जयपुर. राजधानी में जर्मन की क्लासेज चलाने वाले देवकरण सैनी के मुताबिक बच्चों की क्लासेज के प्रति शिद्दत को देखते हुए उन्हें ये विचार आया और बीते दो दिन से इस पर अमल भी किया गया है. हालांकि ऑनलाइन क्लासेज में क्लास रूम वाला फील नहीं है, पर इसके बावजूद सिलेबस और कोर्स को निपटाने का ये आसान और बेहतर जरिया बन चुका है.
ऑनलाइन क्लास को लेकर बच्चों से भी अनुभव जाना तो उन्होंने कहा कि देश के लिये कुछ दिन घर में बैठकर राष्ट्र के प्रति अपना समर्पण जाहिर करने का लॉक डाउन अच्छा मौका है. दूसरी ओर क्लासेज और किताब के बीच वक्त काटने की चिंता भी अब काफूर हो चुकी है. इन बच्चों ने भी ईटीवी भारत पर लोगों से लॉक डाउन का उल्लंघन न करने की अपील की है.
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इनका कहना है कि समय का बेहतर उपयोग करने के लिये तकनीक के दौर में ज्यादा विचार करने की जरूरत नहीं है. क्योकिं विकल्प बहुत है और इनसे चुनौतियों से पार पाई जा सकती है. इसलिए कोर्स का कोर्स और घर पर सेल्फ स्टडी के लिये वक्त मिलना दोनों ही काम उनके हक में है.
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कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर एक तरफ दुनियाभर के हालात चिंताजनक हो रहे हैं. वहीं दूसरी ओर जयपुर के जज्बे के आगे अब कोरोना की चुनौती बौनी नजर आने लगी है. बीते तीन दिन की बात करें, तो जयपुर जिले से किसी भी तरह की कोरोना संक्रमित मरीज की रिपोर्ट नहीं आना. एक शुभ संकेत के रूप में देखा जा रहा है.
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वहीं लोगों में इस बीमारी से बचाव को लेकर जागरुकता भी बढ़ने लगी है. साथ ही संक्रमण के संभावित खतरों को देखते हुए एतिहात के साथ रोजमर्रा के काम निपटाने का विकल्प भी लोग तलाश कर रहे हैं.