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JCTSL के बेड़े में सैकड़ों लो फ्लोर बसों का कंडम हाल, DLB निदेशक के बाद अब JCTSL चेयरमैन ने अलापा 600 नई बसों का राग

जयपुर में लो फ्लोर बसें लोगों की आवाजाही का मुख्य साधन है. JCTSL के बेड़े में शामिल सैकड़ों बसों की स्थिति खराब है. मरम्मत के अभाव में लो फ्लोर बसें बीच रास्ते में ब्रेक डाउन हो जाती है. ऐसे में जयपुर में यातायात सुविधा बेहतर बनाने के लिए करीब 50 दिन पहले डीएलबी निदेशक ने 600 नई बसें खरीदने की बात कही थी. अब JCTSL चेयरमैन विष्णु लाटा ने 600 नई बसें लाने की बात कही है.

JCTSL के बेड़े में सैकड़ों लो फ्लोर बसों का कंडम हाल
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Published : Jun 23, 2019, 6:13 PM IST

जयपुर. राजधानी में लो फ्लोर बसें लोगों की आवाजाही का मुख्य साधन है. हजारों लोग रोजाना इसके द्वारा ही अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं, लेकिन मेंटिनेंस के अभाव में बीच रास्ते में बसें ब्रेक डाउन हो जाती है. JCTSL के बेड़े में फिलहाल 400 लो फ्लोर बसें हैं. जिनमें से 240 बसें ही विभिन्न रूट पर चल रही है. बाकी मरम्मत के लिए JCTSL के डिपो में खड़ी रहती हैं. वहीं सड़क पर चलने वाली बसें भी जहां-तहां दम तोड़ देती है. लो फ्लोर बसों के कंडम होने के कारण कई रूट लंबे समय से छूट ही गए हैं. वहीं 600 नई बसें खरीदने का दावा फिलहाल पूरा नहीं हुआ है.

DLB निदेशक के बाद अब JCTSL चेयरमैन ने अलापा 600 नई बसों का राग

करीब 50 दिन पहले स्वायत्त शासन विभाग ने ट्रांसपोर्ट सुविधा बेहतर बनाने के लिए जयपुर के बाशिंदों को 600 नई बसें खरीदने का सपना दिखाया था. लेकिन यह सपना ही बनकर रह गया. शहर की सड़कों पर चल रही बसें अमूमन बीच रास्ते में ही खराब हो जाती है. जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. साथ ही यातायात भी बाधित होता है. शहर के 25 रूटों पर लो फ्लोर बसों की सुविधा शुरू की गई थी. लेकिन हाल के दिनों में कई रूट इससे अछूते हैं. JCTSL के चेयरमैन विष्णु लाटा ने भी माना है कि बसों की स्थिति दयनीय है. कई पुरानी कंडम बसों को रूट से हटाया गया है. इस दौरान लाटा ने एक बार फिर 600 नई बसें लाने की बात कही.

JCTSL के बेड़े में शामिल करने के लिए साल 2009-10 में 30 लाख रुपए प्रति बस की लागत से रियर इंजन लो फ्लोर बसें खरीदी गई थी. लेकिन अब इनमें से 70 फीसदी बसें कंडम हो चुकी है. इसके कारण कई रूटों पर लो फ्लोर बसें संचालित नहीं हो पा रही है. ऐसे में अब लोगों को 600 नई बसों का इंतजार है.

जयपुर. राजधानी में लो फ्लोर बसें लोगों की आवाजाही का मुख्य साधन है. हजारों लोग रोजाना इसके द्वारा ही अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं, लेकिन मेंटिनेंस के अभाव में बीच रास्ते में बसें ब्रेक डाउन हो जाती है. JCTSL के बेड़े में फिलहाल 400 लो फ्लोर बसें हैं. जिनमें से 240 बसें ही विभिन्न रूट पर चल रही है. बाकी मरम्मत के लिए JCTSL के डिपो में खड़ी रहती हैं. वहीं सड़क पर चलने वाली बसें भी जहां-तहां दम तोड़ देती है. लो फ्लोर बसों के कंडम होने के कारण कई रूट लंबे समय से छूट ही गए हैं. वहीं 600 नई बसें खरीदने का दावा फिलहाल पूरा नहीं हुआ है.

