हर 150-200 मीटर के दायरे में एग्रीकेटर सिस्टम लगाया जाएगा. जैन ने कहा कि सौ फीसदी पानी का उपयोग नहीं होता, कुछ पानी का अपव्यय हो जाता है और लीकेज से वेस्टेज भी होता है. स्मार्ट मीटर से पानी के अपव्यय को रोका जा सकेगा.
करोड़ों रुपए हुए खर्च
जयपुर शहर के उत्तर क्षेत्र में साल 2016-17 में बनीपार्क, मानसरोवर, आदर्श नगर और चित्रकूट वैशाली नगर में 18 हजार मीटर बदले गए थे. इनमें 1 मीटर पर 3 हजार 100 रुपए खर्च किए गए थे. इस तरह से योजना पर साढ़े पांच करोड़ रुपए खर्च हुए थे. अमृत योजना के तहत साल 2018 में 77 हजार मीटर बदलने का वर्क आर्डर दिया गया था. इसमें परकोटा के चौकड़ी मोदी खाना, विश्वेश्वर, सिटी पैलेस के आसपास के क्षेत्र में 11 हजार मीटर बदले गए. शेष शहर के बाहरी क्षेत्रों में बदले गए थे और काम अभी भी चल रहा है. 40 हजार मीटर बदलने का काम पूरा किया जा चुका है और शेष मीटर बदलने का काम चल रहा है. योजना में सात वितरण केंद्रों का चयन किया गया था. जापान की जायका से तकनीकी सहायता ली गई थी. इस तरह जयपुर शहर में एक लाख मीटर बदले जाने हैं. मीटर बदलने के बाद सात साल तक मीटर की देखभाल का काम ठेकेदार करेंगे.
क्या कहना है अधीक्षण अभियंता का?
अधीक्षण अभियंता उत्तर अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि शहरी क्षेत्र में मीटर बदलने का काम किया जा रहा है. वह मीटर इन्ट्रोन (Intron) कंपनी का मीटर है, जिसे एफसीआरआई (फ्लूड कंट्रोल रिसर्च इंस्टीट्यूट) केरल ने अप्रूव किया है. शुरुआत में कुछ शिकायतें आई थी और उन शिकायतों को भी विभाग की ओर से दूर कर दिया गया है. यह मीटर सेंसेटिव होते हैं और एयर से भी रीडिंग ले लेते हैं. इसलिए विभाग की ओर से मीटर में एयर वाल्व लगाने की सलाह दी जाती है, लेकिन तकनीकी रूप से मीटर में कोई कमी नहीं है. एनआरडब्लयू (नोन रेवेन्यू वाटर) में भी 50 प्रतिशत तक कमी आई है.
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जयपुर शहर में 10 फीसदी अवैध नल कनेक्शन हैं. अवैध नल कनेक्शन पर विभाग की ओर से कार्रवाई भी की जाती है. अवैध नल कनेक्शन की जानकारी मीटर रीडर की ओर से विभाग को दी जाती है. इसके बाद विभाग उस पर कार्रवाई करता है. यदि अवैध नल कनेक्शन किसी के घर मिलता है तो विभाग की ओर से 30 हजार लीटर प्रतिमाह मानकर पांच साल का चार्ज 13 हजार 500 रुपए वसूल करता है और 1,500 रुपए की पेनॉल्टी भी लगाई जाती है.