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'Unique ID' नम्बर नहीं लेने वाले हथियारों के लाइसेंस हुए अवैध, गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट

जयपुर में यूनिक आईडेंटिफिकेशन नम्बर नहीं लेने के चलते हजारों हथियार लाइसेंस अवैध हो गए हैं. लाइसेंस धारकों को 31 मार्च 2019 तक गृहमंत्रालय से यूनिक आईडेंटिफिकेशन नम्बर लेने थे, लेकिन हजारों की तादाद में लाइसेंस धारकों ने यूआईएन नहीं लिया. शेष हथियार लाइसेंस अवेध हो गए.जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अमान्य हुए ऐसे सभी हथियार लाइसेंस धारकों की जानकारी मांगी है.

Jaipur न्यूज़, गृह मंत्रालय news
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Published : Aug 12, 2019, 5:47 PM IST

जयपुर. जिले में जिला कलेक्टरों को हथियार लाइसेंस रजिस्ट्रेशन के अधिकार हैं, एसडीएम को टोपीदार बंदूक के लाइसेंस जारी करने के अधिकार हैं. इसके अलावा प्रदेश भर में लोगों के पास रजिस्टर्ड हथियार लाइसेंस हैं. जिसके चलते हथियार लेने के बाद कोई भी व्यक्ति, कहीं भी लाइसेंस का रिन्यूअल करवा लेता है. वह किसी भी जिले से लाइसेंस ले सकता है. ऐसी स्थिति में प्रदेश में कितने हथियार लाइसेंस हैं और कितनों ने नवीनीकरण करवाया है, इसकी सटीक जानकारी नहीं मिल पाती थी.

यूआईडी नम्बर नहीं लेने वाले हथियारों के लाइसेंस वैध

पढ़ें- टोल नाके पर ठांय-ठांय...कर्मचारियों ने मांगे पैसे तो बरसा दी गोलियां

हथियार लाइसेंस में एकरूपता लाने के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 24 जुलाई 2012 को नेशनल डेटाबेस ऑफ आर्म्स लाइसेंस पोर्टल ( नडाल ) शुरू किया. नडाल पोर्टल पर सभी शस्त्र लाइसेंस धारियों की सभी प्रकार की सूचना अपलोड करनी थी, उसके बाद शस्त्र अनुज्ञाधारी को एक यूआईएन (यूनिक आईडेंटिफिकेशन नम्बर) जारी किया जाता है. इस यूआईएन नम्बर को कहीं भी कम्प्यूटर में डालेंगे तो हथियारलाइसेंस धारक की पूरी जानकारी स्क्रीन पर आ जाएगी. इससे फर्जी हथियार लाइसेंस पर भी रोक लगेगी.

गृह मंत्रालय ने 2016 में जारी किया ALIS सॉफ्टवेयर

गृह मंत्रालय ने वर्ष 2016 में ALIS सॉफ्टवेयर जारी किया. जिसके बाद नए लाइसेंस ही ऑन लाइन जारी होने लगे हैं. इसमें लाइसेंस के साथ ही यूआईएन भी आता है और नवीनीकरण भी ऑन लाइन प्रक्रिया से हो रहा है. 2016 से पहले जारी हुए हथियार लाइसेंस की सूचना अपलोड करने के लिए NDAL पोर्टल पर अपलोड करना था.

31 मार्च 2019 थी लास्ट डेट

नडाल पर जानकारी अपलोड करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2019 थी. उसके बाद जिन हथियार लाइसेंस धारियों के पास यूआईएन नम्बर नहीं है वे सभी अवैध हैं. कलेक्टर के स्तर पर एनडीएएल पर अपलोड करने का काम लगभग पूरा हो गया, लेकिन एसडीएम के स्तर पर कार्य अधूरा रह गया. इसका कारण हथियार लाइसेंस के नवीनीकरण की फीस बढ़ाया जाना बताया जा रहा है.

पढ़ें- जोधपुर­: पाबूसर गांव में बिजली का तार गिरने से पांच बकरियों की मौत

गृह मंत्रालय ने तिथि बढ़ाने से किया इनकार

गृह मंत्रालय ने भी पोर्टल पर हथियार लाइसेंस का डेटा अपलोड करने के लिए कई बार तारीख बढ़ाई, और वीडियो कांफ्रेंस भी किेए. बावजूद इसके लाइसेंसधारकों ने यूआईएन नहीं लिया. और अब गृह विभाग ने 31 मार्च को तारीख बढ़ाने से इनकार कर दिया. ऐसे में कमोबेश सभी जिलों में रजिस्टर्ड हथियार लाइसेंस की तुलना में सभी ने यूनिक आईडेंटिफिकेशन नम्बर नहीं लिए हैं.

