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शिक्षक दिवस पर करिए अपने गुरु का सम्मान, जानिए क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस

कल देश के सभी स्कूलों में शिक्षक दिवस की धूम होगी. सभी विद्यार्थी अपने अपने गुरु का कुछ खास तरह से सम्मान करने की जुगत में लगे होंगे. ऐसे में हम सभी के लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर 5 सितंबर ही वो खास दिन क्यों है. जब हम अपने शिक्षक के लिए कुछ खास करते है. क्यों हमारे देश में कल का ही दिन शिक्षक दिवस के रूप में चुना गया.

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Published : Sep 4, 2019, 8:36 AM IST

Teacher's Day special news, शिक्षक दिवस खास खबर

जयपुर. याद है 5 सितंबर की वो सुबह जब आप स्टेश्नरी की दुकान पर अपने शिक्षक के लिए पेन या डायरी लेने के लिए खड़े होते थे. स्कूल या कॉलेज पहुंचकर सबसे पहले अपने शिक्षक को टीचर्स-डे की शुभकामनाएं देते रहें होंगे. बेशक आपको याद ही होगा. साथ ही यह भी याद होगा कि कल ही वो खास दिन है. भारत के पहले पूर्व उप राष्ट्रपति और दूसरे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन 5 सितंबर को होता है, जिसे हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं.

बता दें कि साल 1962 में देश के राष्ट्रपति बने डॉक्टर राधाकृष्णन एक महान शिक्षाविद् और शिक्षक के रूप में दुनियाभर में जाने जाते हैं. उन्होंने अपने छात्रों से जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था. 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

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अंग्रेज भी मानते थे सर्वपल्ली राधाकृष्णन के ज्ञान का लोहा

राधाकृष्णन को ब्रिटिश सरकार की ओर से ऑर्डर ऑफ मेरिट, नाइट बैचलर और टेम्पलटन प्राइज से नवाजा गया. यही नहीं साल 1962 में उन्हें 'ब्रिटिश अकेडमी' का सदस्य बनाया गया. पोप जॉन पाल ने 'गोल्डन स्पर' भेंट किया. साथ ही जाने-माने प्रोफेसर एच.एन.स्पेलडिंग डॉक्टर राधाकृष्णन के लेक्चर से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय में उनके लिए चेयर स्थापित करने का फैसला कर लिया था.

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छात्रों में खासा लोकप्रिय थे राधाकृष्णन

सर्वपल्ली राधाकृष्णन छात्रों में इतने लोकप्रिय थे कि जब वह कलकत्ता जा रहे थे, उन्हें मैसूर विश्वविद्यालय से रेलवे स्टेशन तक फूलों की बग्घी में ले जाया गया था. बताया जाता है कि एक बार उनके कुछ विद्यार्थी और दोस्तों ने उनसे कहा कि, वह उनके जन्मदिन को सेलिब्रेट करना चाहते हैं. तब उन्होंने कहा था कि 'मेरा जन्मदिन अलग से मनाने के बजाए अगर मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे गर्व महसूस होगा.'

जयपुर. याद है 5 सितंबर की वो सुबह जब आप स्टेश्नरी की दुकान पर अपने शिक्षक के लिए पेन या डायरी लेने के लिए खड़े होते थे. स्कूल या कॉलेज पहुंचकर सबसे पहले अपने शिक्षक को टीचर्स-डे की शुभकामनाएं देते रहें होंगे. बेशक आपको याद ही होगा. साथ ही यह भी याद होगा कि कल ही वो खास दिन है. भारत के पहले पूर्व उप राष्ट्रपति और दूसरे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन 5 सितंबर को होता है, जिसे हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं.

बता दें कि साल 1962 में देश के राष्ट्रपति बने डॉक्टर राधाकृष्णन एक महान शिक्षाविद् और शिक्षक के रूप में दुनियाभर में जाने जाते हैं. उन्होंने अपने छात्रों से जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था. 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

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राधाकृष्णन को ब्रिटिश सरकार की ओर से ऑर्डर ऑफ मेरिट, नाइट बैचलर और टेम्पलटन प्राइज से नवाजा गया. यही नहीं साल 1962 में उन्हें 'ब्रिटिश अकेडमी' का सदस्य बनाया गया. पोप जॉन पाल ने 'गोल्डन स्पर' भेंट किया. साथ ही जाने-माने प्रोफेसर एच.एन.स्पेलडिंग डॉक्टर राधाकृष्णन के लेक्चर से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय में उनके लिए चेयर स्थापित करने का फैसला कर लिया था.

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छात्रों में खासा लोकप्रिय थे राधाकृष्णन

सर्वपल्ली राधाकृष्णन छात्रों में इतने लोकप्रिय थे कि जब वह कलकत्ता जा रहे थे, उन्हें मैसूर विश्वविद्यालय से रेलवे स्टेशन तक फूलों की बग्घी में ले जाया गया था. बताया जाता है कि एक बार उनके कुछ विद्यार्थी और दोस्तों ने उनसे कहा कि, वह उनके जन्मदिन को सेलिब्रेट करना चाहते हैं. तब उन्होंने कहा था कि 'मेरा जन्मदिन अलग से मनाने के बजाए अगर मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे गर्व महसूस होगा.'

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