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SPECIAL : बाल सुधार गृहों की दशा सुधारना जरूरी...बच्चों को कैदी की तरह नहीं रखा जाए, बेहतर माहौल जरूरी

राजस्थान के सभी जिलों में बाल अपचार में लिप्त बच्चों के लिए बाल सुधार गृह बने हुए हैं. इन सुधार गृहों की सुरक्षा और वहां की व्यवस्थाओं को लेकर बात होती रही है लेकिन जरूरी यह भी है कि इन बच्चों को ऐसा माहौल दिया जाए कि वे स्वस्थ विचारों से जुड़ सकें. इसके लिए जरूरी है कि इन बच्चों को अदर एक्टिविटी से जोड़ा जाए.

Jaipur Child Improvement Home Status, Child rights social activist Lata Singh, Child abuser rights Lata Singh interview
प्रदेश के सभी आश्रय स्थलों में सुधार की जरूरत
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Published : Mar 5, 2021, 7:12 PM IST

जयपुर. चाइल्ड राइट्स पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता लता सिंह का कहना है कि बाल अपचारियों को सामान्य अपराधियों की तरह कैद में रखने से बेहतर है कि उनके माहौल को सुधारा जाए. ताकि उनकी सोच को स्वस्थ बनाया जा सके. प्रस्तुत है लता सिंह से खास बातचीत...

चाइल्ड राइट्स पर सामाजिक कार्यकर्ता लता सिंह खास बातचीत (भाग 1)

राजस्थान के भरतपुर जिले के बाल सुधार गृह में शराब पार्टी का वीडियो वायरल होने के बाद प्रदेश चल रहे सरकारी और निजी आश्रय गृह, बाल सम्प्रेषण गृह और बालिका गृह व्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं.

Jaipur Child Improvement Home Status, Child rights social activist Lata Singh, Child abuser rights Lata Singh interview
बाल सुधार गृहों की हालत सुधारने पर जोर दिया लता सिंह ने

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल से ईटीवी भारत से खास बातचीत में इस बात को स्वीकार किया था कि प्रदेश के बाल सुधार गृह में में सुधार की आवश्यक्ता है. लिहाजा सरकार के स्तर पर इन बाल गृह की ऑडिट की जाएगी. चाइल्ड राइट्स पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता लता सिंह बताती हैं कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ऑडिट रिपोर्ट में 40% आश्रय गृह में बच्चों के शारीरिक और यौन शोषण को रोकने के उपाय नहीं पाए गए.

पढ़ें- नई शिक्षा नीति : उज्ज्वल भविष्य की ओर बड़ा कदम...या पुरानी बोतल में नया शरबत

राजस्थान में भी अलग-अलग बाल सुधार गृह, बाल सम्प्रेषण गृह, किशोर ग्रह, बालिका गृह की स्थितियों पर नजर डालें तो ज्यादा अच्छे हालात यहां पर भी नहीं हैं. हाल ही में भरतपुर बाल सम्प्रेषण गृह में शराब पार्टी का वीडियो वायरल होने के बाद न केवल भरतपुर की, बल्कि राज्य के सभी बाल आधार गृहों की सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ बच्चों शारीरिक और यौन शोषण रोकने के उपाय पर भी सवाल उठते हैं.

चाइल्ड राइट्स पर सामाजिक कार्यकर्ता लता सिंह खास बातचीत (भाग 2)

लता सिंह कहती हैं कि कई बाल सुधार गृह में रहने वाले बच्चों की काउंसलिंग में सामने आया है कि उनको जो खाना मिलता है उसकी गुणवत्ता में कमी रहती है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से भरतपुर के बाल सुधार गृह में सुरक्षा में चूक सामने आई, वह कहीं और न हो यह सुनिश्चित होना जरूरी है.

Jaipur Child Improvement Home Status, Child rights social activist Lata Singh, Child abuser rights Lata Singh interview
भरतपुर की घटना के बाद सभी आश्रय गृहों की पड़ताल जरूरी

इसके साथ ही इस मामले में जो लोग लापरवाह रहे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सभी आश्रय ग्रहों की ऑडिट के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. ताकि जो भी संस्था फर्जी तरीके से काम कर रही हैं उनके खिलाफ करवाई हो सके.

