जयपुर. लॉकडाउन में गरीब, मज़दूर, दिहाड़ी कामगार, फुटकर व्यापारी और दुकानों में काम करने वाले अपना रोज़गार गंवा बैठे हैं. ऐसे में इनका परिवार दो वक्त के खाने के लिए मोहताज बना हुआ है. कुछ जगह तो प्रशासन से राहत पहुंच रही है. लेकिन जहां प्रशासन नहीं पहुंचा वहां कोई न कोई ऐसे गरीबों का मसीहा बनकर उभरा है. इन्हीं में से एक है, नींदड़ गांव के किसान प्रभातीलाल शर्मा.
प्रभातीलाल लॉकडाउन के पहले दिन से स्थानीय लोगों को निशुल्क मास्क, कच्ची बस्तियों में पका हुआ भोजन पहुंचाने और क्षेत्र को सेनेटाइज करने में जुटे हुए हैं. प्रभातीलाल खुद एक सामान्य परिवार से हैं. घर का गुजारा गेंहू-सब्जी की खेती और गाय-भैंसों का दूध बेचकर चलाते हैं. लेकिन इस दौर में उनका ये काम भी ठप पड़ा है. बावजूद इसके प्रभातीलाल ने गरीब और असहायों के लिए जो मुहीम शुरू की, उसे आज तक निभा रहे हैं.
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हर दिन तकरीबन 700 से 800 लोगों को पका हुआ भोजन उपलब्ध कराने के अलावा, बेजुबान पशुओं की भी सेवा का काम कर रहे हैं. प्रभातीलाल अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कबूतरों को दाना और गायों को चारा डालने का काम भी कर रहे हैं. इस संबंध में उन्होंने बताया कि पीएम मोदी के हम सुरक्षित, परिवार सुरक्षित तो हमारा देश सुरक्षित के मंत्र पर वो काम कर रहे हैं.
गरीब परिवारों के लोगों के लिए भोजन बनाने से लेकर उसके वितरण, नीदड़ के घरों को सेनेटाइज करने और रहवासियों को मास्क वितरण करने का भी काम रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग पका हुआ भोजन लेने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं, उनके घर पर सूखा राशन भी पहुंचा रहे हैं. किसान प्रभातीलाल शर्मा 22 मार्च से लेकर अब तक अपनी जमा पूंजी में से करीब साढ़े तीन लाख रुपए इस कार्य में लगा चुके हैं. उनके इस सेवा भाव ने उन्हें जरूरतमंदों का मसीहा बना दिया है.