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वैध बजरी उपलब्ध नहीं होने से बढ़ रहे अवैध बजरी खनन के मामले : मुख्य सचिव - Contempt notice

अवैध बजरी खनन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को अवमानना नोटिस जारी किया है. नोटिस के बाद मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने कहा कि जब तक प्रदेश में वैध बजरी खनन शुरू नहीं होगी. तब तक अवैध बजरी खनन के मामले बढ़ेंगे. इसके लिए सरकार की तरफ से टॉस्क फोर्स बनाकर कार्रवाई की जा रही है. इसके अलावा छोटे पट्टे जारी कर अवैध रूप से बजरी आम जनता को उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है.

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Published : Jul 30, 2019, 4:36 PM IST

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी अवमानना नोटिस के आदेश को लेकर सरकार अध्ययन करने में जुट गई है. मुख्य सचिव डी बी गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना नोटिस की कॉपी अभी उन्हें प्राप्त नहीं हुई है, जैसे ही नोटिस प्राप्त होगी. उसके बाद उसका अध्ययन कर चार सप्ताह में जवाब दिया जाएगा. हालांकि गुप्ता ने कहा कि बजरी खनन को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट की डबल बेंच ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला दिया था. लेकिन याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर साल 2017 में प्रदेश में बजरी खनन पर रोक लगाने के आदेश जारी करवाए थे.

वैध बजरी उपलब्ध नहीं होने से बढ़ रहे अवैध बजरी खनन के मामले

गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में वैध बजरी उपलब्ध नहीं होने के चलते अवैध बजरी खनन के मामले सामने आए हैं. जब तक वैध बजरी खनन उपलब्ध नहीं होगी. तब तक इसी तरह से अवैध बजरी खनन के मामले सामने आते रहेंगे. उन्होंने कहा कि अवैध बजरी खनन को रोकने के लिए राज्य सरकार की तरफ से लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं. इनमें माइनिंग डिपार्टमेंट, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और पुलिस साथ मिलकर विशेष स्पॉट बनाई गई है. इसके जरिए लगातार खनन माफियाओं के ऊपर शिकंजा भी कसा जा रहा है. यहां तक कि सभी जिला कलेक्टर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी एसपी और कलेक्टर को अवैध बजरी खनन पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.

यह भी पढ़ेंः बजरी खनन में आदेश ना मानने पर राज्य सरकार को अवमानना नोटिस....सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्ते में मांगा जवाब

इतना ही नहीं कार्रवाई के दौरान जब्त की जाने वाली बजरी को भी नीलामी के जरिए नियमित रूप से करने के आदेश दिए हैं. ताकि लोगों को बजरी उपलब्ध हो सके. मुख्यसचिव ने कहा कि प्रदेश के लोगों को बजरी उपलब्ध हो सके. इसको लेकर चार एक्टर खुद की जमीन वाले किसानों को बजरी के पट्टे लीज पर दिए जा रहे हैं. प्रदेश में अब तक 32 पट्टे जारी की जा चुके हैं. साथ ही 122 प्रार्थना पत्र और प्राप्त हो चुके हैं, जिनकी स्क्रूटनी की जा रही है. जल्द ही उन्हें पट्टे जारी किए जाएंगे.

यह भी पढ़ेंः बाड़ी में बजरी माफियाओं ने पुलिस पर की ताबड़तोड़ फायरिंग, बाल-बाल बचे थाना प्रभारी समेत कई

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दस्तक संस्था के अध्यक्ष आनंद सिंह जोड़ी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए साल 2017 में प्रदेश में बजरी खनन पर रोक लगाई थी. इसके बाद पूर्व की वसुंधरा सरकार और मौजूदा कांग्रेस की गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बजरी खनन पर लगी रोक को हटाने के प्रार्थना पत्र जारी किए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए प्रदेश में अवैध बजरी खनन नहीं होने के निर्देश दिए गए. वहीं पिछले दिनों जिस तरीके से अवैध बजरी खनन के मामले सामने आए. उस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी. राज्य सरकार से जवाब मांगा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी प्रदेश में अवैध बजरी खनन क्यों हो रही है. ऐसे में देखना होगा कि 4 सप्ताह बाद राज्य के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट में क्या दलील पेश करते हैं.

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी अवमानना नोटिस के आदेश को लेकर सरकार अध्ययन करने में जुट गई है. मुख्य सचिव डी बी गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना नोटिस की कॉपी अभी उन्हें प्राप्त नहीं हुई है, जैसे ही नोटिस प्राप्त होगी. उसके बाद उसका अध्ययन कर चार सप्ताह में जवाब दिया जाएगा. हालांकि गुप्ता ने कहा कि बजरी खनन को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट की डबल बेंच ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला दिया था. लेकिन याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर साल 2017 में प्रदेश में बजरी खनन पर रोक लगाने के आदेश जारी करवाए थे.

वैध बजरी उपलब्ध नहीं होने से बढ़ रहे अवैध बजरी खनन के मामले

गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में वैध बजरी उपलब्ध नहीं होने के चलते अवैध बजरी खनन के मामले सामने आए हैं. जब तक वैध बजरी खनन उपलब्ध नहीं होगी. तब तक इसी तरह से अवैध बजरी खनन के मामले सामने आते रहेंगे. उन्होंने कहा कि अवैध बजरी खनन को रोकने के लिए राज्य सरकार की तरफ से लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं. इनमें माइनिंग डिपार्टमेंट, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और पुलिस साथ मिलकर विशेष स्पॉट बनाई गई है. इसके जरिए लगातार खनन माफियाओं के ऊपर शिकंजा भी कसा जा रहा है. यहां तक कि सभी जिला कलेक्टर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी एसपी और कलेक्टर को अवैध बजरी खनन पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.

