जयपुर. लॉकडाउन के चलते राजधानी में फंसे हुए विभिन्न जिलों के मजदूर वर्ग और अन्य वर्गों के लोगों को गुरुवार को प्रशासन द्वारा रोडवेज बस के माध्यम से उनके घरों के लिए रवाना किया गया. इस दौरान जिला प्रशासन, जयपुर पुलिस और मेडिकल टीम पूरी मुस्तैदी के साथ व्यवस्थाओं को संभालने में और मेडिकल चेकअप करने में जुटी रही. ये सभी मजदूर यूपी के रहने वाले हैं. सैकड़ों की संख्या में मजदूर और अन्य वर्गों के लोगों को मेडिकल चेकअप और उनकी तमाम डिटेल नोट करने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कराते हुए बसों में बैठाया गया. फिर जिला प्रशासन द्वारा उन्हें भोजन मुहैया करवाया गया.
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शिप्रापथ थाने के सामने स्थित मेला ग्राउंड में अलसुबह से ही मजदूरों और अन्य वर्गों के लोगों का जुटना शुरू हो गया था. ग्राउंड में तैनात पुलिसकर्मियों ने सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कराते हुए लोगों को एक-एक मीटर के फासले से कतार बद्ध करवाया. इसके बाद मेडिकल टीम ने लोगों का चेकअप किया और उनकी तमाम डिटेल नोट करने के बाद बसों में बैठाया गया. राजधानी जयपुर से आज पीलीभीत, जालौन और फर्रुखाबाद जिलों के मजदूरों और अन्य वर्गों के लोगों को प्रशासन द्वारा उनके घर भेजा गया.
तीन मापदंडों के तहत स्क्रीनिंग
शिप्रापथ मेला ग्राउंड में लोगों की स्क्रीनिंग करने के लिए चिकित्सकों की अनेक टीम लगाई गई. चिकित्सक अमन माथुर ने बताया कि तीन मापदंडों के तहत प्रत्येक जिले के आधार पर विभिन्न मेडिकल टीम द्वारा लोगों की स्क्रीनिंग की गई. इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि किसी भी व्यक्ति को पिछले 15-20 दिनों से जुकाम, बुखार तो नहीं है. इसके साथ ही व्यक्ति में किसी अन्य बीमारी या कोरोना के लक्षण तो नहीं है. इसके साथ ही लोगों का इंफ्रारेड स्कैनर से स्क्रीनिंग करने के बाद उनका नाम पता नोट कर बसों में बैठाया जा रहा है.
रुपए हुए खत्म खाने-पीने के पड़े लाले
शिप्रापथ मेला ग्राउंड से पीलीभीत, जालौन और फर्रुखाबाद भेजे जा रहे लोगों से ईटीवी भारत ने बातचीत की तो लोगों का दर्द उनकी बातों से छलक पड़ा. फर्रुखाबाद जिले के एक शख्स ने बताया कि वह राजधानी में सिलाई का काम किया करता है और जब से लॉकडाउन चालू हुआ है तब से काम धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है. जो कुछ रुपए उसने जोड़े हुए थे. वह लॉकडाउन के दौरान खत्म हो गए और फिर खाने-पीने के लाले पड़ गए.
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आज जब सरकार के द्वारा उसे उसके घर भेजा जा रहा है, तो वह काफी खुश हैं. इसके साथ ही कुछ अन्य लोगों से भी ईटीवी भारत की टीम ने बातचीत की तो लोगों ने बताया कि सरकार द्वारा उन्हें घर भेजने का जो कदम उठाया गया है. उससे वह काफी खुश हैं. हालांकि उन्हें इस बात का दुख है कि उनका जो रोजगार था वह उनसे छिन गया है और अब उनके पास जो जमा पूंजी थी, वह भी खत्म हो चुकी है. ऐसे में घर लौटने के सिवाय उनके पास कोई चारा भी नहीं है.