जयपुर. राजधानी के सेठी कॉलोनी में राजस्थान की एकमात्र ड्रग टेस्टिंग लेबोरेटरी स्थित है. यहां प्रदेशभर से आए दवाओं के सैंपल की जांच की जाती है. भले ही सरकार और चिकित्सा विभाग नकली दवाओं पर लगाम कसने की बात कह रहा हो लेकिन हालात इससे विपरीत हैं. ड्रग टेस्टिंग लेबोरेटरी में दवाओं की जांच की पेंडेंसी इतनी बढ़ चुकी है कि जब तक दवा की रिपोर्ट सामने आती है तब तक लाखों मरीज इस दवा का सेवन कर चुके होते हैं. चिकित्सा विभाग का ड्रग एंड फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट दवाओं के सैंपल समय पर जांच नहीं कर पा रहा. इसका मुख्य कारण है प्रदेश में जांच के लिए सिर्फ एक लैब का मौजूद होना.
मामले को लेकर ड्रग एंड फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के कमिश्नर सुनील शर्मा का कहना है कि जयपुर में स्थित ड्रग टेस्टिंग लेबोरेटरी की क्षमता को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. यह प्रदेश की एकमात्र लैब है और फिलहाल इस लैब में फार्मासिस्ट मौजूद हैं (Rajasthan only drug testing laboratory in Jaipur) और हाल ही में 7 नए एनालिस्ट लगाए गए हैं. आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2012-13 में दवाओं की जांच से जुड़ी पेंडेंसी करीब 700 के आसपास थी, जो अब बढ़कर 5000 से अधिक पहुंच चुकी है. यानी 5 हजार से अधिक दवाइयों की जांच अभी भी बाकी है. लेकिन फिर भी इन दवाइयों को बाजार में बदस्तूर बेचा जा रहा है.
तीन ड्रग टेस्टिंग लैब का इंतजार: जयपुर स्थित ड्रग टेस्टिंग लैब में बढ़ती पेंडेंसी के बाद सालों पहले 3 नई ड्रग टेस्टिंग लैब खोलने की घोषणा की गई थी. बताया जा रहा है कि बीकानेर, जोधपुर और उदयपुर में ड्रग टेस्टिंग लैब शुरू की जानी थी. हालांकि तीनों ही लैब की इमारतें बनकर तैयार हैं, लेकिन इसे अभी तक शुरू नहीं किया जा सका है. मामले को लेकर ड्रग एंड फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट कमिश्नर सुनील शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार ने 3 नई ड्रग टेस्टिंग लैब खोलने की घोषणा बजट में की थी.
उन्होंने बताया कि जोधपुर, उदयपुर और बीकानेर में लैब का निर्माण किया जा चुका है. इन सभी लैब में एनालिस्ट लगाए (Pendency of Drug sample test in Rajasthan) जा चुके हैं और जांच से जुड़े उपकरण भी इंस्टॉल हो चुके हैं. ऐसे में सुनील शर्मा का कहना है कि जल्द ही इन लैब को शुरू कर दिया जाएगा. जिसके बाद जयपुर के ड्रग टेस्टिंग लैब का भार कम हो सकेगा और दवाओं की जांच से जुड़ी जो पेंडेंसी है उसे भी खत्म किया जा सकेगा.