पढ़ें- दुष्कर्म के आरोपी ने की ब्यूटी पार्लर संचालिका को जिंदा जलाने की कोशिश, वसुंधरा और शेखावत ने सरकार को घेरा

राजस्थान में आश्रय गृह

  • राजस्थान में 6 बालिका गृह
  • 33 किशोर ग्रह
  • 33 सम्प्रेषण गृह
  • 66 बालग्रह निजी हाथों में संचालित
  • निजी आश्रय गृह सरकार के अनुदान पर संचालित
  • निजी आश्रय गृह बाल संरक्षण आयोग के अधीन

आयोग जल्द ही इन सभी आश्रय गृहों का न केवल औचक निरीक्षण करेगा बल्कि ऑडिट के जरिए खामियों को भी तलाश करेगा.

Jaipur Child Improvement Home Status, Child rights social activist Lata Singh, Child abuser rights Lata Singh interview
प्रदेश के सभी आश्रय स्थलों में सुधार की जरूरत

इस तरह चलते हैं आश्रय ग्रह

बालिका गृह - सरकार की ओर संचालित बालिका गृह राज्य में 6 हैं. सभी संभाग मुख्यालय पर हैं. यहां अनाथ, पीड़ित, घर परिवार से भाग कर आने वाली बालिकाओं को रखा जाता है.

किशोर गृह - इस आश्रय गृह में अनाथ, जरूरतमंद बच्चों को रखा जाता है. प्रत्येक जिले में एक है किशोर गृह है, यानि प्रदेश में 33 सरकारी किशोर गृह हैं.

सम्प्रेषण गृह - यहां उन बच्चों को रखा जाता है जिनकी उम्र 18 साल से कम है और जो किसी न किसी अपराध में शामिल रहे हैं. प्रदेश में 33 बाल सम्प्रेषण गृह सरकार की तरफ से संचालित हैं.

बालक बालिका गृह - बालक बालिका गृह प्रदेश में 66 हैं. ये सभी सरकार के अनुदान पर चलते हैं. बच्चों और बच्चियों के अलग-अलग आश्रय गृह में रखा जाता है. यहां अनाथ या बेसराहा बच्चे रहते हैं. इनके लिए राज्य सरकार अनुदान देती है.

आश्रय गृह - ये आश्रय गृह निजी संस्थाएं अथवा ट्रस्ट की ओर से संचालित होते हैं. ये आश्रय गृह सरकार से अनुदान भी नहीं लेते. ये सिर्फ चैरिटी पर चलते हैं. हालांकि इनकी पूरी जानकारी बाल अधिकारिता विभाग के पास होती है.

Jaipur Child Improvement Home Status, Child rights social activist Lata Singh, Child abuser rights Lata Singh interview
आश्रय गृहों में गुणात्मक बदलाव की जरूरत है

प्रदेश में ऐसे 100 से अधिक आश्रय गृह चल रहे है. जहां वे बच्चे रहते हैं जिनके माता-पिता उनके साथ नहीं रहते, या वे अनाथ हैं, या बच्चों के परिजन उन्हें पढ़ा-लिखा नहीं सकते अथवा पालन-पोषण नहीं कर सकते.

जयपुर. चाइल्ड राइट्स पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता लता सिंह का कहना है कि बाल अपचारियों को सामान्य अपराधियों की तरह कैद में रखने से बेहतर है कि उनके माहौल को सुधारा जाए. ताकि उनकी सोच को स्वस्थ बनाया जा सके. प्रस्तुत है लता सिंह से खास बातचीत...

चाइल्ड राइट्स पर सामाजिक कार्यकर्ता लता सिंह खास बातचीत (भाग 1)

राजस्थान के भरतपुर जिले के बाल सुधार गृह में शराब पार्टी का वीडियो वायरल होने के बाद प्रदेश चल रहे सरकारी और निजी आश्रय गृह, बाल सम्प्रेषण गृह और बालिका गृह व्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं.

Jaipur Child Improvement Home Status, Child rights social activist Lata Singh, Child abuser rights Lata Singh interview
बाल सुधार गृहों की हालत सुधारने पर जोर दिया लता सिंह ने

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल से ईटीवी भारत से खास बातचीत में इस बात को स्वीकार किया था कि प्रदेश के बाल सुधार गृह में में सुधार की आवश्यक्ता है. लिहाजा सरकार के स्तर पर इन बाल गृह की ऑडिट की जाएगी. चाइल्ड राइट्स पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता लता सिंह बताती हैं कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ऑडिट रिपोर्ट में 40% आश्रय गृह में बच्चों के शारीरिक और यौन शोषण को रोकने के उपाय नहीं पाए गए.

