जयपुर. साइबर ठगों पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस सख्ती बरत रही है तो दूसरी ओर साइबर शातिर जालसाजी के रोज नए तरीके इजाद कर रहे हैं. इन दिनों शातिर ठग नया तरीका अपनाकर लोगों से रुपये ऐंठ ले रहे हैं. खास बात ये है कि ठगी के पीड़ित बदनामी के डर से मामले की शिकायत करने से भी बच रहे हैं जिससे साइबर अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं.
दरअसल इन दिनों साइबर ठग 'एस्कॉर्ट सर्विस' के नाम पर लोगों को अपने जाल में फंसा कर उन्हें ब्लैकमेल करने और मोटी राशि ठगने का काम कर रहे हैं. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव रहने वाले लोगों को भी नए तरीकों से ठगी का शिकार बनाया जा रहा है. वहीं साइबर ठग व्हाट्सएप कॉलिंग के जरिए लोगों को 'सेक्सटॉर्शन' का शिकार भी बना रहे हैं. इन सभी तरह की ठगी से बचने के लिए लोगों का जागरूक होना बेहद आवश्यक है. ठगी का शिकार होने पर पीड़ित को ब्लैकमेलर की बात मानने के बजाए पुलिस में शिकायत करनी चाहिए.
विभिन्न वेबसाइट के जरिए कर रहे ब्लैकमेल
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि साइबर ठगों ने विभिन्न तरह की एस्कॉर्ट सर्विस की वेबसाइट बना रखी है. इसमें लोकल मॉडल या फिर उसी शहर की युवतियों की फोटो को उनके सोशल मीडिया अकाउंट से या फिर इंटरनेट से उठाकर अपलोड किया जाता है. यहां तक कि उन युवतियों को इस बात की भी भनक तक नहीं होती है कि उनकी तस्वीरों का साइबर ठग इस तरह से गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके बाद लोगों को एस्कॉर्ट सर्विस के नाम पर विभिन्न तरह के पॉपअप भेज कर या फिर वेबसाइट विजिट करवा कर युवती को सेलेक्ट करने के लिए कहा जाता है. साथ ही उस व्यक्ति को पेटीएम या फिर अन्य ऑनलाइन पेमेंट ऐप के माध्यम से बुकिंग राशि जमा करने के लिए कहा जाता है.
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ठगों के झांसे में आकर जैसे ही पीड़ित व्यक्ति राशि जमा करवाता है उसके तुरंत बाद ही साइबर ठग पीड़ित व्यक्ति के सोशल मीडिया अकाउंट को एक्सेस कर उसकी तमाम फ्रेंड लिस्ट की जानकारी जुटा लेते हैं. इसके बाद शुरू होता है ब्लैकमेल का 'खेल', जो काफी लंबे समय तक चलता है. पीड़ित व्यक्ति को बदनाम करने और उसके परिचित और मित्रों को यह बताने की धमकी देकर कि पीड़ित एस्कॉर्ट सर्विस का इस्तेमाल करता है, ठग पीड़ित से मोटी राशि हड़प लेते हैं. मानसिक रूप से परेशान होने के बाद जब पीड़ित पुलिस में ठगी की शिकायत दर्ज कराता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है. पुलिस जब ठगों के पेटीएम नंबर की जांच करती है तो वह नंबर भी फर्जी केवाईसी के आधार पर एक्टिवेट किए हुए पाए जाते हैं.
बचाव का उपाय
साइबर ठगों के झांसे में आने से बचने के लिए यूजर को किसी भी तरह की 'एस्कॉर्ट सर्विस वेबसाइट' पर विजिट नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही ठग यदि उसे अपने जाल में फंसाने में कामयाब हो जाते हैं तो यूजर को किसी भी तरह का पेमेंट नहीं करना चाहिए. वहीं ठगी का शिकार होने पर पीड़ित को तुरंत इसकी शिकायत पुलिस में करनी चाहिए. इसके साथ ही ठगों की ओर से भेजे जाने वाले किसी भी तरह के लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए. एस्कॉर्ट सर्विस भारत में पूरी तरह से गैरकानूनी है. ठगी का शिकार होने पर पीड़ित को तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल पर इसकी शिकायत दर्ज करानी चाहिए.