DLB निदेशक के बाद अब JCTSL चेयरमैन ने अलापा 600 नई बसों का राग

करीब 50 दिन पहले स्वायत्त शासन विभाग ने ट्रांसपोर्ट सुविधा बेहतर बनाने के लिए जयपुर के बाशिंदों को 600 नई बसें खरीदने का सपना दिखाया था. लेकिन यह सपना ही बनकर रह गया. शहर की सड़कों पर चल रही बसें अमूमन बीच रास्ते में ही खराब हो जाती है. जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. साथ ही यातायात भी बाधित होता है. शहर के 25 रूटों पर लो फ्लोर बसों की सुविधा शुरू की गई थी. लेकिन हाल के दिनों में कई रूट इससे अछूते हैं. JCTSL के चेयरमैन विष्णु लाटा ने भी माना है कि बसों की स्थिति दयनीय है. कई पुरानी कंडम बसों को रूट से हटाया गया है. इस दौरान लाटा ने एक बार फिर 600 नई बसें लाने की बात कही.

JCTSL के बेड़े में शामिल करने के लिए साल 2009-10 में 30 लाख रुपए प्रति बस की लागत से रियर इंजन लो फ्लोर बसें खरीदी गई थी. लेकिन अब इनमें से 70 फीसदी बसें कंडम हो चुकी है. इसके कारण कई रूटों पर लो फ्लोर बसें संचालित नहीं हो पा रही है. ऐसे में अब लोगों को 600 नई बसों का इंतजार है.

Intro:जयपुर - राजधानी में लो फ्लोर बसें लोगों की आवाजाही का मुख्य साधन है। हजारों लोग रोजाना इससे यात्रा करते हैं। लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में रोजाना ये बसें ब्रेक डाउन हो जाती है। जेसीटीएसएल के बेड़े में फिलहाल 400 लो फ्लोर बसें हैं। जिनमें से 240 विभिन्न रूट पर चल रही है। बाकी बसें मरम्मत के लिए जेसीटीएसएल के डिपो में खड़ी रहती हैं। आलम ये है कि जो बसें सड़कों पर चल रही हैं, वो भी जहां-तहां तहां दम तोड़ देती है। इन लो फ्लोर बसों के कंडम हो जाने के कारण कई रूट तो लंबे समय से छूट ही गए हैं। वहीं 600 नई बसें खरीदने का दावा भी फिलहाल हवा हो गया है।


Body:फ़ाइल बाईट - पवन अरोड़ा, निदेशक, डीएलबी
करीब 50 दिन पहले स्वायत्त शासन विभाग की ओर से राजधानी वासियों को एक सपना दिखाया गया था। ये सपना था जयपुर के ट्रांसपोर्ट सुविधा को बेहतर बनाने के लिये 600 नई बसों को खरीदनेक का। लेकिन फिलहाल ये सपना एक सपना ही बनकर रह गया है। और तो और शहर में चल रही कंडम लो फ्लोर बसों की हालत तो वो खुद समय-समय पर बयां कर ही देती हैं। अमूमन ये बसें शहर में जहां-तहां बंद पड़ जाती है। जिससे ना जाने कितने लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। साथ ही यातायात भी बाधित होता है। आलम ये है कि शहर के जिन 25 रूट पर लो फ्लोर बसें शुरू की गई थी, उनमें से कई रूट अब इससे अछूते हैं। इस पर जेसीटीएसएल चेयरमैन विष्णु लाटा ने भी माना कि बसों की स्थिति दयनीय है। ऐसे में पुरानी बसों को हटाया गया है। यहाँ एक बार फिर उन्होंने 600 नई बसें लाने का पुराना राग अलापा।
बाईट - विष्णु लाटा, चेयरमैन, जेसीटीएसएल


Conclusion:साल 2009-10 में प्रति बस 30 लाख रुपए की लागत से रियर इंजन लो फ्लोर बसें खरीदी गई थी। लेकिन इनमें से अब 70 फ़ीसदी बसें कंडम हो चुकी है। इसी वजह से कई रूट पर फिलहाल लो फ्लोर बसें संचालित नहीं हो पा रही। ऐसे में अब लोगों को उन 600 नई बसों का इंतजार है, जिनकी हकीकत धरातल से कोसों दूर है।
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