जयपुर ग्रामीण में 17 सौ में से 11 सौ ने लिया यूआईएन नंबर

जयपुर के ग्रामीणों की बात की जाए तो यहां 1,700 हथियार लाइसेंस है. इनमें से करीब 1,100 ने यूआईएन नंबर लिया है और 600 हथियार लाइसेंस में से कुछ हथियार लाइसेंस सेना से जुड़े हुए लोगों के हैं जिन्होंने हो सकता है कहीं और से यूआईएन नंबर लिया हो. कुछ ऐसे हैं जो सालों से ही नवीनीकरण कराने नहीं आ रहे हैं. जिला प्रशासन ने इन सभी हथियार लाइसेंस की जानकारी मांगी है.सबसे ज्यादा उदयपुर में ढाई हजार से ज्यादा लाइसेंस है, जिन्होंने यूआईएन नंबर नही लिया है.

पढ़ें- जोधपुर: पुलिस ने 15 अगस्त को लेकर शुरू किया होटल चेकिंग अभियान

सात साल में भी अपलोड नही कर पाए जानकारी

बड़ी बात ये कि केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 24 जुलाई 2012 को नेशनल डेटाबेस ऑफ आर्म्स लाइसेंस पोर्टल ( नडाल ) शुरू किया था. जिसके सात साल बीत जाने के बाद भी लाइसेंस हथियार धारक जानकारी नडाल पर अपलोड नही करा पाए. जिसके कारण प्रदेश में सैकडो हथियार लाइसेंस अवैध हो गए हैं. और इसे देखते हुए यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर से फर्जी हथियार लाइसेंस पर रोक लगी है. हथियार लाइसेंस धारक कहीं भी लाइसेंस का रिन्यूअल करा सकता है.

जयपुर. जिले में जिला कलेक्टरों को हथियार लाइसेंस रजिस्ट्रेशन के अधिकार हैं, एसडीएम को टोपीदार बंदूक के लाइसेंस जारी करने के अधिकार हैं. इसके अलावा प्रदेश भर में लोगों के पास रजिस्टर्ड हथियार लाइसेंस हैं. जिसके चलते हथियार लेने के बाद कोई भी व्यक्ति, कहीं भी लाइसेंस का रिन्यूअल करवा लेता है. वह किसी भी जिले से लाइसेंस ले सकता है. ऐसी स्थिति में प्रदेश में कितने हथियार लाइसेंस हैं और कितनों ने नवीनीकरण करवाया है, इसकी सटीक जानकारी नहीं मिल पाती थी.

यूआईडी नम्बर नहीं लेने वाले हथियारों के लाइसेंस वैध

पढ़ें- टोल नाके पर ठांय-ठांय...कर्मचारियों ने मांगे पैसे तो बरसा दी गोलियां

हथियार लाइसेंस में एकरूपता लाने के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 24 जुलाई 2012 को नेशनल डेटाबेस ऑफ आर्म्स लाइसेंस पोर्टल ( नडाल ) शुरू किया. नडाल पोर्टल पर सभी शस्त्र लाइसेंस धारियों की सभी प्रकार की सूचना अपलोड करनी थी, उसके बाद शस्त्र अनुज्ञाधारी को एक यूआईएन (यूनिक आईडेंटिफिकेशन नम्बर) जारी किया जाता है. इस यूआईएन नम्बर को कहीं भी कम्प्यूटर में डालेंगे तो हथियारलाइसेंस धारक की पूरी जानकारी स्क्रीन पर आ जाएगी. इससे फर्जी हथियार लाइसेंस पर भी रोक लगेगी.

गृह मंत्रालय ने 2016 में जारी किया ALIS सॉफ्टवेयर

गृह मंत्रालय ने वर्ष 2016 में ALIS सॉफ्टवेयर जारी किया. जिसके बाद नए लाइसेंस ही ऑन लाइन जारी होने लगे हैं. इसमें लाइसेंस के साथ ही यूआईएन भी आता है और नवीनीकरण भी ऑन लाइन प्रक्रिया से हो रहा है. 2016 से पहले जारी हुए हथियार लाइसेंस की सूचना अपलोड करने के लिए NDAL पोर्टल पर अपलोड करना था.

