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अदालत के आदेश के बावजूद वॉयस सैंपल नहीं देंगे गजेंद्र सिंह शेखावत, PM मोदी को इन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए थाः जोशी

कथित ऑडियो वायरल मामले में निचली अदालत ने एसीबी को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के वॉयस सैंपल लेने की अनुमति दे दी है. जिस पर मुख्य सचेतक महेश जोशी ने चुटकी लेते हुए कहा कि अब तो गजेंद्र सिंह की मनोकामना भी पूरी हो गई, लेकिन मुझे नहीं लगता की वो अब भी सैंपल देने के लिए तैयार होंगे.

Rajasthan News, राजस्थान की राजनीति
महेश जोशी और गजेंद्र सिंह शेखावत
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Published : Jul 7, 2021, 8:51 PM IST

जयपुर. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के कथित ऑडियो वायरल होने से जुड़े मामले में बुधवार को एसीबी को निचली अदालत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के वॉयस सैंपल लेने की अनुमति दे दी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद यह मामला एसीबी में दर्ज करवाने वाले राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि कोर्ट के इस निर्णय से तो गजेंद्र सिंह शेखावत के मन की मुराद ही पूरी हुई है, जो पिछले कई दिनों से कह रहे थे कि उनको कोई नोटिस नहीं मिला है, नहीं तो वह सैंपल देने को तैयार थे.

महेश जोशी ने कहा कि अब उनकी मुराद पूरी हो गई है, अब उनको आगे बढ़कर अपना सैंपल देना चाहिए, लेकिन इसके साथ ही महेश जोशी ने इस बात की शंका जाहिर की कि गजेंद्र सिंह शेखावत अब भी अपना वॉइस सैंपल नहीं देंगे और ऊंची अदालत में जाकर इस निर्णय के खिलाफ स्टे लेने की कोशिश करेंगे.

मुख्य सचेतक महेश जोशी से बात

उन्होंने कहा कि गजेंद्र सिंह को आगे बढ़कर ऑडियो सैंपल देना चाहिए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. बुधवार को हुए मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को ड्रॉप नहीं किए जाने पर कहा जोशी ने कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत को तो नैतिक आधार पर इस्तीफा पहले ही दे देना चाहिए था.

यह भी पढ़ेंः कथित ऑडियो टेप कांड : कोर्ट ने ACB को गजेंद्र सिंह शेखावत और संजय जैन के Voice Sample लेने की अनुमति दी

हालांकि, उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया तो प्रधानमंत्री को उन्हें बर्खास्त करना चाहिए था और अगर उस समय भी प्रधानमंत्री उन्हें बर्खास्त नहीं कर पाए थे तो अब मोदी कैबिनेट में हुए इतने बड़े फेरबदल में तो कम से कम गजेंद्र सिंह शेखावत को ड्राप कर ही देना चाहिए था.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले से कांग्रेस को कोई निराशा नहीं है, बल्कि निराश तो प्रधानमंत्री को होना चाहिए कि वह मौका मिलने के बावजूद भी इस मौके का लाभ नहीं उठा सके और देश की जनता को यह संदेश नहीं दे सके कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं.

दरअसल, फोन टैपिंग मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली में मामला दर्ज कराया है, जिसे दिल्ली क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया है. इस मामले में राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी को भी नोटिस देकर क्राइम ब्रांच में 24 जून को दिल्ली अपने बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया, लेकिन महेश जोशी उस समय दिल्ली नहीं गए और उन्होंने गलत तरीके से नोटिस देने की बात कही.

यह भी पढ़ेंः Modi Cabinet Expansion: भूपेंद्र यादव...वकालत से संगठन के रास्ते सत्ता में मिली नई जिम्मेदारी

अब जब केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को कोर्ट ने वॉयस सैंपल देने को कहा है तो महेश जोशी ने भी कहा है कि अगर क्राइम ब्रांच उचित धारा में उन्हें नोटिस दे तो वह क्राइम ब्रांच को अपना बयान दर्ज कराने को तैयार हैं, बशर्ते कि सही धाराओं में और जयपुर आकर उनके बयान लिए जाएं.

राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुधवार को किए गए मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कहा कि राजस्थान में इस मंत्रिमंडल फेरबदल से किसी को कोई लाभ नहीं हुआ है.

उन्होंने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री से यह मांग की थी कि राजस्थान में ब्राह्मण समाज एक महत्वपूर्ण और सम्माननीय समाज है. ऐसे में राजस्थान भाजपा के ब्राह्मण सांसद को मंत्री बनाया जाना चाहिए था, लेकिन ब्राह्मण समाज को प्रधानमंत्री ने पहले भी इस काबिल नहीं समझा और अब भी राजस्थान के ब्राह्मण नेताओं को दरकिनार किया गया है.

जयपुर. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के कथित ऑडियो वायरल होने से जुड़े मामले में बुधवार को एसीबी को निचली अदालत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के वॉयस सैंपल लेने की अनुमति दे दी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद यह मामला एसीबी में दर्ज करवाने वाले राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि कोर्ट के इस निर्णय से तो गजेंद्र सिंह शेखावत के मन की मुराद ही पूरी हुई है, जो पिछले कई दिनों से कह रहे थे कि उनको कोई नोटिस नहीं मिला है, नहीं तो वह सैंपल देने को तैयार थे.

महेश जोशी ने कहा कि अब उनकी मुराद पूरी हो गई है, अब उनको आगे बढ़कर अपना सैंपल देना चाहिए, लेकिन इसके साथ ही महेश जोशी ने इस बात की शंका जाहिर की कि गजेंद्र सिंह शेखावत अब भी अपना वॉइस सैंपल नहीं देंगे और ऊंची अदालत में जाकर इस निर्णय के खिलाफ स्टे लेने की कोशिश करेंगे.

मुख्य सचेतक महेश जोशी से बात

उन्होंने कहा कि गजेंद्र सिंह को आगे बढ़कर ऑडियो सैंपल देना चाहिए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. बुधवार को हुए मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को ड्रॉप नहीं किए जाने पर कहा जोशी ने कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत को तो नैतिक आधार पर इस्तीफा पहले ही दे देना चाहिए था.

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हालांकि, उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया तो प्रधानमंत्री को उन्हें बर्खास्त करना चाहिए था और अगर उस समय भी प्रधानमंत्री उन्हें बर्खास्त नहीं कर पाए थे तो अब मोदी कैबिनेट में हुए इतने बड़े फेरबदल में तो कम से कम गजेंद्र सिंह शेखावत को ड्राप कर ही देना चाहिए था.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले से कांग्रेस को कोई निराशा नहीं है, बल्कि निराश तो प्रधानमंत्री को होना चाहिए कि वह मौका मिलने के बावजूद भी इस मौके का लाभ नहीं उठा सके और देश की जनता को यह संदेश नहीं दे सके कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं.

दरअसल, फोन टैपिंग मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली में मामला दर्ज कराया है, जिसे दिल्ली क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया है. इस मामले में राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी को भी नोटिस देकर क्राइम ब्रांच में 24 जून को दिल्ली अपने बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया, लेकिन महेश जोशी उस समय दिल्ली नहीं गए और उन्होंने गलत तरीके से नोटिस देने की बात कही.

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अब जब केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को कोर्ट ने वॉयस सैंपल देने को कहा है तो महेश जोशी ने भी कहा है कि अगर क्राइम ब्रांच उचित धारा में उन्हें नोटिस दे तो वह क्राइम ब्रांच को अपना बयान दर्ज कराने को तैयार हैं, बशर्ते कि सही धाराओं में और जयपुर आकर उनके बयान लिए जाएं.

राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुधवार को किए गए मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कहा कि राजस्थान में इस मंत्रिमंडल फेरबदल से किसी को कोई लाभ नहीं हुआ है.

उन्होंने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री से यह मांग की थी कि राजस्थान में ब्राह्मण समाज एक महत्वपूर्ण और सम्माननीय समाज है. ऐसे में राजस्थान भाजपा के ब्राह्मण सांसद को मंत्री बनाया जाना चाहिए था, लेकिन ब्राह्मण समाज को प्रधानमंत्री ने पहले भी इस काबिल नहीं समझा और अब भी राजस्थान के ब्राह्मण नेताओं को दरकिनार किया गया है.

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