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केंद्र सरकार का बड़ा तोहफा, औद्योगिक इकाइयों को स्थाई शुल्क में मिल सकती है राहत - corona virus

केंद्र सरकार की ओर से औद्योगिक इकाइयों को स्थाई शुल्क में बड़ी राहत मिल सकती है. कोरोना वायरस महामारी घोषित होने के बाद अब डिस्कॉम लॉकडाउन अवधि में बिजली सप्लाई नहीं करने वाली उत्पादक कंपनियों के फिक्स चार्ज का भुगतान रोक सकेगा.

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केंद्र सरकार का बड़ा तोहफा
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Published : Apr 7, 2020, 12:12 PM IST

जयपुर. कोरोना महामारी से बचाव के लिए चल रहे लॉकडाउन के दौरान बंद पड़ी प्रदेश की औद्योगिक इकाइयों को बिजली के बिल में स्थाई शुल्क के नाम पर लगने वाले अतिरिक्त भार से राहत मिल सकती है. केंद्र द्वारा इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के फोर्स मेज्योर क्लोज में कोरोना वायरस महामारी को भी प्राकृतिक आपदा में शामिल किया गया है. मतलब अब डिस्कॉम लॉकडाउन अवधि में बिजली सप्लाई नहीं करने वाली उत्पादक कंपनियों के फिक्स चार्ज का भुगतान रोक सकेगा और यदि ऐसा हुआ, तो प्रदेश औद्योगिक इकाइयों को भी स्थाई शुल्क से कुछ राहत मिलना लगभग तय है.

केंद्र सरकार का बड़ा तोहफा

ऊर्जा विकास निगम ने शुरू की कवायद...

केंद्र सरकार के स्तर पर फोर्स मेज्योर क्लोज में कोरोना वायरस महामारी को शामिल करने के बाद ऊर्जा विकास निगम ने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है. निगम ने बिजली उत्पादक कंपनियों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जिसमें उन्हें लॉकडाउन के दिन से यह प्रभावी होने की जानकारी दी जाएगी. फिलहाल अभी नोटिस भेजकर उत्पादन कंपनियों को इसकी जानकारी दी गई है. लेकिन औद्योगिक इकाइयों को राहत और वसूली समायोजन का फैसला संभवत लिया जाना शेष है. लेकिन जल्दी इसमें राहत दिए जाने की संभावना है.

यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री के निर्देश पर 60 वरिष्ठ पत्रकारों के लिए सम्मान राशि स्वीकृत

बता दें कि लॉकडाउन अवधि में प्रदेश में करीब 12 लाख से ज्यादा औद्योगिक और व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं और वहां बिजली की सप्लाई भी नहीं हो रही. इसके बावजूद उन पर स्थाई शुल्क देने का दबाव बनाया जा रहा था. खुद प्रदेश के ऊर्जा मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला ने इस मामले में यहां तक कह दिया था कि यदि केंद्र सरकार स्थाई शुल्क का पुनर्भरण कर दे, तो वह राहत प्रदेश की औद्योगिक इकाइयों को दे सकते हैं.

यह था कानून जो अब हुआ आसान...

इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के फोर्स मेज्योर क्लोज में आंधी तूफान बाढ़ भूकंप किस तिथि में फिक्स चार्ज सस्पेंड किए जा सकते. लेकिन इसमें कोरोना वायरस महामारी अंकित नहीं थी. जिसके चलते बिजली कंपनियां इसे प्राकृतिक आपदा मानने से इंकार करती थी. लेकिन अब केंद्र सरकार ने इसे सूची में शामिल कर लिया है, तो नियमानुसार डिस्कॉम विद्युत उत्पादन इकाइयों और कंपनियों को यह फिक्स्ड चार्जेस का भुगतान नहीं करेगा और जब भुगतान नहीं करेगा तो और छोटी इकाइयों से लॉकडाउन की अवधि में इसे वसूले जाने की संभावना भी नहीं रहेगी.

जयपुर. कोरोना महामारी से बचाव के लिए चल रहे लॉकडाउन के दौरान बंद पड़ी प्रदेश की औद्योगिक इकाइयों को बिजली के बिल में स्थाई शुल्क के नाम पर लगने वाले अतिरिक्त भार से राहत मिल सकती है. केंद्र द्वारा इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के फोर्स मेज्योर क्लोज में कोरोना वायरस महामारी को भी प्राकृतिक आपदा में शामिल किया गया है. मतलब अब डिस्कॉम लॉकडाउन अवधि में बिजली सप्लाई नहीं करने वाली उत्पादक कंपनियों के फिक्स चार्ज का भुगतान रोक सकेगा और यदि ऐसा हुआ, तो प्रदेश औद्योगिक इकाइयों को भी स्थाई शुल्क से कुछ राहत मिलना लगभग तय है.

केंद्र सरकार का बड़ा तोहफा

ऊर्जा विकास निगम ने शुरू की कवायद...

केंद्र सरकार के स्तर पर फोर्स मेज्योर क्लोज में कोरोना वायरस महामारी को शामिल करने के बाद ऊर्जा विकास निगम ने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है. निगम ने बिजली उत्पादक कंपनियों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जिसमें उन्हें लॉकडाउन के दिन से यह प्रभावी होने की जानकारी दी जाएगी. फिलहाल अभी नोटिस भेजकर उत्पादन कंपनियों को इसकी जानकारी दी गई है. लेकिन औद्योगिक इकाइयों को राहत और वसूली समायोजन का फैसला संभवत लिया जाना शेष है. लेकिन जल्दी इसमें राहत दिए जाने की संभावना है.

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बता दें कि लॉकडाउन अवधि में प्रदेश में करीब 12 लाख से ज्यादा औद्योगिक और व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं और वहां बिजली की सप्लाई भी नहीं हो रही. इसके बावजूद उन पर स्थाई शुल्क देने का दबाव बनाया जा रहा था. खुद प्रदेश के ऊर्जा मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला ने इस मामले में यहां तक कह दिया था कि यदि केंद्र सरकार स्थाई शुल्क का पुनर्भरण कर दे, तो वह राहत प्रदेश की औद्योगिक इकाइयों को दे सकते हैं.

यह था कानून जो अब हुआ आसान...

इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के फोर्स मेज्योर क्लोज में आंधी तूफान बाढ़ भूकंप किस तिथि में फिक्स चार्ज सस्पेंड किए जा सकते. लेकिन इसमें कोरोना वायरस महामारी अंकित नहीं थी. जिसके चलते बिजली कंपनियां इसे प्राकृतिक आपदा मानने से इंकार करती थी. लेकिन अब केंद्र सरकार ने इसे सूची में शामिल कर लिया है, तो नियमानुसार डिस्कॉम विद्युत उत्पादन इकाइयों और कंपनियों को यह फिक्स्ड चार्जेस का भुगतान नहीं करेगा और जब भुगतान नहीं करेगा तो और छोटी इकाइयों से लॉकडाउन की अवधि में इसे वसूले जाने की संभावना भी नहीं रहेगी.

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