31 मार्च 2019 थी लास्ट डेट

नडाल पर जानकारी अपलोड करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2019 थी. उसके बाद जिन हथियार लाइसेंस धारियों के पास यूआईएन नम्बर नहीं है वे सभी अवैध हैं. कलेक्टर के स्तर पर एनडीएएल पर अपलोड करने का काम लगभग पूरा हो गया, लेकिन एसडीएम के स्तर पर कार्य अधूरा रह गया. इसका कारण हथियार लाइसेंस के नवीनीकरण की फीस बढ़ाया जाना बताया जा रहा है.

पढ़ें- जोधपुर­: पाबूसर गांव में बिजली का तार गिरने से पांच बकरियों की मौत

गृह मंत्रालय ने तिथि बढ़ाने से किया इनकार

गृह मंत्रालय ने भी पोर्टल पर हथियार लाइसेंस का डेटा अपलोड करने के लिए कई बार तारीख बढ़ाई, और वीडियो कांफ्रेंस भी किेए. बावजूद इसके लाइसेंसधारकों ने यूआईएन नहीं लिया. और अब गृह विभाग ने 31 मार्च को तारीख बढ़ाने से इनकार कर दिया. ऐसे में कमोबेश सभी जिलों में रजिस्टर्ड हथियार लाइसेंस की तुलना में सभी ने यूनिक आईडेंटिफिकेशन नम्बर नहीं लिए हैं.

जयपुर ग्रामीण में 17 सौ में से 11 सौ ने लिया यूआईएन नंबर

जयपुर के ग्रामीणों की बात की जाए तो यहां 1,700 हथियार लाइसेंस है. इनमें से करीब 1,100 ने यूआईएन नंबर लिया है और 600 हथियार लाइसेंस में से कुछ हथियार लाइसेंस सेना से जुड़े हुए लोगों के हैं जिन्होंने हो सकता है कहीं और से यूआईएन नंबर लिया हो. कुछ ऐसे हैं जो सालों से ही नवीनीकरण कराने नहीं आ रहे हैं. जिला प्रशासन ने इन सभी हथियार लाइसेंस की जानकारी मांगी है.सबसे ज्यादा उदयपुर में ढाई हजार से ज्यादा लाइसेंस है, जिन्होंने यूआईएन नंबर नही लिया है.

पढ़ें- जोधपुर: पुलिस ने 15 अगस्त को लेकर शुरू किया होटल चेकिंग अभियान

सात साल में भी अपलोड नही कर पाए जानकारी

बड़ी बात ये कि केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 24 जुलाई 2012 को नेशनल डेटाबेस ऑफ आर्म्स लाइसेंस पोर्टल ( नडाल ) शुरू किया था. जिसके सात साल बीत जाने के बाद भी लाइसेंस हथियार धारक जानकारी नडाल पर अपलोड नही करा पाए. जिसके कारण प्रदेश में सैकडो हथियार लाइसेंस अवैध हो गए हैं. और इसे देखते हुए यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर से फर्जी हथियार लाइसेंस पर रोक लगी है. हथियार लाइसेंस धारक कहीं भी लाइसेंस का रिन्यूअल करा सकता है.

Intro:जयपुर। राज्य में यूनिक आईडेंटीटीफिकेशन नम्बर
नही लेने के चलते हजारों हथियार लाइसेंस अवैध हो गए हैं। लाइसेंस धारकों को 31 मार्च 2019 तक गृहमंत्रालय से यूनिक आईडेंटीटीफिकेशन नम्बर लेने थे, लेकिन हजारों की तादाद में लाइसेंस धारकों ने यूआईएन नहीं लिया। जयपुर ग्रामीण में 1700 में से 1100 ने ही यूआईएन नंबर नही लिए। शेष हथियार लाइसेंस अवेध हो गए । केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अमान्य हुए ऐसे सभी हथियार लाइसेंसधारकों की जानकारी मांगी है। Body:प्रदेश में जिला कलेक्टरों को हथियार लाइसेंस रजिस्ट्रेशन के अधिकार हैं। एसडीएम को टोपीदार बंदूक के लाइसेंस जारी करने के अधिकार हैं।
राजस्थान में रजिस्टर्ड हथियार लाइसेंस हैं । हथियार लेने के बाद कोई भी व्यक्ति कहीं भी लाइसेंस का रिन्यूअल करवा लेता है। वह किसी भी जिले से लाइसेंस ले सकता है। ऐसी स्थिति में प्रदेश में कितने हथियार लाइसेंस हैं और कितनों ने नवीनीकरण करवाया है, इसकी सटीक जानकारी
नहीं मिल पाती थी। हथियार लाइसेंस में एकरूपता लाने के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 24 जुलाई 2012 को नेशनल डेटाबेस ऑफ आर्म्स लाइसेंस पोर्टल ( नडाल ) शुरू किया। नडाल पोर्टल पर सभी शस्त्र लाइसेंस धारियों की सभी प्रकार की सूचना अपलोड करनी थी, उसके बाद शस्त्र अनुज्ञाधारी को एक यूआईएन (यूनिक आईडेंटीटीफिकेशन नम्बर) जारी किया जाता है। इस यूआईएन नम्बर को कहीं भी कम्प्यूटर में डालेंगे तो हथियारलाइसेंस धारक की पूरी जानकारी स्क्रीन पर आ जाएगी। इससे फर्जी हथियार लाइसेंस पर भी रोक लगेगी।