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इतना ही नहीं कार्रवाई के दौरान जब्त की जाने वाली बजरी को भी नीलामी के जरिए नियमित रूप से करने के आदेश दिए हैं. ताकि लोगों को बजरी उपलब्ध हो सके. मुख्यसचिव ने कहा कि प्रदेश के लोगों को बजरी उपलब्ध हो सके. इसको लेकर चार एक्टर खुद की जमीन वाले किसानों को बजरी के पट्टे लीज पर दिए जा रहे हैं. प्रदेश में अब तक 32 पट्टे जारी की जा चुके हैं. साथ ही 122 प्रार्थना पत्र और प्राप्त हो चुके हैं, जिनकी स्क्रूटनी की जा रही है. जल्द ही उन्हें पट्टे जारी किए जाएंगे.

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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दस्तक संस्था के अध्यक्ष आनंद सिंह जोड़ी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए साल 2017 में प्रदेश में बजरी खनन पर रोक लगाई थी. इसके बाद पूर्व की वसुंधरा सरकार और मौजूदा कांग्रेस की गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बजरी खनन पर लगी रोक को हटाने के प्रार्थना पत्र जारी किए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए प्रदेश में अवैध बजरी खनन नहीं होने के निर्देश दिए गए. वहीं पिछले दिनों जिस तरीके से अवैध बजरी खनन के मामले सामने आए. उस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी. राज्य सरकार से जवाब मांगा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी प्रदेश में अवैध बजरी खनन क्यों हो रही है. ऐसे में देखना होगा कि 4 सप्ताह बाद राज्य के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट में क्या दलील पेश करते हैं.

Intro:
जयपुर

प्रदेश में वैध बजरी उपलब्ध नही इस लिए अवैध बजरी के मामले बढ़रहे है - मुख्यसचिव

एंकर:- राजस्थान में धड़ल्ले से हो रही अवैध बजरी खनन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को अवमानना नोटिस जारी किया है सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी अवमानना नोटिस के बाद मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने कहा कि जब तक प्रदेश में वेद बजरी शुरू नहीं होगी तब तक अवैध बजरी खनन के मामले बढ़ेंगे डीपी गुप्ता ने कहा किसके लिए सरकार की तरफ से टास्क फोर्स बनाकर कार्रवाई की जा रही है इसके अलावा छोटे पट्टे जारी करके अवैध रूप से बजरी आम जनता को उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है ।


Body:VO:- सुप्रीम कोर्ट ने अवैध बजरी खनन को लेकर राज्य सरकार को अवमानना नोटिस जारी किया तो सरकार अब इस आदेश का अध्ययन करने में जुट गई है राज्य के मुख्य सचिव डी बी गुप्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना नोटिस की कॉपी अभी उन्हें प्राप्त नहीं हुई है जैसे ही नोटिस प्राप्त होगा उसके बाद उसका अध्ययन करके उसका 4 सप्ताह में जवाब दिया जाएगा हालांकि डीबी गुप्ता ने कहा कि बजरी खनन को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट की डबल बेंच ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला दिया था लेकिन याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर 2017 में प्रदेश में बजरी खनन पर रोक लगाने के आदेश जारी करवाए थे सीबी गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में वेध बजरी उपलब्ध नहीं होने के चलते अवैध बजरी खनन के मामले सामने आए हैं जब तक वेध बजरी खनन उपलब्ध नहीं होगी तब तक इसी तरह से अवैध बजरी खनन के मामले सामने आते रहेंगे , उन्होंने कहा कि अवैध बजरी खनन को रोकने के लिए राज्य सरकार की तरफ से लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं , माइनिंग डिपार्टमेंट , फॉरेस्ट डिपार्टमेंट , पुलिस साथ मिलकर विशेषता स्पॉट बनाई गई है और पासपोर्ट के जरिए लगातार खनन माफियाओं के ऊपर शिकंजा भी कसा जा रहा है , यहां तक कि सभी जिला कलेक्टर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी एसपी और कलेक्टर को अवैध बजरी खनन पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं इतना ही नहीं कार्रवाई के दौरान जप्त की जाने वाली बजरी को भी नीलामी के जरिए नियमित रूप से करने के आदेश दिए हैं ताकि लोगों को बजरी उपलब्ध ही सके , मुख्यसचिव डीबी गुप्ता ने कहा कि प्रदेश के लोगों को बजरी उपलब्ध हो सके इसको लेकर चार एक्टर खुद की जमीन वाले किसानों को बजरी के पट्टे लीज पर दिए जा रहे हैं प्रदेश में अब तक 32 पट्टे जारी की जा चुके हैं 122 प्रार्थना पत्र और प्राप्त हो चुके जिनकी स्कूटनी की जा रही है जल्दी उन्हें पट्टे जारी किए जाएंगे

बाइट:- डीबी गुप्ता - मुख्यसचिव


Conclusion:VO:- दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने दस्तक संस्था के अध्यक्ष आनंद सिंह जोड़ी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 2017 में प्रदेश में बजरी खनन पर रोक लगाई थी इसके बाद पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार और मौजूदा कांग्रेस की गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बजरी खनन पर लगी रोक को हटाने के प्रार्थना पत्र विदा कीजिए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए प्रदेश में अवैध बजरी खनन नहीं होने के निर्देश दिए गए लेकिन पिछले दिनों जिस तरीके से अवैध बजरी खनन के मामले सामने आए उस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी और राज्य सरकार से जवाब मांगा था की बताया कि सुप्रीम कोर्ट किरो के बावजूद भी प्रदेश में अवैध बजरी खनन क्यों हो रही है ऐसे मत देखना होगा कि 4 सप्ताह बाद राज्य के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट में क्या दलील पेश करते हैं ।
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