जयपुर. प्रदेश में एक बार फिर चना उत्पादक किसानों को अपनी फसल का सही दाम न मिल पाने के कारण नुकसान होने की पूरी आशंका है. सहकारिता विभाग की ओर से एमएसपी पर चने की खरीद का अब तक आधा लक्ष्य भी हासिल नहीं किया जा सका है. जबकि 29 जून के बाद एमएसपी पर चने की खरीद बंद कर दी जाएगी (purchase of gram at MSP will stop on June 29). ऐसे में किसानों को मजबूरन ओने पौने दामों में अपनी उपज बाजार में बेचना पड़ेगी.
सरकार की लचर कार्यशैली से होगा अन्नदाताओं को नुकसान: बाजार में चने का भाव वर्तमान में 4300 रुपये प्रति क्विंटल है. जबकि सरकार ने इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 5230 प्रति क्विंटल रखा है. प्रदेश में 1 अप्रैल से चने की एमएसपी पर खरीद शुरू हो गई थी. उस समय बाजार भाव 4800 प्रति क्विंटल था. मतलब तब भी एमएसपी बाजार भाव से ज्यादा थी. लेकिन किसानों के चने की खरीद एमएसपी पर कम ही हुई. इसका बड़ा कारण था प्रत्येक किसान से अधिकतम 1 दिन में 25 क्विंटल से ज्यादा खरीद न करना. हालांकि वर्तमान में अब 1 दिन में एक किसान से अधिकतम 40 क्विंटल तक एमएसपी पर खरीद की जा रही है. लेकिन सरकार को अपने इस निर्णय में बदलाव करने में करीब 44 दिन का समय लग गया. जिसके चलते किसानों के चने की फसल एमएसपी पर काम और बाजार में औने पौने दाम पर ज्यादा बिकी. क्योंकि जो किसान अपनी उपज लेकर मंडी में पहुंच जाता है वह दूसरे दिन खरीद का इंतजार नहीं करता.
1 अप्रैल से खरीद शुरू लेकिन 2 जून को तुलाई की सीमा बढ़ाई: 1 अप्रैल को जब एमएसपी पर चने की खरीद शुरू हुई. तब 1 दिन में एक किसान से अधिकतम 25 क्विंटल उपज खरीदने (तुलाई) का नियम था. लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने इसमें परिवर्तन के लिए केंद्र सरकार को तुरंत पत्र लिखा और 14 दिन बाद वहां यह बदलाव हो गया. लेकिन राजस्थान में इसका उल्टा हुआ. यहां राज्य सरकार की ओर से पत्र लिखने से पहले किसान महापंचायत ने केंद्र सरकार को इस संबंध में पत्र लिखा और किसानों की परेशानी बताई. लेकिन केंद्र सरकार राज्य सरकार के पत्र का इंतजार करती रही.
रामपाल जाट ने राज्य सरकार को किसानों की समस्या से बताई: किसान महापंचायत अध्यक्ष रामपाल जाट ने राज्य सरकार को किसानों की इस समस्या से अवगत कराया, तब प्रदेश सरकार ने 4 मई को केंद्र सरकार को पत्र भेजकर तुलाई की सीमा बढ़ाकर 40 क्विंटल करने का आग्रह किया. लेकिन इस पत्र के 44 दिन बाद यानी 2 जून को केंद्र सरकार ने इसकी अनुमति राजस्थान को दी. इस बीच अधिकतर किसान खरीद केंद्रों पर पहुंचकर अपनी उपज की तुलाई नहीं करवा पाए.
82 दिन में आधा भी नहीं हुआ एमएसपी पर खरीद का लक्ष्य: प्रदेश में इस बार एमएसपी पर 6 लाख 20 हजार 593 मीट्रिक टन चने की खरीद का लक्ष्य रखा. जिसमें से अब तक केवल 2 लाख 32 हजार 172 मीट्रिक टन चने की ही एमएसपी पर खरीद हो सकी है जिसकी एवज में विभाग को 1214.26 करोड़ रुपए का भुगतान करना है. एमएसपी पर चने की खरीद 29 जून तक होनी है. मतलब 7 दिन और शेष है और इस बीच बचा हुआ लक्ष्य पूरा हो जाए. इसकी संभावना नहीं के बराबर है. इसी में भले ही किसानों के पंजीयन की सीमा भी सरकार ने बढ़ा दी हो, लेकिन खरीद और तुलाई को लेकर नियमों में परिवर्तन में जो समय लगा वो किसानों के लिए पीड़ादायक रहा.
24 लाख मैट्रिक टन अधिक हुआ चने का उत्पादन: प्रदेश में इस बार 24 लाख 80 हजार मीट्रिक टन से अधिक चने का उत्पादन होने की संभावना जताई गई थी. लेकिन नियमों के मुताबिक एमएसपी पर खरीद केवल 25 प्रतिशत तक ही की जा सकती है. हालांकि राज्य सरकार चाहे तो अपने स्तर पर किसानों से उनकी उपज की खरीद कर सकती है, लेकिन यह खरीद केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही करना होगा. यही कारण है कि केंद्र सरकार की ओर से खरीद का लक्ष्य भले ही पूरा न हो लेकिन राज्य सरकार अपने स्तर पर किसानों से एमएसपी पर उनकी उपज की खरीद करने से बचती है और राजस्थान में भी यही हो रहा है.