गृह मंत्रालय ने 2016 में जारी किया ALIS सॉफ्टवेयर-
गृह मंत्रालय ने वर्ष 2016 में ALIS सॉफ्टवेयर जारी किया। उसके बाद से नए लाइसेंस ही ऑन लाइन जारी हाेने लगे हैं। इसमें लाइसेंस के साथ ही यूआईएन आता है और नवीनीकरण भी ऑन लाइन प्रक्रिया से हो रहा है। 2016 से पहले जारी हुए हथियार लाइसेंस की सूचना अपलोड करने के लिए NDAL पोर्टल पर अपलोड करना था।

31 मार्च 2019 थी लास्ट डेट-
नडाल पर जानकारी अपलोड करने की अंतिम तिथि 31 मार्च 2019 थी। उसके बाद जिन हथियार लाइसेंस धारियों के पास यूआईएन नम्बर नहीं है वे सभी अवैध हैं। कलेक्टर के स्तर पर एनडीएएल पर अपलोड करने का काम लगभग पूरा हो गया, लेकिन एसडीएम के स्तर पर कार्य अधूरा रह गया। इसका कारण हथियार लाइसेंस के नवीनीकरण की फीस बढ़ाया जाना बताया जा रहा है। Conclusion:
गृह मंत्रालय ने तिथि बढ़ाने से किया इनकार-
गृह मंत्रालय ने भी पोर्टल पर हथियार लाइसेंस का डेटा अपलोड करने के लिए कई बार तारीख बढ़ाई, वीडियो कांफ्रेंस की। फिर भी लाइसेंसधारकों ने यूआईएन नहीं लिया। अब गृह विभाग ने 31 मार्च को तारीख बढ़ाने से इनकार कर दिया। ऐसे में कमोबेश सभी जिलों में रजिस्टर्ड हथियार लाइसेंस की तुलना में सभी ने यूनिक आईडेंटीटीफिकेशन नम्बर नहीं लिए गए हैं।

जयपुर ग्रामीण में 17 सौ में से 11 सौ ने लिया यूआईएन नंबर-
जयपुर ग्रामीण की बात की जाए तो जयपुर ग्रामीण में में 1700 हथियार लाइसेंस है इनमें से करीब 1100 ने यूआईएन नंबर लिया है। 600 हथियार लाइसेंस में से कुछ हथियार लाइसेंस सेना से जुड़े हुए लोगों के हैं जिन्होंने हो सकता है कहीं और से यूआईएन नंबर लिया हो। कुछ ऐसे हैं जो सालों से ही नवीनीकरण कराने नहीं आ रहे हैं जिला प्रशासन ने इन सभी हथियार लाइसेंस की जानकारी मांगी है।
सबसे ज्यादा उदयपुर में ढाई हजार से ज्यादा लाइसेंस है, जिन्होंने यूआईएन नंबर नही लिया है। गृहमंत्रालय ने राजस्थान से यूआईएन नम्बर नहीं लेने वाले हथियार लाइसेंस धारकों की जानकारी मांगी है।

सात साल में भी अपलोड नही कर पाए जानकारी-
केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 24 जुलाई 2012 को नेशनल डेटाबेस ऑफ आर्म्स लाइसेंस पोर्टल ( नडाल ) शुरू किया। सात साल में भी लाइसेंस हथियार धारक जानकारी नडाल पर अपलोड नही करा पाए। इसके कारण प्रदेश में सेंकडो हथियार लाइसेंस अवैध हो गए। यूनिक आईडेंटीटी फिकेशन नंबर से फर्जी हथियार लाइसेंस पर रोक लगी है। हथियार लाइसेंस धारक कहीं भी लाइसेंस का रिन्यूअल करा सकता है।

बाईट धारा सिंह मीणा, अतरिक्त जिला कलेक्टर दक्षिण जयपुर
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