जयपुर. चाइल्ड राइट्स पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता लता सिंह का कहना है कि बाल अपचारियों को सामान्य अपराधियों की तरह कैद में रखने से बेहतर है कि उनके माहौल को सुधारा जाए. ताकि उनकी सोच को स्वस्थ बनाया जा सके. प्रस्तुत है लता सिंह से खास बातचीत...
राजस्थान के भरतपुर जिले के बाल सुधार गृह में शराब पार्टी का वीडियो वायरल होने के बाद प्रदेश चल रहे सरकारी और निजी आश्रय गृह, बाल सम्प्रेषण गृह और बालिका गृह व्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं.
बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल से ईटीवी भारत से खास बातचीत में इस बात को स्वीकार किया था कि प्रदेश के बाल सुधार गृह में में सुधार की आवश्यक्ता है. लिहाजा सरकार के स्तर पर इन बाल गृह की ऑडिट की जाएगी. चाइल्ड राइट्स पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता लता सिंह बताती हैं कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ऑडिट रिपोर्ट में 40% आश्रय गृह में बच्चों के शारीरिक और यौन शोषण को रोकने के उपाय नहीं पाए गए.
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राजस्थान में भी अलग-अलग बाल सुधार गृह, बाल सम्प्रेषण गृह, किशोर ग्रह, बालिका गृह की स्थितियों पर नजर डालें तो ज्यादा अच्छे हालात यहां पर भी नहीं हैं. हाल ही में भरतपुर बाल सम्प्रेषण गृह में शराब पार्टी का वीडियो वायरल होने के बाद न केवल भरतपुर की, बल्कि राज्य के सभी बाल आधार गृहों की सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ बच्चों शारीरिक और यौन शोषण रोकने के उपाय पर भी सवाल उठते हैं.
लता सिंह कहती हैं कि कई बाल सुधार गृह में रहने वाले बच्चों की काउंसलिंग में सामने आया है कि उनको जो खाना मिलता है उसकी गुणवत्ता में कमी रहती है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से भरतपुर के बाल सुधार गृह में सुरक्षा में चूक सामने आई, वह कहीं और न हो यह सुनिश्चित होना जरूरी है.
इसके साथ ही इस मामले में जो लोग लापरवाह रहे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सभी आश्रय ग्रहों की ऑडिट के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. ताकि जो भी संस्था फर्जी तरीके से काम कर रही हैं उनके खिलाफ करवाई हो सके.
राजस्थान में आश्रय गृह
- राजस्थान में 6 बालिका गृह
- 33 किशोर ग्रह
- 33 सम्प्रेषण गृह
- 66 बालग्रह निजी हाथों में संचालित
- निजी आश्रय गृह सरकार के अनुदान पर संचालित
- निजी आश्रय गृह बाल संरक्षण आयोग के अधीन
आयोग जल्द ही इन सभी आश्रय गृहों का न केवल औचक निरीक्षण करेगा बल्कि ऑडिट के जरिए खामियों को भी तलाश करेगा.
इस तरह चलते हैं आश्रय ग्रह
बालिका गृह - सरकार की ओर संचालित बालिका गृह राज्य में 6 हैं. सभी संभाग मुख्यालय पर हैं. यहां अनाथ, पीड़ित, घर परिवार से भाग कर आने वाली बालिकाओं को रखा जाता है.
किशोर गृह - इस आश्रय गृह में अनाथ, जरूरतमंद बच्चों को रखा जाता है. प्रत्येक जिले में एक है किशोर गृह है, यानि प्रदेश में 33 सरकारी किशोर गृह हैं.
सम्प्रेषण गृह - यहां उन बच्चों को रखा जाता है जिनकी उम्र 18 साल से कम है और जो किसी न किसी अपराध में शामिल रहे हैं. प्रदेश में 33 बाल सम्प्रेषण गृह सरकार की तरफ से संचालित हैं.
बालक बालिका गृह - बालक बालिका गृह प्रदेश में 66 हैं. ये सभी सरकार के अनुदान पर चलते हैं. बच्चों और बच्चियों के अलग-अलग आश्रय गृह में रखा जाता है. यहां अनाथ या बेसराहा बच्चे रहते हैं. इनके लिए राज्य सरकार अनुदान देती है.
आश्रय गृह - ये आश्रय गृह निजी संस्थाएं अथवा ट्रस्ट की ओर से संचालित होते हैं. ये आश्रय गृह सरकार से अनुदान भी नहीं लेते. ये सिर्फ चैरिटी पर चलते हैं. हालांकि इनकी पूरी जानकारी बाल अधिकारिता विभाग के पास होती है.
प्रदेश में ऐसे 100 से अधिक आश्रय गृह चल रहे है. जहां वे बच्चे रहते हैं जिनके माता-पिता उनके साथ नहीं रहते, या वे अनाथ हैं, या बच्चों के परिजन उन्हें पढ़ा-लिखा नहीं सकते अथवा पालन-पोषण नहीं कर सकते.