पढ़ें- नई शिक्षा नीति : उज्ज्वल भविष्य की ओर बड़ा कदम...या पुरानी बोतल में नया शरबत

राजस्थान में भी अलग-अलग बाल सुधार गृह, बाल सम्प्रेषण गृह, किशोर ग्रह, बालिका गृह की स्थितियों पर नजर डालें तो ज्यादा अच्छे हालात यहां पर भी नहीं हैं. हाल ही में भरतपुर बाल सम्प्रेषण गृह में शराब पार्टी का वीडियो वायरल होने के बाद न केवल भरतपुर की, बल्कि राज्य के सभी बाल आधार गृहों की सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ बच्चों शारीरिक और यौन शोषण रोकने के उपाय पर भी सवाल उठते हैं.

चाइल्ड राइट्स पर सामाजिक कार्यकर्ता लता सिंह खास बातचीत (भाग 2)

लता सिंह कहती हैं कि कई बाल सुधार गृह में रहने वाले बच्चों की काउंसलिंग में सामने आया है कि उनको जो खाना मिलता है उसकी गुणवत्ता में कमी रहती है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से भरतपुर के बाल सुधार गृह में सुरक्षा में चूक सामने आई, वह कहीं और न हो यह सुनिश्चित होना जरूरी है.

Jaipur Child Improvement Home Status, Child rights social activist Lata Singh, Child abuser rights Lata Singh interview
भरतपुर की घटना के बाद सभी आश्रय गृहों की पड़ताल जरूरी

इसके साथ ही इस मामले में जो लोग लापरवाह रहे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सभी आश्रय ग्रहों की ऑडिट के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. ताकि जो भी संस्था फर्जी तरीके से काम कर रही हैं उनके खिलाफ करवाई हो सके.

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राजस्थान में आश्रय गृह

  • राजस्थान में 6 बालिका गृह
  • 33 किशोर ग्रह
  • 33 सम्प्रेषण गृह
  • 66 बालग्रह निजी हाथों में संचालित
  • निजी आश्रय गृह सरकार के अनुदान पर संचालित
  • निजी आश्रय गृह बाल संरक्षण आयोग के अधीन

आयोग जल्द ही इन सभी आश्रय गृहों का न केवल औचक निरीक्षण करेगा बल्कि ऑडिट के जरिए खामियों को भी तलाश करेगा.

Jaipur Child Improvement Home Status, Child rights social activist Lata Singh, Child abuser rights Lata Singh interview
प्रदेश के सभी आश्रय स्थलों में सुधार की जरूरत

इस तरह चलते हैं आश्रय ग्रह

बालिका गृह - सरकार की ओर संचालित बालिका गृह राज्य में 6 हैं. सभी संभाग मुख्यालय पर हैं. यहां अनाथ, पीड़ित, घर परिवार से भाग कर आने वाली बालिकाओं को रखा जाता है.

किशोर गृह - इस आश्रय गृह में अनाथ, जरूरतमंद बच्चों को रखा जाता है. प्रत्येक जिले में एक है किशोर गृह है, यानि प्रदेश में 33 सरकारी किशोर गृह हैं.

सम्प्रेषण गृह - यहां उन बच्चों को रखा जाता है जिनकी उम्र 18 साल से कम है और जो किसी न किसी अपराध में शामिल रहे हैं. प्रदेश में 33 बाल सम्प्रेषण गृह सरकार की तरफ से संचालित हैं.

बालक बालिका गृह - बालक बालिका गृह प्रदेश में 66 हैं. ये सभी सरकार के अनुदान पर चलते हैं. बच्चों और बच्चियों के अलग-अलग आश्रय गृह में रखा जाता है. यहां अनाथ या बेसराहा बच्चे रहते हैं. इनके लिए राज्य सरकार अनुदान देती है.

आश्रय गृह - ये आश्रय गृह निजी संस्थाएं अथवा ट्रस्ट की ओर से संचालित होते हैं. ये आश्रय गृह सरकार से अनुदान भी नहीं लेते. ये सिर्फ चैरिटी पर चलते हैं. हालांकि इनकी पूरी जानकारी बाल अधिकारिता विभाग के पास होती है.

Jaipur Child Improvement Home Status, Child rights social activist Lata Singh, Child abuser rights Lata Singh interview
आश्रय गृहों में गुणात्मक बदलाव की जरूरत है

प्रदेश में ऐसे 100 से अधिक आश्रय गृह चल रहे है. जहां वे बच्चे रहते हैं जिनके माता-पिता उनके साथ नहीं रहते, या वे अनाथ हैं, या बच्चों के परिजन उन्हें पढ़ा-लिखा नहीं सकते अथवा पालन-पोषण नहीं कर सकते.

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