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व्हाट्सएप कॉलिंग के जरिए बना रहे सेक्सटॉर्शन का शिकार
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि साइबर ठग अननोन नंबर से व्हाट्सएप कॉल कर लोगों को सेक्सटॉर्शन का शिकार बना रहे हैं. इसमें किसी भी व्यक्ति को कॉल किया जाता है और जैसे ही सामने वाला व्यक्ति कॉल उठाता है ठगों की ओर से कोई नेकेड वीडियो प्ले कर दिया जाता है और उसकी स्क्रीन रिकॉर्डिंग करनी शुरू कर दी जाती है. स्क्रीन रिकॉर्डिंग करने के बाद ठग पीड़ित व्यक्ति को उसका वीडियो और स्क्रीनशॉट भेज कर ब्लैकमेल करते हैं और साथ ही रुपयों की डिमांड करते हैं. रुपए नहीं देने पर पीड़ित का वीडियो सोशल मीडिया पर और उसके परिचितों को भेजकर वायरल करने की धमकी दी जाती है. हाल ही में राजस्थान में ठगों ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई एमएलए को भी इसी प्रकार से अपनी ठगी का शिकार बनाने का प्रयास किया है.
बचने का तरीका: सेक्सटॉर्शन से बचने के लिए यूजर को अननोन नंबर से आने वाली किसी भी व्हाट्सएप वीडियो कॉल को अटेंड नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही यदि यूजर इस तरह की ठगी का शिकार होता है तो उसे ब्लैकमेल होने की बजाय तुरंत संबंधित पुलिस थाने में शिकायत करनी चाहिए और ठगों के नंबर को ब्लॉक कराना चाहिए. अननोन नंबर से आने वाले किसी भी लिंक पर यूजर को क्लिक करने से बचना चाहिए.
की-लॉगिंग के जरिए ठग बना रहे हैं ठगी का शिकार
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि साइबर ठग इन दिनों 'की-लॉगिंग' के जरिए भी लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. इसमें किसी भी अननोन सोर्स से मोबाइल में किसी एप्लीकेशन को डाउनलोड करने के बाद की-लॉगिंग के जरिए उस मोबाइल फोन की तमाम गतिविधियों को साइबर ठग कैप्चर कर लेते हैं. यहां तक कि यूजर की व्हाट्सएप चैट से लेकर उसके ऑनलाइन बैंकिंग पासवर्ड तक की जानकारी साइबर ठगों तक पहुंच जाती है. इसके बाद ठग बड़ी आसानी से यूजर की तमाम निजी जानकारी हासिल कर उसके खाते से रुपयों का ट्रांजैक्शन कर लेते हैं और उसे ब्लैकमेल भी किया जाता है.
ऐसे बचें की-लॉगिंग के झांसे से
अननोन सोर्से या थर्ड पार्टी एप्लीकेशन को अपने मोबाइल में इंस्टॉल करने से बचें. इसके साथ ही यूजर अपने मोबाइल में टोटल सिक्योरिटी, स्मार्ट सिक्योरिटी या इंटरनेट सिक्योरिटी एप्लीकेशन को डाउनलोड रखें और उनका सब्सक्रिप्शन एक्टिवेट रखें. इसके साथ ही यूजर समय-समय पर अपने फोन को स्कैन करते रहें. इसके साथ ही केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए इस स्कैन सॉफ्टवेयर को मोबाइल में इंस्टॉल रखें और समय-समय पर मोबाइल को स्कैन करते रहें ताकि मोबाइल में मौजूद बोट को रिमूव किया जा सके. बोट के जरिए साइबर ठग यूजर के मोबाइल का पूरा एक्सेस अपने हाथ में ले लेते हैं जिसके चलते यूजर को कई परेशानी का सामना करना पड़ता है.