जयपुर. होली का त्योहार फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा पर सोमवार को मनाया जा रहा है. होलिका दहन प्रदोष काल युक्त गोधूलि बेला में करना सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. इस बार गोधूलि बेला में भद्रा नहीं होने से होलिका दहन शाम 6:28 से 6:40 तक करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा. वही रंगों का त्योहार धुलंडी मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा.
इस बार रंगो के त्यौहार पर त्रिपुष्कर योग का संयोग बनेगा, जो शाम 7:24 से शुरू होगा और रात 10:01 तक रहेगा. इस दिन पूर्णिमा सूर्योदय से रात 11:18 तक रहेगी. वहीं भद्रा का योग दोपहर 1:11 मिनट तक रहेगा. गोधूलि बेला में भद्रा नहीं होने से होलिका दहन इसी बेला में होगा. जयपुर में हर चौराहे और गली-मोहल्लों में होलिका दहन किया जाएगा. दो साल बाद भद्रा होलिका दहन के समय नहीं होगी. इसके बाद 10 मार्च को धुलंडी यानी रंगों का त्योहार मनाया जाएगा. एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली खेलेंगे. वहीं 11 मार्च को रंग पंचमी का त्यौहार मनाया जाएगा.
ज्योतिषाचार्य दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि भद्रा नहीं होने से होलिका दहन प्रदोष काल युक्त गोधूलि बेला में सर्वश्रेष्ठ रहेगा. इसका समय 6:28 से लेकर 6:40 तक रहेगा. इस समय चंद्रमा मित्र राशि सिंह, मंगल भी अपनी मित्र राशि धनु, बृहस्पति स्वराशि धनु, शनि स्वराशि मकर में रहेगा. जिससे आगामी समय प्रजा के लिए सद्भावना युक्त रहेगा. ज्योतिष आचार्य विजय शंकर पांडेय ने बताया कि होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल की प्रदेश व्यापीनी पूर्णिमा को भद्रा रहित करना शास्त्र सम्मत रहेगा. इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा प्रदोष व्यापनी सोमवार को है. इस दिन भद्रा दोपहर 1:00 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी. जिसमें साईं काल में पूर्णिमा भद्रा से मुक्त है. ऐसे में सोमवार को गोधूलि वेला में होलिका दहन श्रेष्ठ रहेगा.
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इसी के साथ होलाष्टक भी रात 11:17 पर समाप्त हो जाएंगे. जिसके बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. गजकेसरी योग होली के दिन सुबह 6:46 से रात 11:18 अमृत योग रहेगा. वहीं इस बार होली का दहन गजकेसरी योग में होगा. प्रभाव कारी गजकेसरी योग का निर्माण गुरु की चंद्रमा पर पांचवीं या नवीं दृष्टि से भी बनता है. धुलेंडी के साथ ही 10 मार्च से गणगौर पूजा शुरू हो जाएगी. नवविवाहिताएं, कुंवारी कन्याएं और विवाहिता महिलाएं 16 दिन तक ईसर और गणगौर की पूजा करेंगे.